उमरिया (संवाद)। मध्यप्रदेश सरकार के यशस्वी मुख्यमंत्री आदरणीय मोहन यादव जी अभियान चलाकर राजस्व प्रकरणों के निराकरण में तेजी लाने का लगातार प्रयास कर रहे है। सरकार की मंशा है कि कम से कम खर्चे में और जल्द से जल्द लोगो को न्याय मिले। राजस्व प्रकरण जैसे नामांतरण बटवारा नक्सा तरमीम सहित तमाम तरह के प्रकरणों का तीव्रगति से निराकरण हो। प्रदेश की जनता को बिना भटके सेवाओ का लाभ मिले इस हेतु डबल इंजन की सरकार तरह तरह की योजनाएं बनाकर उनका सफल क्रियान्वयन करना चाहती है।
प्रदेश के कुछ जिलों में इस अभियान का सकारात्मक परिणाम आया भी है। किंतु उमरिया जिले में स्थिती जस की तस बनी हुई है। यहां सरकार के निर्देशों वा अभियान का कोई असर राजस्व अमले पर नही दिख रहा। प्रकरणों के निदान में भी बहुत सुस्ती है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जिले के राजस्व महकमे को गुलुकोज की जरूरत है। तथ्यों पर बात करे तो राजस्व विभाग के अनुभागो में पदस्थ अनुविभागीय अधिकारी खुद नही चाहते कि बिना भ्रष्टाचार प्रकरणों का निराकरण हो।
अनुविभागीय अधिकारियों की निष्क्रियता से सरकार के अभियानों में प्रगति नही आ रही यह अभियान महज खाना पूर्ति बनकर रह गए है। कुछ प्रकरण तो ऐसे है जिसमे जिला कलेक्टर के निर्देशों का अभी असर अनुविभागीय अधिकारी और तहसीलदारों पर नही हो रहा। छोटे छोटे कार्यो के लिए आवेदक दर दर भटकते रहते है। उन्हें पेशी पर पेशी दी जा रही है। पटवारी स्तर के कार्यो को तहसीलदार स्तर पर भी निस्तारित नही किया जा रहा। राजस्व निराकरण अभियानों में कुछ जिले तो सफलता का परचम लहरा रहे है। किंतु उमरिया जिले में यह अभियान ठंडे बस्ते में डाला हुआ है। जिले में लगभग सभी तहसीलदार और राजस्व विभाग के लोग अपना मूल काम छोड़कर बाकी काम को अपना मूल काम मानते है l
आम जनता को न्याय देने में नाकाम सिद्ध हो रहे हैं वह अपना मूल काम छोड़कर स्वयं के लिए धनार्जन कैसे हो इसकी चिंता में अन्य काम करने में ज्यादा मुस्तादी से लगे रहते हैlमाननीय मुख्यमंत्री जी की मंशा है कि प्रदेश की जनता को बिना परेशानी के योजनाओं का लाभ मिले। निर्विवादित प्रकरणों का निपटारा अतिसीघ्र हो उमरिया में ऐसा होना टेढ़ी खीर प्रतीत हो रहा है। राजस्व अधिकारियों की मनमानी या निष्क्रियता के सामने सरकार के निर्देश बौने साबित हो रहे है।ग्राम पंचायतों में राजस्व ग्रामो में कैम्प लगाकर समस्याओं के निराकरण हेतु प्राप्त आवेदन राजस्व दफ्तरों में धूल खा रहे है। फौती नामांतरण जैसे आरंभिक विषयो मे भी लॉक डाउन लगा हुआ है।
हलाकि ऐसे प्रकरणों के निदान में अनुविभागीय अधिकारी वा तहसीलदार की सक्रियता महत्वपूर्ण होती है। जब sdm और तहसीलदार ही अपने कर्तब्यों के प्रति उदासीन है तब पटवारी कानूनगो से क्या उम्मीद की जा सकती है। मध्यप्रदेश सरकार की मंशा में ऐसे सुस्त लापरवाह कर्तब्य विहीन अधिकारी पानी फेर रहे है। इनकी निष्क्रियता के बोझ तले जिले का आम जन पिश रहा है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से दूर दराज के इलाकों से गरीब ब्यक्ति छोटी छोटी समस्यों के निदान हेतु भटक रहा है। बार बार दफ्तर के चक्कर काट रहा है किंतु साहब है कि डेट पर डेट देकर चांदी काटते नजर आ रहे है।राजस्व दफ्तरों में नजर आते लोग न्याय की आस लगाए आते है किंतु उमरिया जिले के राजस्व अधिकारियों की उदासीनता अकर्मण्यता कार्य शैली में न्याय हासिल होना जागते हुए सपना देखने जैसा है।
निवर्तमान भाजपा जिला अध्यक्ष दिलीप पांडे ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और सूबे के कलेक्टर से मांग की है कि जनता को सुलभता के साथ कम समय में न्याय मिल सके इस हेतु जिले के राजस्व अधिकारियों को निर्देशित करें ताकि उमरिया जिले की जनता परेशान ना हो सके l जिले में तहसीलदार और राजस्व अधिकारियों की नियुक्ति के लिए भी मांग की गई है l