अनुदान राशि की सहायता से मछली पालन में कमाए 13 से 14 लाख सालाना ,जाने क्या है अनुदान प्रक्रिया

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किसानो की आय को दुगुना करने के लिए सरकार तरह-तरह की योजनाओ का निर्माण करते रहती है. सरकार ने ये दवा किया है की वो किसानो की आय को दुगुना करके रहेगी. इसके लिए जिले के 30 से अधिक किसानों ने मछली पालन की राह पकड़ी. मछली पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिससे आप लाखो रूपये कमा सकते है, इसमें आप काम लागत में दुगुना मुनाफा कर सकते है. मछली पालन से जिले के किसानो को दुगुना मुनाफा हुआ. उन्होंने परंपरागत खेती को छोड़कर, मछली पालन के व्यवसाय को चुना जिसमे की उन्हें ज्यादा सफलता मिली .

अनुदान राशि की सहायता से मछली पालन में कमाए 13 से 14 लाख सालाना ,जाने क्या है अनुदान प्रक्रिया

इस प्रकार से ले अनुदान

सरकार द्वारा भी मछली पालन को प्रोत्साहित किया जाता है. जिसके लिए सरकार प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत पात्र लोगों में से सामान्य श्रेणी के लाभार्थियों को परियोजना लागत का 40 प्रतिशत अनुदान मिलता है. वही पर महिला तथा अनुसूचित जाति वर्ग के लाभार्थियों को परियोजना लागत का 60 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है. इसी के साथ मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम समाज के तालाब का पट्टा लेने वालों को मछली पालन के लिए प्रथम वर्ष निवेश पर अनुदान मिलता है. 4 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की लागत पर हर वर्ग के लोगों को 40 प्रतिशत का अनुदान मिलता है.

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इन मछलियों का किया जाता है पालन

किसानो के मुनाफे के लिए मछली पालन सर्वोत्तम उपाय है. इससे किसान दुगुना मुनाफा कर सकता है. इन परियोजनाओं के तहत मछली पालक किसान कार्प मछलियों का ही पालन कर सकते हैं. जिसमे की मुख्यतः रोहू, कतला, नैन, सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प, पंगेसियस, अमूरकार्प आदि मछलियां शामिल हैं. इनके पालन से किसान भाई परंपरागत खेती के मुकाबले दुगुना मुनाफा कमा सकते है.

अनुदान राशि की सहायता से मछली पालन में कमाए 13 से 14 लाख सालाना ,जाने क्या है अनुदान प्रक्रिया

मछली पालन करने से किसान खुश

मत्स्य निरीक्षक  का कहना है कि जिले के बहुत सारे किसान भाई मछली पालन के लिए सरकार की तरफ से दी जा रही कई योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं. मछली पालन करके किसान भाइयो की सारी आर्थिक समस्याए दूर हो गयी है. जिससे किसान भाई बेहद खुश है. खेती की अपेक्षा इसमें किसानो को ज्यादा लाभ होता है.

बोले मछली पालक

परंपरागत खेती में समय के साथ ही लागत भी अधिक लगती है. जिसके कारण उन्होंने खेती छोड़कर मछली पालन किया. इससे उन्हें ज्यादा लाभ हो रहा है. उन्होंने वर्तमान में 2 बीघा के तालाब में मछली पालन किया है, जिसकी उन्हें लगभग 9 लाख रुपये लागत आई है. जिसमे कई प्रकार की मछलिया है. 4 से 5 माह में लागत का दोगुना लाभ प्राप्त हो जाता है. कोयला निवासी रुकम पाल सिंह ने बताया कि उन्होंने पुरे 5 बीघा में मछली पालन किया है, जिसकी लागत 6.5 लाख रुपये प्रतिवर्ष आती है. इसमें एक ही प्रकार की मछली है. बात करे इनके मुनाफे की तो इन्हे 3 लाख रुपये प्रतिवर्ष का लाभ होता है. जो की परंपरागत खेती के मुकाबले ज्यादा है. वहीं मछली का आपूर्ति एटा, अलीगंज व अन्य नजदीकी शहरों में आसानी से हो जाती है.

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