उमरिया/बांधवगढ़ (संवाद)। बांधवगढ़ में 7 दिसंबर को आयोजित होने वाले कबीर मेला और किला स्थित कबीर गुफा, चबूतरा के दर्शन के लिए आने जाने की अनुमति बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने दी है। आखिर इस बार ऐसा क्या हुआ कि अब वहां जंगली हाथियों का खतरा नहीं है ? इसके पहले प्रबंधन के द्वारा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन किला स्थित राम जानकी मंदिर के दर्शन के लिए दर्शनार्थियों के आने जाने पर रोक लगा दी गई थी। इतना ही नहीं दर्शनार्थियों के लिए पूरे जिले की भारी पुलिस बल को तैनात कर दिया गया और दर्शनार्थियों को बलपूर्वक रोका गया था।
7 दिसंबर को आयोजित होने वाले कबीर मेला के लिए क्षेत्र संचालक, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के द्वारा लिखित में मेला आयोजित करने के लिए निर्देश जारी किए हैं। दिए गए निर्देश में उल्लेख किया गया है कि बांधवगढ़ के किले में स्थित कबीर गुफा तक कबीर दर्शन यात्रा की अनुमति प्रदान की जाती है क्षेत्र संचालक ने सहायक संचालक ताला जोन को यह पत्र लिखा है साथ ही यह भी उल्लेख है प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल के निर्देशानुसार पूर्व वर्षों क की भांति इस वर्ष भी मेले का आयोजन करें और दर्शनार्थियों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त अधिकारी, कर्मचारियों की तैनाती करे।
बांधवगढ़ प्रबंधन के द्वारा दिए गए लिखित निर्देश में कहीं भी जंगली हाथियों के खतरे की आशंका व्यक्त नहीं की है, और ना ही इसका हवाला दिया गया है। जबकि इसके पहले अगस्त माह में मनाया जाने वाला भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी बड़े ही श्रद्धा भाव से बांधवगढ़ के किला में स्थित रामजानकी मंदिर में मनाया जाता रहा है। लेकिन प्रबंधन और यहां के तत्कालीन कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव की मिलीभगत से भगवान श्री कृष्ण को मानने वाले भक्तों को उनके दर्शन करने से पूरी तरीके से रोक दिया गया था। तत्कालीन कलेक्टर के द्वारा बड़े जोर शोर से यह झूठ फैलाया जा रहा था कि किला जाने वाले मार्ग पर जंगली हाथियों का विचरण है जिससे दर्शनार्थियों को उनकी जान का खतरा है। जबकि सच बात तो यह थी कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के समय ताला जोन में कहीं भी जंगली हाथियों की मूवमेंट थी ही नहीं?