शहडोल में कांग्रेस के घनश्याम बने अध्यक्ष भाजपा रह गई हाथ मलते

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शहडोल (संवाद)। जिला मुख्यालय शहडोल की नगर पालिका परिषद मैं आज 14 अक्टूबर को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अध्यक्ष पद पर बाजी मार ली है कांग्रेस के उम्मीदवार घनश्याम जयसवाल ने 39 वार्डों वाली नगर पालिका में  21 वोट पाकर नगर पालिका के अध्यक्ष पद का चुनाव जीत लिया है  वही सत्ताधारी दल बीजेपी के उम्मीदवार प्रेम कुमार सोनी को 18 वोट ही मिल सके। 3 वोट से पीछे रही भाजपा के पास अब हाथ मलने के सिवाए और कोई दूसरा चार नहीं रहा।

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शहडोल (संवाद)। जिला मुख्यालय शहडोल की नगर पालिका परिषद मैं आज 14 अक्टूबर को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अध्यक्ष पद पर बाजी मार ली है कांग्रेस के उम्मीदवार घनश्याम जयसवाल ने 39 वार्डों वाली नगर पालिका में  21 वोट पाकर नगर पालिका के अध्यक्ष पद का चुनाव जीत लिया है  वही सत्ताधारी दल बीजेपी के उम्मीदवार प्रेम कुमार सोनी को 18 वोट ही मिल सके। 3 वोट से पीछे रही भाजपा के पास अब हाथ मलने के सिवाए और कोई दूसरा चार नहीं रहा।दरअसल संभागीय मुख्यालय शहडोल की नगर पालिका पूरे संभाग में सबसे बड़ी और सबसे ज्यादा वार्डों वाली नगरपलिका है। नगरपालिका के 39 वार्ड पार्षदों के चुनाव उपरांत आए नतीजों में 18 सीट भाजपा को मिली थी और 12 सीट में कांग्रेस पार्टी सिमट गई थी इसके अलावा 9 सीटों में निर्दलीय प्रत्याशी विजई हुए थे जिससे यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि नगरपालिका में भाजपा के सबसे ज्यादा पार्षद जीत के आए हैं और भाजपा ही नगर पालिका के परिषद में काबिज होगी। इसके लिए संगठन भी बड़े जोर शोर से प्रयास में रहा है कि परिषद में उनकी पार्टी का ही अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाया जाय।जाहिर सी बात है वार्डों में भाजपा के 18 पार्षद विजयी हुए थे जिसके बाद उन्हें महज 2 पार्षदों की और आवश्यकता रही है। ऐसे में 9 सीट जीतकर आये निर्दलीयों में से 2 का समर्थन लेना बड़ा ही आसान समझा जा रहा था। वहीं कांग्रेस पार्टी के 12 पार्षद ही जीत पाए थे और उन्हें परिषद बनाने के लिए 8 और पार्षदों की आवश्यकता रही है। जिससे यह लग रहा था कि 8 पार्षद का समर्थन लेना कांग्रेस पार्टी के लिए टेढ़ी खीर है। लेकिन कांग्रेस ने इसके उलट वह कर दिखाया जो असंभव रहा है।पार्षदों के चुनाव उपरांत के बाद से ही राजनीतिक दलों के द्वारा जोड़-तोड़ और खरीद-फरोख्त की तैयारी शुरू कर दी गई थी। हालांकि इस काम में भाजपा से भी कहीं कांग्रेसी पीछे नहीं रही। वह भी इसके लिए लगातार प्रयासरत रहे हैं। खासकर 9 सीटों पर जीतकर आये निर्दलीय पार्षदों को अपने पाले में लेने के लिए एड़ी एड़ी चोटी के जोर के साथ धनबल और बाहुबल का भी उपयोग किया जा रहा था। भाजपा के जीते हुए पार्षद तो नतीजे उपरांत ही गायब कर दिए गए थे। वही कांग्रेस पार्टी भी अपने विजयी पार्षदों को भी गायब रखी थी। जिसके बाद अध्यक्ष के चुनाव के 1 दिन पहले भाजपा के पार्षदों ने बांधवगढ़ के मोगली रिसोर्ट में भी जमकर ऐसो- आराम किया और पूरी रणनीति के साथ चुनाव के दिन सुबह वह सीधे चुनाव स्थल में पहुंचे थे।