Umaria News: यहां जानिए प्रसिद्ध माँ ज्वालाधाम उचेहरा वाली की कथा एवं इतिहास

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उमरिया (संवाद)। उमरिया जिले की प्रसिद्ध एवं सभी की मन्नतें पूरी करने वाली मां ज्वाला धाम उचेहरा के बारे में विस्तार से उल्लेख किया गया है।  जिले के नौरौजाबाद रेलवे स्टेशन से 4 किलोमीटर उत्तर में स्थित माँ ज्वाला उचेहराधाम शक्ति पीठ विराजमान है जो ना केवल मध्यप्रदेश बल्कि पुरे भारत वर्ष में अपनी विशेषताओं और देवीय शक्ति के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान आदिकाल से घोड़क्षत्र नदी के तट पर घनघोर और विकराल जंगल के बीच विलुप्त अवस्था में मौजूद था। इसी स्थान पर अब से दशक पूर्व माँ ज्वाला धाम मंदिर का पुनर्निर्माण उचेहरा के निवासियों द्वारा किया गया।

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कहा जाता है कि उचेहरा गाँव के निवासी भंडारी सिंह माँ ज्वाला का परम भक्त है जो घोड़क्षत्र नदी के तट पर घने और विकराल जंगल में नित-प्रतिदिन सुबह-शाम माँ ज्वाला की पूजा करने जाया करता था। माँ ज्वाला उनकी श्रद्धा तथा भक्ति से अति प्रसन्न हुयी और एक दिन जब भंडारी सिंह सो रहे थे तो माँ जवाला स्वप्न में आकर बोली
हे भंडारी उठो मैं तुम्हारी भक्ति से अति प्रसन्न हूँ। माँगो तुम्हें क्या चाहिए ।

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भंडारी सिंह ने सर्प्रथम माँ ज्वाला को हाथ जोड़ नमस्कार किया तथा बोला माँ मुझे धन-दौलत और दुनिया की तमाम सुख शोहरत से कोई सरोकार नही है। माँ आपका दर्शन पाके मेरा जीवन धन्य हो गया माँ आपने दर्शन देके मेरी भक्ति को पूर्ण कर दिया इसके अतिरिक्त मुझे कुछ नही चाहिए । माँ ने कहा, जो भक्त सच्चे दिल से माँ ज्वाला की भक्ति और सेवा करता है, उसकी हरेक मनोकामना पूर्ण कर मनोवांछित फल देती हूँ अतः तुम्हें भी ये वरदान पाने का अधिकार है ।

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भंडारी सिंह ने कहा, माँ मुझे सद्बुद्धि दे कि मैं युही आपकी भक्ति और आपकी सेवा ताउम्र करू और वर दे माँ कि आप शक्ति रूप में हमारे बीच हमेशा मौजूद रहे ताकि मेरी श्रद्धा और भक्ति में कभी कोई कमी ना आ पाये। माँ ज्वाला ने कहा,ऐसा ही होगा । हे भंडारी घोड़क्षत्र नदी के तट पर जहा मैं आदिकाल में विराजमान थी वहां पर मेरा पुनः प्रादुर्भाव होगा। तुम इस स्थान पर माँ ज्वाला की एक मंदिर बनवाओ और मेरी भक्ति इसी तरह निःस्वार्थ भाव से करते रहो तथा माँ ज्वाला शक्ति-पीठ धाम का प्रचार-प्रसार देश-दुनिया में फैलाओ। आगे का मार्ग मैं प्रशस्त करती रहूंगी।

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भंडारी सिंह ने कहा, माँ आपके आज्ञा का पालन अवश्य होगा। माँ जवाला ने कहा, इस स्थान पर जो भक्त सच्चे दिल से किसी भी प्रकार की मनोकामना करेगा उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी। कोई भक्त इस स्थान से खाली हाथ नही लौटेगा। भंडारी सिंह ने माँ ज्वाला को प्रणाम कर कहा आपकी लीला अपरम्पार है माँ आपको सत-सत बार मेरा प्रणाम। माँ ज्वाला तथास्तु कहके अंतर्ध्यान हो गयी।

