MP (संवाद)। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का यह बयान बेहद चौंकाने वाला आया है जहां वह लाडली बहनों से मुलाकात के बाद कहा कि अपने लिए कुछ मांगने से बेहतर है मर जाना.? पूर्व मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद पूरे प्रदेश में इसके अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। इस दौरान जहां बहाने सीएम शिवराज से लिपटकर फफक-फफक कर रोने लगी वही शिवराज भी भावुक हो गए।
Breaking News: अपने लिए मांगने से बेहतर है मर जाना,आखिर पूर्व सीएम शिवराज के इस बयान के क्या है मायने.? बहनो से मुलाकात के दौरान भावुक हुए शिवराज
दरअसल हाल ही में सम्पन्न हुए मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जिस तरीके से भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में प्रचंड बहुमत मिली है इसके लिए भले ही पीएम नरेंद्र मोदी की गारंटी शाहिद नरेंद्र मोदी के फेस को लेकर चुनाव लड़ा गया हो। लेकिन मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का चेहरा प्रमुख रहा है। मुख्यमंत्री की लाडली बहना योजना ने जहां पूरे चुनाव का रुख बदल दिया। निश्चित रूप से मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में लाडली बहना योजना का असर जमकर रहा है और शायद यही वजह है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी को बंपर सीट मिली है।
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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के 3 दिसंबर को आए नतीजे के बाद जहां अपने आप को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री समझ रहे नेताओं के द्वारा दिल्ली पहुंचकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर रहे थे वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली नहीं गए और ना ही वह पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं से मुलाकात की। हालांकि इस दौरान सीएम शिवराज से यह सवाल पूछा जा रहा था कि कहीं आप भी तो दिल्ली नहीं जा रहे हैं।
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लेकिन हर बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बयान यही आता रहा है कि वह दिल्ली नहीं जाने वाले वह मध्य प्रदेश में रहकर ही यहां के जनता की सेवा करेंगे। चुनाव नतीजे के बाद वह लगातार कई क्षेत्रों में जाकर चुनावी समीक्षा कर रहे थे इस दौरान राघोगढ़ में चुनावी समीक्षा करने पहुंचे शिवराज सिंह चौहान ने बयान दिया था कि आगामी लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से पूरी की पूरी 29 सीटों की कमल की माला बनाकर उनके गले में डालना है, और वह इसके लिए जुट गए हैं।
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लेकिन 11 दिसंबर को भाजपा राष्ट्रीय नेतृत्व के द्वारा मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर नियुक्त किए गए तीन पर्यवेक्षकों के द्वारा बुलाई गई विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित तमाम दावेदार जो मुख्यमंत्री के दौड़ में शामिल रहे हैं उनको दरकिनार करते हुए उज्जैन के दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक और पूर्व की शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव को मुख्यमंत्री नॉमिनेट कर दिया गया। हालांकि पर्यवेक्षकों के निर्देश पर मोहन यादव का नाम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ही प्रस्तावित किया है।
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नए मुख्यमंत्री बनने के दूसरे दिन यानी आज 12 दिसंबर को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लाडली बहनों से मुलाकात कर रहे थे उसे दौरान वह भावुक भी हुए,वहां उपस्थित बहने भी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लिपटकर रोने लगी और एक बार फिर यह सवाल सामने आया कि सभी नेता दिल्ली जा रहे है। लेकिन वह दिल्ली नही गए, इसलिए सीएम नही बन पाए। इसी सवाल के जवाब देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अपने लिए कुछ मांगने से बेहतर है मर जाना.? उन्होंने कहा कि सभी नेता दिल्ली जा रहे थे लेकिन वह अपने लिए कुछ भी मांगना उचित नहीं समझा।