डॉ मनोरमा के इस्तीफे के बाद पार्टी में मचा भूचाल, शालिनी का नाम फायनल होते ही मनोरमा ने दिया इस्तीफा

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शहडोल/बुढ़ार (संवाद)। जिले के नगर पंचायत बुढ़ार में अध्यक्ष को लेकर मचे घमासान में भाजपा के द्वारा अधिकृत उम्मीदवार की घोषणा करते ही सियासी उठापटक मच गई है। दो प्रमुख दावेदारों में से भाजपा ने जैसे ही अध्यक्ष के लिए एक के नाम की घोषणा की वैसे ही दूसरे दावेदार ने पार्षद पद से इस्तीफा दे दिया है।दरअसल बुढ़ार में नगर पंचायत के चुनाव के दौरान भी भारी घमासान मचा हुआ था। जिसमें मुख्य वजह यह कि शुरू से ही अध्यक्ष पद के लिए दो प्रमुख दावेदारों में से पार्षद पद में दोनों की जीत हो गई। हालांकि एक का आरोप है कि पार्षद चुनाव के दौरान दूसरे ने उसे हराने के लिए भी प्रयास किया था लेकिन उस वार्ड की जनता के सहयोग से वह भारी मतों से जीत हासिल की थी। जिसके बाद इन दोनों के बीच घमासान और सियासी उठापटक और भी बढ़ती गई। पार्षदों के चुनाव नतीजे आने के बाद अध्यक्ष पद के लिए पार्टी के द्वारा अधिकृत रूप से प्रत्याशी बनाने के लिए भी दोनों शालिनी सरावगी और डॉ मनोरमा सिंह में जमकर घमासान मचा था बुढ़ार से लेकर शहडोल और राजधानी भोपाल तक दोनों के द्वारा अलग-अलग खेमे से लाविंग की जा रही थी।अब जबकि नगर पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होना है। ऐसे में भाजपा पार्टी ने अपने अधिकृत प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। जिसमें बुढ़ार नगर पंचायत में अध्यक्ष पद के लिए प्रमुख रूप से डॉ मनोरमा सिंह और श्रीमती शालिनी सरावगी का नाम प्रमुख रहा है। जिसमें भाजपा ने अध्यक्ष के लिए अपने अधिकृत प्रत्याशी के रूप में श्रीमती शालिनी सरावगी के नाम की घोषणा कर दी है। ।वहीं पार्टी के द्वारा अपने अधिकृत उम्मीदवार की घोषणा करते ही एक अन्य दावेदार डॉ मनोरमा सिंह ने अपने पार्षद पद से इस्तीफा दे दिया है। उनका कहना है कि उन्होंने चुनाव के दौरान ही जनता ने उन्हें अध्यक्ष बनाने के लिए चुनाव जिताया था। जिसके बाद पार्टी के द्वारा उन्हें टिकट नहीं देने से वह जनता का सामना और जनता से किए गए वादे को पूरा नहीं कर सकी है।उन्होंने कहा की पार्टी के द्वारा अधिकृत किए गए अध्यक्ष उम्मीदवार के परिवार में से कई ऐसे पदों से उन्हें उपकृत किया गया है। इसके बावजूद भी उन्हें पुनः इस बार भी अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया है। उन्होंने कहा कि वह सिर्फ पार्षद पद से इस्तीफा दे रही हैं जबकि वह पार्टी में रहकर पार्टी के नियमों और सिद्धांतों के तहत नगर की जनता की सेवा करती रहेंगी। उनके द्वारा दिए गए इस्तीफा के बाद बुढ़ार और शहडोल जिले में सियासी भूचाल मच गया है।
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