प्रेमानंद महाराज जी के प्रवचन सुन कर आर्मी छोड़ कर बने शिष्य , जानिए उनके बारे में ?

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नमश्कार बहन और भाइयो आपका आज के इस आर्टिकल में स्वागत है , प्रेमानंद महाराज जी एक ऐसे आध्यात्मिक गुरु हैं जिनकी वाणी का प्रभाव न केवल उनके अनुयायियों पर बल्कि व्यापक समाज पर भी महसूस किया जाता है। उनके प्रवचनों को सुनने की प्यास हर व्यक्ति में देखी जाती है, और उनकी उपस्थिति के लिए लोग दूर-दूर से यात्रा करते हैं। महाराज जी के विचार जीवन की जटिलताओं को सरल और सुलभ बनाते हैं, और उनके शिक्षण के प्रति लोगों का आदर अत्यधिक है।

प्रेमानंद महाराज जी के प्रवचन सुन कर आर्मी छोड़ कर बने शिष्य , जानिए उनके बारे में ?

महाराज जी का व्यक्तित्व अत्यंत निर्मल और साफ है, जो उनके प्रवचनों की गहराई को और भी बढ़ा देता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाराज जी की सेवा में लगे उनके शिष्य भी अपने आप में एक विशेष पहचान रखते हैं?

उनके शिष्यों में ऐसे लोग शामिल हैं जो पेशेवर दुनिया में नाम कमा चुके हैं—डॉक्टर, इंजीनियर, और चार्टर्ड अकाउंटेंट जैसे विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले। ये लोग बड़े-बड़े कंपनियों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं, लेकिन उनके दिल में महाराज जी के प्रति अपार श्रद्धा और समर्पण है।

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आर्मी में नौकरी करते थे बाबा नवल गिरी

नवनागरी बाबा जी मूल रूप से पाठनकोट पंजाब के निवासी हैं और पहले वह आर्मी में नौकरी किया करते थे। इसके साथ ही उनके पिता भी आर्मी में अफसर थे। लेकिन 2017 में महाराज जी के प्रवचनों से प्रेरित होकर नौकरी छोड़ संस्यासी का भेष धारण कर लिया। अब महाराज जी के सेवा में ही रहते हैं। उन्होंने साल 2008 से 2017 तक आर्मी में अपनी सेवाएं दी हैं।

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प्रेमानंद महाराज के प्रवचनों से आनंद की हुई प्राप्ति

जब वे साल 2016 में वृंदावन आए तो प्रेमानंद महाराज के प्रवचन सुनकर उनको आनंद की अनुभूति हुई और फिर वह लगातार 2-3 दिन उनके प्रवचन सुने। जिससे उनको बहुत अच्छा लगा और असली आनंद की प्राप्ति हुई।
जिस समय वह वृंदावन आए थे तो उस समय कारगिल में पोस्टेड थे। लेकिन जब उन्होंने प्रेमानंद महाराज को सुना तो उन्होंने साधु धर्म अपनाने का फैसला किया और तब से वह वहीं पर रहने लगे।

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