Umaria: गेहूं की कमी बताकर राशन दुकानों से नहीं बांटा गया गेहूं, इधर हजारों क्विंटल सड़ गया गेहूं, कलेक्टर ने जांच कर कार्यवाही करने की कही बात

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उमरिया (संवाद)। मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में हजारों क्विंटल गेहूं के सड़ जाने की खबर चर्चा का विषय बनी हुई है। जबकि पूर्व के कुछ महीनो में राशन दुकानों में गेहूं की कमी बात कर सिर्फ चावल बांटा जा रहा था। लेकिन अब हजारों क्विंटल सड़ा गेहूं देखकर सभी आश्चर्य चकित हैं। हालांकि यहां किसके द्वारा चूक या लापरवाही की गई है यह जांच का विषय है। कलेक्टर के द्वारा मामले की जांच कर कार्यवाही करने की बात कही जा रही है।

Umaria: गेहूं की कमी बताकर राशन दुकानों से नहीं बांटा गया गेहूं, इधर हजारों क्विंटल सड़ गया गेहूं, कलेक्टर ने जांच कर कार्यवाही करने की कही बात

दरअसल यह पूरा मामला उमरिया जिले के मानपुर तहसील अंतर्गत खुटार ओपन कैंप का बताया जा रहा है। जहां 4000 मीट्रिक टन गेंहू पूरी तरह खराब हो गया है। जानकारी के मुताबिक कैप में रखे भंडारित गेंहू के रखरखाव में लापरवाही बरती गई जिस वजह से गेंहू में कीड़े लग गए है। कुछ गेहूं का स्टॉक बारिश और नमी के कारण सड़ गया है। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो वर्तमान में 70 से 75 फीसदी गेंहू उपयोग के लायक ही नही है।

Umaria: गेहूं की कमी बताकर राशन दुकानों से नहीं बांटा गया गेहूं, इधर हजारों क्विंटल सड़ गया गेहूं, कलेक्टर ने जांच कर कार्यवाही करने की कही बात

बताया गया कि उक्त भंडारित गेंहू करींब डेढ़ साल पहले अप्रैल 2022 में उक्त कैप में भंडारित किया गया था,और इसके रखरखाव की जिम्मेदारी निजी कम्पनी ग्रीन ग्रो के हाथों में दी गई थी। इस पूरे मामले में मप्र वेयर हाउसिंग एवम लॉजिस्टिक कॉर्पोरेशन के प्रबंधक अरविंद सिंह ने बताया कि किन्ही कारणों से कॉर्पोरेशन ने निजी कम्पनी ग्रीन ग्रो को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है,जिसके बाद अभी जनवरी माह से कॉर्पोरेशन ने कैप को अपने हाथों में ले लिया है।

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जिसके बाद वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन के द्वारा अपने हाथों में लेने से पूर्व भौतिक सत्यापन नही कराया,जिससे यह साफ नही है कि भारी मात्रा में रखा भंडारित गेंहू कितना खराब हुआ है। विभाग भी इस पूरे मामले में गोलमोल जवाब दे रहा है। विभागीय सूत्रों की माने तो कैप में रखा भंडारित गेंहू महज 3 माह तक ही उपयोग के लायक होता है। जबकि यहाँ करींब डेढ़ वर्ष से बड़ी मात्रा में गेंहू भंडारित रहा है। लेकिन विभाग लापरवाह बना रहा।

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बहरहाल पूरे मामले में कलेक्टर बुद्धेष कुमार वैद्य के द्वारा त्वरित जांच की कराकर दोषियों के ऊपर कार्यवाही करने की बात कही गई है। देखना होगा हजारों क्विंटल गेहूं की बर्बादी के पीछे प्रशासन का शिकंजा कहां और किसके गले तक पहुंचता है। या कार्यवाही के नाम पर सिर्फ कागजी लीपापोती तक सिमट कर रह जाता है।

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