एमपी सरकार भी प्रारंभ करेगी मप्र रत्न, मप्र गौरव और मप्र श्री पुरस्कार

0
318

सीएम ने पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित और गत वर्षों में सम्मानित प्रदेश की विभूतियों को किया सम्मानित

भोपाल (संवाद)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा है कि मध्य प्रदेश सरकार (Government of Madhya Pradesh) इस वर्ष से ‘मध्यप्रदेश रत्न’, ‘मध्यप्रदेश गौरव’ और ‘मध्यप्रदेश श्री’ पुरस्कार प्रारंभ करेगी। इस वर्ष ये पुरस्कार नवम्बर माह में प्रदान किये जायेंगे। ये पुरस्कार कला, संस्कृति, साहित्य, विज्ञान, चिकित्सा, शिक्षा आदि क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को दिये जायेंगे।

मुख्यमंत्री चौहान शुक्रवार शाम को अपने निवास पर इस वर्ष पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित एवं गत वर्षों में पद्म सम्मान प्राप्त कर चुकी प्रदेश की विभूतियों को सम्मानित कर रहे थे। उन्होंने इस वर्ष (जिनको 26 जनवरी को पद्म सम्मान दिये जाने की घोषणा की गई है) पद्म सम्मान प्राप्त करने वाली प्रदेश की पांच विभूतियों, स्व. डॉ. एनपी मिश्रा (उनके पुत्र सुनील मिश्रा), दुर्गाबाई व्याम, अर्जुन सिंह धुर्वे एवं पं. रामसहाय पाण्डे को सम्मानित किया। साथ ही गत वर्षों में पद्म सम्मान से सम्मानित मध्य प्रदेश की विभूतियों भज्जू श्याम, विजय दत्त श्रीधर, कपिल तिवारी एवं भूरीबाई को भी सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि पहले भारत सरकार द्वारा सीमित क्षेत्रों में पद्म सम्मान दिये जाते थे, परंतु नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों को पद्म सम्मान दिया जा रहा है। पहले यह सम्मान अभिजात्य वर्ग तक ही सीमित था, अब समाज के हर वर्ग को यह सम्मान प्राप्त हो रहा है। इसके लिये प्रधानमंत्री मोदी धन्यवाद के पात्र हैं।

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की जनता की ओर से आज पद्मश्री सम्मान प्राप्त करने वाली विभूतियों को सम्मानित करते हुए वे स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्व. डॉ. एनपी मिश्रा का नाम वे बचपन से सुनते आये हैं। जब उनके गांव जैत में कोई बीमार होता था, तो कहते थे डॉ. मिश्रा को भोपाल में जाकर दिखा लो। चिकित्सा क्षेत्र में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश और देश का नाम गौरवान्वित किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भज्जू श्याम एवं दुर्गाबाई व्याम गोंडी चित्रकला के क्षेत्र में विशिष्ट नाम हैं। सारी दुनिया में इनकी कला की सराहना हो रही है। मेरे दरवाजे पर गोंडी पेंटिंग भी लगी हुई है। प्रकृति एवं लोक-कलाओं पर आधारित इनके चित्र अत्यंत विशिष्ट हैं।

उन्होंने कहा कि अर्जुन सिंह धुर्वे का जनजातीय संस्कृति को विशेष पहचान दिलाने में अमूल्य योगदान है। नृत्य हमारी संस्कृति का प्रतीक है। जनजातीय भाई आज में जीते हैं, कल की परवाह नहीं करते। मैं भी जब जनजातीय क्षेत्र में जाता हूं, तब अर्जुन सिंह धुर्वे एवं अन्य जनजातीय कलाकारों के साथ थोड़ा नृत्य भी कर लेता हूं।

चौहान ने कहा कि पंय रामसहाय पाण्डे ने राई नृत्य को नया स्वरूप एवं सम्मान दिया है। उन्होंने इस नृत्य को दुनिया में पहचान दिलाने के लिये काफी कष्ट सहे हैं। वे पूर्ण कलाकार हैं। आज भी जब वे मुख्यमंत्री निवास सम्मान लेने आये हैं, तब उनके पैर थिरक रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पत्रकारिता एवं लेखन के क्षेत्र में विजयदत्त श्रीधर देश में अपनी अलग पहचान रखते हैं। उन्होंने सप्रे संग्रहालय की स्थापना की है, जो अत्यंत उपयोगी है। कपिल तिवारी बड़े विद्वान हैं और कला की परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने जनजातीय संस्कृति के संरक्षण और विकास में अमूल्य योगदान दिया है। मुख्यमंत्री ने सभी विभूतियों से अनुरोध किया कि वे पेड़ लगाने एवं पर्यावरण संरक्षण में अपना पूरा योगदान दें।

कार्यक्रम में पूर्व में पद्म सम्मान से सम्मानित और इस वर्ष चयनित विभूतियों के परिजन, प्रमुख सचिव एवं जनसम्पर्क आयुक्त राघवेन्द्र सिंह, जनसम्पर्क संचालक आशुतोष प्रताप सिंह उपस्थित थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here