MP News:अफसरों को चढ़ा चुनाव लड़ने का भूत,कुछ इस्तीफा देकर तो कुछ को रिटायरमेंट के बाद लगा राजनीति का चस्का

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MP (संवाद)। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव अगले नवंबर माह में कराए जाने हैं, जिसे लेकर चुनाव आयोग के द्वारा प्रदेश में आचार संहिता लागू कर दी गई है। इसी के साथ आयोग ने चुनावी तिथियों का भी ऐलान कर दिया है। अबकी बार के विधानसभा चुनाव में शासकीय सेवाओ में पदस्थ या रिटायर्ड अफसरों की रुचि राजनीति में कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रही है। हालांकि यह कोई नई बात नहीं है इसके पहले भी कई बार अफसर राजनीति क्षेत्र में जाते देखे गए हैं।

MP News:अफसरों को चढ़ा चुनाव लड़ने का भूत,कुछ इस्तीफा देकर तो कुछ को रिटायरमेंट के बाद लगा राजनीति का चस्का

दरअसल मध्य प्रदेश के शहडोल संभाग में कमिश्नर के पद पर पदस्थ वरिष्ठ आईएएस राजीव शर्मा को लेकर पूरे प्रदेश में कुछ ज्यादा ही चर्चा का विषय बना हुआ है। चूंकि राजीव शर्मा विधानसभा चुनाव 2023 के सर गर्मियों के दौरान सेवा से इस्तीफा देने के पीछे की वजह राजनीति में जाने को लेकर रही है। उनके द्वारा इस्तीफा देते ही पूरे प्रदेश में राजीव शर्मा को विधानसभा चुनाव में उतरने और चुनाव लड़ने की चर्चा आम हो चुकी है।

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इसके अलावा छतरपुर जिले में मध्य प्रदेश प्रशासनिक सेवा की अधिकारी निशा बांगरे का इस्तीफा तो प्रदेश में भूचाल मचा दिया है उनके द्वारा बीते चार माह पूर्व ही अपना इस्तीफा सरकार को भेज दिया था लेकिन उनका इस्तीफा आज तक मंजूर नहीं किया गया। अधिकारी निशा बांगरी लगातार शासन से इस्तीफा मंजूर करने की मांग करती रही है। बावजूद इसके उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया जा सका है। जबकि निशा बांगरी के द्वारा प्रारंभ से ही स्पष्ट कर दिया गया था कि वह अपनी सेवा से इस्तीफा देकर विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहती हैं।

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डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे का इस्तीफा मंजूर नहीं होने की स्थिति में वह लगातार कई बार राज्य शासन को आडे हाथों लिया है, मीडिया के माध्यम से भी लगातार वह सुर्खियों में रही है। उनका इस्तीफा मंजूर नहीं होने की स्थिति में उन्होंने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था लेकिन वहां से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली है। बीते दिनों उन्होंने इसको लेकर एक पैदल यात्रा भी शुरू की थी जिसमें वह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलकर इस्तीफा मंजूर किए जाने की चर्चा करने वाली थी लेकिन सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों के द्वारा उन्हें रास्ते में ही रोक दिया गया।

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पैदल मार्च के दौरान निशा बांगरे और उनके समर्थकों के बीच पुलिस के साथ झडप भी हुई है, पुलिस कर्मियों के द्वारा उन्हें रोके जाने पर वह जबरदस्ती आगे बढ़कर जाना चाहती थी। इस दौरान पुलिस ने निशा बांगरे को गिरफ्तार भी कर लिया था पुलिस ने उनके ऊपर विभिन्न धारा में मामला दर्ज कर जेल भेज दिया था। इसके बाद निशा बांगरे दूसरे दिन जमानत पर रिहा हुई है। बीते तीन-चार महीने से चल रहे इस हाई प्रोफाइल ड्रामे को लेकर जहां निशा बांगरी मुखर है। वहीं राज्य शासन उनके इस्तीफा को ठंडे बस्ती में डाल दिया है। इस दौरान मिश्रा बांगरी ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खट खटाएंगी।

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वही देखा जाए तो शासकीय सेवा में पदस्थ अफसर को अब राजनीति का चस्का लगने लगा है कई अधिकारी रिटायरमेंट होने के बाद राजनीति में आए हैं और वह है इस बार के विधानसभा चुनाव में अपनी उम्मीदवारी कर किस्मत आजमाना चाहते हैं। इसके पहले भी कई अफसर ने अपनी शासकीय सेवाओं से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ा है। रिटायरमेंट के बाद चुनाव लड़ने वालों की लिस्ट थोड़ा लंबी दिखाई दे रही है।

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