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तदुपरांत, भंडारी  जी ने माता के वचनो को गाँव वालो के समक्ष प्रस्तुत किया तथा उनसे सहमति जानना चाहा। उचेहरा गाँव के लोगो ने माँ की इच्छा को पूर्ण करने के लिए मंदिर निर्माण में हर संभव सहायता करने का आश्वासन दिया। महराज जी और गाँववालो ने माँ के आज्ञा का पालन करते हुए घोड़क्षत्र नदी के तट पर जाकर करौंदा वृक्ष के पास घने जंगल में आदिकाल से स्थित माँ ज्वाला के स्थान तथा उनके आस-पास साफ-सफाई किया जहाँ करौंदा वृक्ष के नीचे माँ ज्वाला कि प्रतिमूर्ति स्थापित था तथा इसी स्थान पर माँ ज्वाला के नाम से एक महायज्ञ का आयोजन किया गया जिसमे देश के विभिन्न हिस्सों से पंडितो और पुरोहितो को बुलाया गया। इस महायज्ञ में लाखो की तादात में श्रद्धालु भक्त, साधु-संत आये।

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इस महायज्ञ के बाद माँ ज्वाला धाम शक्तिपीठ का चमत्कार देश दुनियाँ में बढ़ने लगा।  तभी से इस स्थान पर सैंकड़ो श्रद्धालु प्रतिदिन माँ जवाला के दर्शन को आते है। माँ ज्वाला के मंदिर में प्रत्येक सोमवार को विशेष अरदास एवं भंडारे का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर हवन कुण्ड में आहुति दी जाती है, सामूहिक सत्यनारायण भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है।  श्रद्धालु अपनी अरदास माँ ज्वाला के समक्ष रखते है तथा जिनकी पूर्व की रखी गयी अरदास पूरी हो जाती है वो भक्त विशेष गाजा-बाजा के साथ माँ ज्वाला की परिक्रमा लगाते है।

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महीने में एक बार पूर्णिमा के पश्चात पड़ने वाले मंगलवार या शनिवार को माँ ज्वाला की सवारी आती है जिनमे श्रद्धालु संतान प्राप्ति, रोग से ग्रस्त रोगी, नौकरी, व्यापार, शादी-विवाह व् आर्थिक समस्या से सम्बंधित अरदास करते है। माता के भक्त उचेहरा निवासी श्री राम नाथ पंडा जी द्वारा माँ ज्वाला की मासिक सवारी का नेतृत्व किया जाता है। माँ ज्वाला की कृपा से सभी भक्तो को मनोवांछित फल प्राप्त होता है।

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प्रत्येक वर्ष जनवरी की पहली तारीख को माँ ज्वाला मंदिर की स्थापना का वार्षिक महोत्सव मनाया जाता है। इस दिन माँ ज्वाला की विशेष पूजा की जाती है तथा माँ ज्वाला की झांकी निकाली जाती है और भंडारे का आयोजन किया जाता है श्रद्धालु गण प्रत्येक सोमवार को भंडारा करवाते है भंडारे में तीन प्रकार का प्रसाद माँ को भेंट की जाती है। जिनमे प्रथम राज भोग जिसमे खिचड़ी का प्रसाद, दूसरा मोहन भोग जिसमे दूध से बने खीर का प्रसाद तथा तीसरा देवी भोग जिसमे हलवा-पूरी का प्रसाद भक्तो के बीच में बांटा जाता है। रात्रि में माँ ज्वाला के लिए जागरण समारोह किया जाता है जिसमे क्षेत्र के भिन्न-भिन्न धार्मिक कलाकरों द्वारा माँ ज्वाला के लिए गायन नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है ।

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माँ ज्वाला धाम में साल में दो बार नवरात्र पूजा का आयोजन किया जाता है। चौत नवरात्र तथा अश्विन नवरात्र में जौ-जयंती कलश स्थापित किया जाता है तथा नवरात्र के नौ दिन माँ ज्वाला के नौ रूपों की पूजा पुरे श्रद्धा-भाव से की जाती है। माँ ज्वाला धाम में हिन्दू सनातन धर्म के सभी धार्मिक पूजा और उत्स्व जैसे वैसाखी, सावन सोमवारी, कृष्ण जन्म, गणपति पूजा, दीपावली, मकर संक्रांति, सरस्वती पूजन और महाशिवरात्रि, होली आदि बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। माँ ज्वाला धाम में आयोजित सभी धार्मिक कार्यो को सुचारू रूप से माँ ज्वाला सेवा समिति के अध्यक्ष और प्रमुख पुजारी महराज भंडारी सिंह जी के सानिध्य में सेवादारो द्वारा पूर्ण किया जाता है।