इस पूरे मामले में एक बात तो साफतौर पर दिखाई देती है कि भाजपा नेताओं के द्वारा महज 2 निर्दलीयों को अपने पाले में लेने के लिए  वह विफल रहे हैं। वही कांग्रेस, भाजपा के मुकाबले काफी सशक्त दिखाई दी है और यही वजह है कि कांग्रेस ने पूरे 9 निर्दलीयों को अपने पाले में लेकर नगर पालिका में अपना अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस का परचम लहरा दिया है।
दरअसल संभागीय मुख्यालय शहडोल की नगर पालिका पूरे संभाग में सबसे बड़ी और सबसे ज्यादा वार्डों वाली नगरपलिका है। नगरपालिका के 39 वार्ड पार्षदों के चुनाव उपरांत आए नतीजों में 18 सीट भाजपा को मिली थी और 12 सीट में कांग्रेस पार्टी सिमट गई थी इसके अलावा 9 सीटों में निर्दलीय प्रत्याशी विजई हुए थे जिससे यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि नगरपालिका में भाजपा के सबसे ज्यादा पार्षद जीत के आए हैं और भाजपा ही नगर पालिका के परिषद में काबिज होगी। इसके लिए संगठन भी बड़े जोर शोर से प्रयास में रहा है कि परिषद में उनकी पार्टी का ही अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाया जाय।
जाहिर सी बात है वार्डों में भाजपा के 18 पार्षद विजयी हुए थे जिसके बाद उन्हें महज 2 पार्षदों की और आवश्यकता रही है। ऐसे में 9 सीट जीतकर आये निर्दलीयों में से 2 का समर्थन लेना बड़ा ही आसान समझा जा रहा था। वहीं कांग्रेस पार्टी के 12 पार्षद ही जीत पाए थे और उन्हें परिषद बनाने के लिए 8 और पार्षदों की आवश्यकता रही है। जिससे यह लग रहा था कि 8 पार्षद का समर्थन लेना कांग्रेस पार्टी के लिए टेढ़ी खीर है। लेकिन कांग्रेस ने इसके उलट वह कर दिखाया जो असंभव रहा है।
पार्षदों के चुनाव उपरांत के बाद से ही राजनीतिक दलों के द्वारा जोड़-तोड़ और खरीद-फरोख्त की तैयारी शुरू कर दी गई थी। हालांकि इस काम में भाजपा से भी कहीं कांग्रेसी पीछे नहीं रही। वह भी इसके लिए लगातार प्रयासरत रहे हैं। खासकर 9 सीटों पर जीतकर आये निर्दलीय पार्षदों को अपने पाले में लेने के लिए एड़ी एड़ी चोटी के जोर के साथ धनबल और बाहुबल का भी उपयोग किया जा रहा था। भाजपा के जीते हुए पार्षद तो नतीजे उपरांत ही गायब कर दिए गए थे। वही कांग्रेस पार्टी भी अपने विजयी पार्षदों को भी गायब रखी थी। जिसके बाद अध्यक्ष के चुनाव के 1 दिन पहले भाजपा के पार्षदों ने बांधवगढ़ के मोगली रिसोर्ट में भी जमकर ऐसो- आराम किया और पूरी रणनीति के साथ चुनाव के दिन सुबह वह सीधे चुनाव स्थल में पहुंचे थे।
इस पूरे मामले में एक बात तो साफतौर पर दिखाई देती है कि भाजपा नेताओं के द्वारा महज 2 निर्दलीयों को अपने पाले में लेने के लिए  वह विफल रहे हैं। वही कांग्रेस, भाजपा के मुकाबले काफी सशक्त दिखाई दी है और यही वजह है कि कांग्रेस ने पूरे 9 निर्दलीयों को अपने पाले में लेकर नगर पालिका में अपना अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस का परचम लहरा दिया है।
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