Umaria (संवाद)। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में उमरिया जिले की प्रमुख बांधवगढ़ विधानसभा सीट का चुनाव इस बार कुछ नए समीकरण को लेकर सामने आने वाला है। जबकि यहां पर काफी समय पहले से मुख्य रूप से भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला होते आया है। यह जरूर है कि सन 2003 से लगातार यहां से बीजेपी कैंडिडेट की जीत होती आई है। लेकिन इस बार गोंगपा उम्मीदवार का बढ़ता जनाधार किसका करेगा बेड़ापार.?
Umaria News: बाला का बढ़ता जनाधार किसका करेगा बेड़ापार,यहां जानिए बांधवगढ़ सीट में किस कदर बेड़हा पड़े गोंगपा कैंडिडेट बाला सिंह
दरअसल इस बार 2023 के विधानसभा चुनाव में बांधवगढ़ विधानसभा में अपनी जड़ जमा चुकी भारतीय जनता पार्टी 0 लेकिन इसमें सबसे प्रमुख बात यह की 2003 के विधानसभा चुनाव और उसके बाद परिसीमन के बाद से लगातार बीजेपी के उम्मीदवार विधायक बनते आए हैं। हालांकि इसके पीछे की वजह यह रही की प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश का विकास और आम जनता के लिए चलाई गई जनहितकारी योजनाएं प्रमुख रही हैं।
Umaria News: बाला का बढ़ता जनाधार किसका करेगा बेड़ापार,यहां जानिए बांधवगढ़ सीट में किस कदर बेड़हा पड़े गोंगपा कैंडिडेट बाला सिंह
लेकिन इस बार के 2023 विधानसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चेहरे को लेकर बदलाव की स्थिति दिखाई दे रही थी इसी के साथ प्रदेश भर में सत्ता परिवर्तन को लेकर एक माहौल बना हुआ था कांग्रेस पार्टी भी इसी माहौल को बनाए रखने के लिए जहां एक जुटता का परिचय दिया। वही लगातार चुनाव तक इस माहौल को बनाए भी रखा है।
Umaria News: बाला का बढ़ता जनाधार किसका करेगा बेड़ापार,यहां जानिए बांधवगढ़ सीट में किस कदर बेड़हा पड़े गोंगपा कैंडिडेट बाला सिंह
चूंकि पूरे प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के खिलाफ बने माहौल को भाजपा भी भांप चुकी थी। और वह लगातार प्रदेश में अपने खिलाफ बने माहौल को बदलना चाहती थी, जिसके लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला। जिसमें उन्होंने प्रदेश की आधी आबादी को साधने के लिए लाडली बहन योजना बनाकर महिलाओं को आर्थिक रूप से सीधे लाभ पहुंचाया जाने लगा।
Umaria News: बाला का बढ़ता जनाधार किसका करेगा बेड़ापार,यहां जानिए बांधवगढ़ सीट में किस कदर बेड़हा पड़े गोंगपा कैंडिडेट बाला सिंह
मध्य प्रदेश में निश्चित रूप से शिवराज सिंह चौहान के द्वारा लाडली बहन योजना के माध्यम से महिलाओं को दिए जा रहे रुपयों से उनके खिलाफ बने माहौल को कुछ हद तक साध लिया है और शायद यही वजह है कि चुनाव के दौरान और उससे पहले जहां कांग्रेस के प्रति पूरे प्रदेश में एक तरफा माहौल रहा है। वहीं वह माहौल चुनाव के मतदान आते-आते कुछ हद तक कम हो गया था। जिसको लेकर तमाम टीवी चैनलों और सर्वे एजेंसियों के द्वारा हाल ही में दिखाए गए एग्जिट पोल में भी लाडली बहन का खासा असर दिखाया है।
Umaria News: बाला का बढ़ता जनाधार किसका करेगा बेड़ापार,यहां जानिए बांधवगढ़ सीट में किस कदर बेड़हा पड़े गोंगपा कैंडिडेट बाला सिंह
लेकिन उमरिया जिले की बांधवगढ़ विधानसभा की बात करें तो यहां भी मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच होना है। हालांकि कांग्रेस की उम्मीदवार सावित्री सिंह के पक्ष में पूरे क्षेत्र में जबरदस्त माहौल बना हुआ था और इस बार उनकी जीत पक्की मानी जा रही है। लेकिन इस बीच एक नए समीकरण के आ जाने से कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री सिंह की आसान जीत को कांटे की टक्कर में ला दिया है।
Umaria News: बाला का बढ़ता जनाधार किसका करेगा बेड़ापार,यहां जानिए बांधवगढ़ सीट में किस कदर बेड़हा पड़े गोंगपा कैंडिडेट बाला सिंह
कांग्रेस पार्टी से टिकट की दावेदारी कर रहे दो अन्य संभावित प्रमुख प्रत्याशी सतीलाल बैगा कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए। तो वहीं बाला सिंह टेकाम को टिकट नहीं मिलने की स्थिति में वह गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से चुनावी मैदान में उतर गए। हालांकि बाला सिंह टेकाम का जिस एरिया में जनाधार माना जा रहा था, उस एरिया में भाजपा के प्रति भारी नाराजगी रही है। ऐसे में बाला सिंह टेकाम के द्वारा चुनाव मैदान में उतर जाना उन नाराज वोट को कांग्रेस की तरफ नहीं जाने दिया बल्कि वह उसे अपने पक्ष में डायवर्ट किया है।
Umaria News: बाला का बढ़ता जनाधार किसका करेगा बेड़ापार,यहां जानिए बांधवगढ़ सीट में किस कदर बेड़हा पड़े गोंगपा कैंडिडेट बाला सिंह
इसके अलावा भी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से कैंडिडेट बाला सिंह टेकाम को पूरे विधानसभा क्षेत्र से कहीं ज्यादा तो कहीं काम वोट मिले हैं। लेकिन इस बीच सबसे अहम बात यह कि गोगपा कैंडिडेट बाला सिंह टेकाम ने जहां बीजेपी के वोट बैंक पर जमकर सेंध लगाई है। लेकिन उनके बढ़ते वोटों का जनाधार कहीं कांग्रेस को भी ना नुकसान पहुंचा दे। गोंडवाना उम्मीदवार बाला सिंह टेकाम के लिए यह भी कहा जा रहा है कि वह भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टी के बीच में बेड़हा पड़े हैं। बहरहाल यह तो अंदेशा और अनुमान के तहत बात की जा रही है। फाइनल नतीजे 3 दिसंबर को मतगणना के उपरांत ही सामने आ सकेंगे।