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यात्रा के लिए उत्तर भारत के श्रद्धालु नई दिल्ली के निजामुद्दीन स्टेशन से रेल गाड़ी से नरौजाबाद स्टेशन उतर कर जीप व् टैक्सी से माँ ज्वाला धाम पहुँच सकते है। पूर्व भारत के लोग रेल यात्रा से कटनी पहुंच सकते है वहा से नियत अंतराल पर नरौजाबाद के लिए लोकल रेल की सेवा उपलब्ध है। पश्चिम और दक्षिण भारत से आने वाले भक्त भोपाल के रास्ते नरौजाबाद पहुंच सकते है।

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नौरौजाबाद से आपको आसानी से उचेहरा में माँ ज्वाला के दर्शन के लिए गैर सरकारी वाहन मिल जाएगा। मंदिर परिसर पहुचने पर माँ ज्वाला धाम का विशाल मुख्य द्वार है इस मुख्य द्वार के रास्ते आप मंदिर परिसर में पहुँचते है जहा पार्किंग की उचित व्यवस्था है। सभी प्रकार के वाहन जैसे दोपहिया, चार पहिया आदि आप पार्किंग परिसर में पार्क कर सकते है। पार्किंग के साथ चप्पल-जूतो के लिए लाकर सुविधा है। आप अपने चप्पल-जूते सहित अन्य समान को इस लॉकर रूम में सुरक्षित रख सकते है। वाहन पार्किंग के दाहिने साइड में कुछ दूर पर प्रसाधन सुविधा है जहा पर आप स्नान ध्यान से पवित्र हो सकते है। पार्किंग परिसर में ढेर सारी दुकान है। जिनमे प्रसाद, चुनरी, महिलाओं के लिए श्रृंगार सम्बधित दुकान तथा जलपान गृह है। माँ ज्वाला की पूजा-अर्चना के लिए प्रसाद व् पूजा की अन्य समाग्री यहाँ से आप खरीद सकते है।

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पार्किंग परिसर से माँ ज्वाला धाम के मुख्य मंदिर के लिए रास्ता है। जिस राह पर चलते हुए आप मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुँचते है जहा शनि देव और भैरव जी की मूर्ति स्थापित है। मुख्य द्वार पर शनि देव और भैरव देव की पूजा करने के पश्चात भक्त गण मंदिर के अंदर में प्रवेश करते है। मंदिर में माँ ज्वाला की पिंडी रूप में स्थापित मूर्ति की पूजा भक्त गण निष्ठा भाव से करते है। माँ ज्वाला की पूजा-अर्चना के लिए पंडित जी सेवारत है। माँ ज्वाला के समीप हनुमान जी की विशाल मूर्ति विराजमान है। भक्तगण हनुमान जी की पूजा कर उनके आशीर्वाद का भागीदार बनते है।

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मंदिर में आदि काल से पीपल का एक वृक्ष है। श्रद्धालु पीपल वृक्ष की पूजा करते है। पीपल वृक्ष के समीप से ही मंदिर से बाहर जाने का रास्ता है। मंदिर के बाहर नरियल तोड़ने का घर है जहाँ मंदिर के सेवादार नारियल तोड़ने की सेवा में मौजूद रहते है। नारियल तोड़ने के बायीं ओर थोड़ी दूर पर राधा-कृष्ण जी का मंदिर अति मोहक है। भक्त जन राधा-कृष्ण जी की पूजा करने के पश्चात कैलाश धाम की और अग्रसर होते है उचेहरा गाँव के घोड़क्षत्र  नदी के तट पर भगवान शिव जी विराजमान है। भक्त गण कैलाश धाम में भगवान शिव जी की पूजा करने के पश्चात भारत माता मंदिर की और अग्रसर होते है। पार्किंग परिसर के समीप भारत माता की मंदिर है।

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यहाँ से भक्त गण  मंदिर के गौशाला जा सकते है जो माँ ज्वाला धाम के विशाल मुख्य द्वार के पास है। इस गौशाला में तत्काल 58 गाये है। गौ माता की पूजा करने के पश्चात भक्तो का पूजा-अर्चना सम्पन्न होती है। मंदिर परिसर में ठहरने के लिए धर्मशाला की उचित व्यवस्था है। मंदिर परिसर पूरी तरह से सीसीटीवी की निगरानी में है। इसके अलावा सुरक्षा गार्ड को मंदिर के हर कोने में तैनात किया गया है। पानी, प्रसाधन खाने- पीने और ठहरने के लिए माँ ज्वाला धाम मंदिर समिति द्वारा उचित व्यवस्था किया गया है। जिससे आपको किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।

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