मध्य प्रदेश का एक ऐसा बाघ जिसकी मौत का इंतजार कर रही सरकार!

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घायल बाघ P 243

5 महीने से 3 इंच गहरे घाव के दर्द से बिलख रहा टाइगर, घाव में पड़ रहे हैं कीड़े, जिम्मेदारी से भाग रहा प्रबंधन

फिरोज़ बागी “स्वतंत्र पत्रकार”

भोपाल (संवाद)। टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त करने वाले मध्य प्रदेश में बाघों की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर मध्य प्रदेश की सरकार और प्रशासनिक अधिकारी कितने गैर जिम्मेदार और लापरवाह है , इसकी बानगी पन्ना टाइगर रिजर्व में देखने को मिल रही है। जहां एक बाघ के माथे पर पिछले 5 महीने से 3 इंच गहरा घाव है जो धीरे -धीरे सड़ रहा है, उसमें कीड़े लग रहे हैं। लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व के आला अधिकारी इस बाघ का इलाज कराने की बजाय उसकी मौत का इंतज़ार कर रहे हैं।

आपसी लड़ाई में हुआ घायल

पन्ना टाइगर रिजर्व के हिनौता क्षेत्र में रहने वाला बाघ P-243 लगभग 5 महीने पहले अक्टूबर 2024 में बाघों के बीच हुए आपसी टकराव के कारण घायल हो गया था। जिससे बाघ की दाहिनी आंख के ऊपर लगभग 3 इंच गहरा घाव है, जिसकी वजह से उसके मांस के लोथड़े साफ दिखाई दे रहे हैं। घायल बाघ पिछले 5 महीने से इसी हाल में दर्द से तड़प रहा है लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा अभी तक इसका इलाज नहीं किया जा सका है।

रेंग रहे कीड़े 

वन्य प्राणी विशेषज्ञों के अनुसार बाघ घायल होने पर जीभ से चाटकर प्राकृतिक तरीके से ज़ख्मों को ठीक कर लेते हैं। लेकिन बाघ P-243 के माथे पर गहरा घाव होने के कारण घायल बाघ उसे चाटकर प्राकृतिक तरीके से ठीक नहीं कर पा रहा है। वहीं वन्य प्राणियों के इलाज के लिए डॉक्टर्स मौजूद हैं लेकिन पार्क प्रबंधन की लापरवाही के कारण अभी तक इस बाघ का इलाज नहीं किया जा सका है। इलाज न मिलने से दिन प्रतिदिन घाव बढ़ता जा रहा है और उसमें कीड़े पड़ रहे हैं।

बिना एक्सरे प्रबंधन की दलील 

घायल बाघ P-243 के बारे में फोन पर हुई बातचीत के दौरान पन्ना टाइगर रिजर्व की फील्ड डायरेक्टर अंजना सुचिता तिर्की ने दावा किया है कि आपसी टकराव के कारण घायल बाघ P-243 के सिर की हड्डी टूट गई है। डॉक्टरों की टीम द्वारा बाघ की निगरानी कर उसे हर संभव इलाज देने की कोशिश की गई है, लेकिन हड्डी टूटी होने के कारण उसका इलाज संभव नहीं हो पा रहा है। फील्ड डायरेक्टर की बात को सच मान भी लिया जाए तो ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब बाघ को अभी तक ट्रेंकुलाइज नहीं किया गया है और न ही डॉक्टर्स बाघ के नजदीक गए और उसका एक्सरे भी नहीं किया गया तो फील्ड डायरेक्टर को कैसे पता चला कि हड्डी टूटी हुई है?

मंडरा रहा मौत का खतरा 

पन्ना टाइगर रिजर्व में पदस्थ डॉक्टर संजय गुप्ता की माने तो घायल बाघ ट्रेंकुलाइज किए जाने की हालत में नहीं है। उसे ट्रेंकुलाइज करने से मौत होने का डर है। वहीं दूसरी ओर जानकारों की मानें तो घायल बाघ P-243 संक्रमण फैलने के कारण दिन प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा है, और वह शिकार कर पाने में असमर्थ होता जा रहा है। यदि समय रहते उसका इलाज नहीं किया गया तो वह अत्यधिक कमजोर हो जाएगा और फिर शिकार न कर पाने के कारण भूख से उसकी मौत हो जाएगी।

उठ रहे अनगिनत सवाल 

घायल बाघ की दयनीय हालत और पार्क प्रबंधन की कार्यशैली पर अनगिनत सवाल उठ रहे हैं। वन्य प्राणी प्रेमी प्रकाश द्विवेदी ने पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क प्रबंधन द्वारा बरती जा रही लापरवाही पर सवाल उठाते हुए कहा है की बाघों के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा लाखों करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं तो फिर घायल बाघ को समुचित इलाज क्यों मुहैया नहीं कराया जा रहा है? यदि पार्क प्रबंधन की दलील को सही मान लिया जाए तो क्या बाघ को इसी तरह तड़प तड़प कर मरने के लिए छोड़ दिया जाएगा ? सवाल यह भी है कि आखिर अभी तक घायल बाघ को बाड़ा में क्यों शिफ्ट नहीं किया गया है और उसके खाने पीने के लिए पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किए गए हैं? यदि पार्क प्रबंधन बाघ का इलाज और उसकी देखभाल करने में असफल है तो क्या उसके मरने का इंतजार किया जा रहा है? सवाल कई हैं लेकिन जवाब एक भी नहीं है। ये साबित करता है कि मध्य प्रदेश सरकार और उसका प्रशासनिक अमला बाघों के संरक्षण को लेकर कितना लापरवाह है।

 

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