Wild Life बांधवगढ़ प्रबंधन की नाकामी, बाघों की नहीं कर पा रहा निगरानी,दो दिन में 2 बाघों की मौत से मचा हड़कंप

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Bandhavgarh Tiger Rijarve (संवाद)। टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त मध्य प्रदेश और उसके अंतर्गत आने वाले सबसे ज्यादा बाघों की संख्या में नंबर वन बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की निगरानी में लगे बांधवगढ़ प्रबंधन का भारी भरकम अमला नाकाम साबित हो रहा है। लगातार दो दिनों में दो बाघों की मौत से जहां बांधवगढ़ प्रबंधन में हड़कंप मचा हुआ है,वहीं वन्य प्राणी प्रेमियों में निराशा दिखाई दे रही है।

Wild Life: भारी भरकम अमला के बावजूद बांधवगढ़ प्रबंधन बाघों की नहीं कर पा रहा निगरानी,दो दिन में 2 बाघों की मौत से मचा हड़कंप

दरअसल मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व में बांधवगढ़ बाघों का सबसे घनत्व वाला टाइगर रिजर्व है। लेकिन साल भर में सबसे ज्यादा बाघ की मौत मामले में बांधवगढ़ नंबर वन साबित हो रहा है। साल 2023 में बांधवगढ़ में दर्जन वर्सेस ज्यादा बाघों की असमय मौत हो चुकी है। लेकिन बांधवगढ़ प्रबंधन का भारी भरकम अमला बाघो की निगरानी करने में नाकाम साबित हो रहा है। तभी तो प्रबंधन और उसके अमले को बाघ की जानकारी नहीं होने और बाद में गस्ती दल को मृत अवस्था में बाघ का शव मिलने का सिलसिला जारी है।

Wild Life: भारी भरकम अमला के बावजूद बांधवगढ़ प्रबंधन बाघों की नहीं कर पा रहा निगरानी,दो दिन में 2 बाघों की मौत से मचा हड़कंप

इसी क्रम में मंगलवार को एक नर बाघ का शव ताला परिक्षेत्र के किला के पास शेष शैया बीट में बरामद किया गया है। वही दूसरे दिन यानी आज बुधवार को भी एक बाघिन का शव ताला वन परिक्षेत्र अंतर्गत महामन बीट के क्रमांक 315 में बरामद किया गया है। 2 दिन में लगातार दो बाघों की मौत ने जहां प्रबंधन के कान खड़े कर दिए हैं वहीं प्रबंधन दोनों मामले में बांधवगढ़ प्रबंधन की ओर से बाघों के आपसी संघर्ष में मौत होने की वजह बताई है।

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अब बड़ा सवाल यह कि जब बाघ सहित अन्य वन प्राणियों के लिए अमला तैनात है। बावजूद इसके अचानक मृत अवस्था में बाघ का शव मिलना कहीं ना कहीं प्रबंधन की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान है। जबकि प्रबंधन की जवाबदेही है कि वह सतत बाघों की निगरानी करें। लेकिन यहां बाघ की मौत हो जाती है बाद में जब वह बदबू देने लगता है तब गश्ती दल को बाघ की मौत की खबर लगती है। प्रबंधन और उसके अमले को बाघ की मौत से पहले उसके बीमार होने या चोट लगने के समय जानकारी हो जाए तो उनका इलाज के माध्यम से  जान बचाई जा सकती है।

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लेकिन बांधवगढ़ प्रबंधन के द्वारा जब भी किसी टाइगर की मौत होती है तब वह अपनी नाकामी छिपाने के लिए षड्यंत्र रचने लगता है। प्रबंधन के द्वारा अक्सर बाघों की मौत मामले में मौत का कारण दो बाघों के बीच आपसी संघर्ष का रटा रटाया जवाब देकर मामले से पल्ला झाड़ते दिखाई देते हैं। जबकि कई मामलों में मौत की वजह कुछ और होती है। हालांकि यह भी माना जा सकता है कि कुछ बाघ की मौत आपसी टेरिटरी को लेकर संघर्ष में मौत हो जाती है। लेकिन हर बार बाघ की मौत का कारण यही नहीं होता है.?

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