बांधवगढ़ नेशनल पार्क के सफारी वाहनों में लगाए जाएंगे जीपीएस , हाई कोर्ट में जानकारी पेश

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जबलपुर (संवाद)। हाई कोर्ट में राज्य शासन की ओर से बांधवगढ़ पार्क के सफारी वाहनों में जीपीएस लगाने सैद्धांतिक सहमति दे दी गई। जिसे रिकार्ड पर लेकर हाई कोर्ट ने जनहित याचिका का पटाक्षेप कर दिया।मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की युगलपीठ ने ऐसा न होने की सूरत में नए सिरे से जनहित याचिका दायर करने स्वतंत्र कर दिया है। इस जानकारी पर गौर करने के बाद जनहित याचिका वापस ले ली गई।
हाई कोर्ट ने राज्य शासन के जवाब पर गौर करने के बाद कहा कि सरकार अन्य नेशनल पार्क की तर्ज पर बांधवगढ़ नेशनल पार्क में भी सफारी वाहनों में जीपीएस लगाने के लिए प्रतिबद्ध हो चुकी है। अब तक फंड की कमी के चलते यह कार्य नहीं हो सका है, लेकिन सरकार की मंशा जल्द ही सफारी वाहनों में जीपीएस लगाने की है। ऐसा इसलिए ताकि बाघों व अन्य जंगली जीवों के स्वच्छंद विचरण में बाधा उत्पन्न न हो।
बांधवगढ़ नेशनल पार्क में वाहन चलाने वाले कमलेश कुमार यादव की ओर से जनहित याचिका दायर की गई थी। उनकी ओरसे अधिवक्ता राजेश चंद ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि 2012 में केंद्र सरकार ने नेशनल पार्क व टाइगर रिज़र्व में बाघों के स्वच्छंद व उन्मुक्त विचरण सुनिश्चित करने के लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथारिटी (एनटीसीए) का गठन किया। एनटीसीए को नेशनल पार्क व टाइगर रिसर्व के अंदर वाहनों के परिवहन की व्यवस्था व उससे जुड़े नियम बनाने के अधिकार दिए गए। एनटीसीए ने 12 फरवरी, 2020 को इसके लिए नियम बनाए। इनके तहत नेशनल पार्क व टाइगर रिजर्व के अंदर सफारी वाहनों में जीपीएस लगाने के प्रावधान किए गए, ताकि उनके बीच कम से कम 500 मीटर की दूरी बनाए रखना सुनिश्चित कर वहां वाहनों की रेलपेल नियंत्रित की जा सके। नियमों के परिपालन में राज्य के पेंच, कान्हा आदि नेशनल पार्क में सफारी वाहनों में ये जीपीएस लगा दिए गए। लेकिन बांधवगढ़ पार्क में अभी भी सफारी वाहन बिना जीपीएस के दौड़ रहे हैं। बहस के दौरान तर्क दिया गया कि इसके चलते टाइगर या अन्य वन्यजीव दिखने पर एक ही जगह कई सफारी वाहन एकत्र हो जाते हैं। पर्यटकों के जमावड़े से बाघों व अन्य वन्यजीवों की नैसर्गिक जीवनचर्या बुरी तरह प्रभावित हो रही है। लिहाजा, सरकार को जल्द से जल्द बांधवगढ़ के सफारी वाहनों में जीपीएस लगाने के निर्देश दिए जाएं। सुनवाई के दौरान अफसरों के पत्राचार के अवलोकन के बाद कोर्ट ने पाया कि सरकार की मंशा सफारी वाहनों में जीपीएस लगाने की है, लेकिन फंड की कमी के चलते यह कार्य अब तक नहीं हो सका। इसके लिए प्रयास जारी हैं। इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कुछ दिन इंतजार करने को कहा। जल्द ही सफारी वाहनों में जीपीएस न लगने की सूरत में फिर याचिका दायर करने की छूट दी। इस पर याचिका वापस लेने का आग्रह किया गया। हाई कोर्ट ने आग्रह स्वीकार कर जनहित याचिका का पटाक्षेप कर दिया।
Source:nai duniya

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