शहडोल (संवाद)। यूं तो बिरसा मुंडा मेडिकल कॉलेज शहडोल किसी ना किसी मामले में हमेशा सुर्खियों में रहता है, लेकिन इस बार तस्वीरें कुछ अलग ही बोल रही हैं। अस्पताल में भर्ती दूरदराज से आये मरीजों के परिजनों का हाल मेडिकल कॉलेज की तरह बेहाल है। यहां शेड की व्यवस्था नहीं होने से परिजन सड़क में बैठकर भरी बरसात में छाता लगाकर खाना बनाने को मजबूर है। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और राज्य शासन के द्वारा यहां पर शेड की व्यवस्था भी नहीं कर सकी है।
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शहडोल (संवाद)। यूं तो बिरसा मुंडा मेडिकल कॉलेज शहडोल किसी ना किसी मामले में हमेशा सुर्खियों में रहता है, लेकिन इस बार तस्वीरें कुछ अलग ही बोल रही हैं। अस्पताल में भर्ती दूरदराज से आये मरीजों के परिजनों का हाल मेडिकल कॉलेज की तरह बेहाल है। यहां शेड की व्यवस्था नहीं होने से परिजन सड़क में बैठकर भरी बरसात में छाता लगाकर खाना बनाने को मजबूर है। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और राज्य शासन के द्वारा यहां पर शेड की व्यवस्था भी नहीं कर सकी है।राज्य सरकार के द्वारा शहडोल में मेडिकल कॉलेज तो खोल दिया लेकिन आज भी व्यवस्थाओं के नाम पर महज खानापूर्ति ही की जाती है। इस मेडिकल कॉलेज में पूरे संभाग से लोग रिफर होकर अच्छे इलाज के लिए यहां पर पहुंचते हैं लेकिन मरीजों के परिजनों के लिए व्यवस्था का अभाव है दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए यहां रुकने आओ खाना बनाने के लिए सेठ भी उपलब्ध नहीं है ऐसे में गरीब लोग सड़क में ही खुले आसमान के नीचे भरी बरसात में खाना बनाने के लिए मजबूर हैं।तस्वीर में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि एक आदमी सड़क में बैठकर बरसते पानी के दौरान आग जलाकर खाना बनाते हुए दिखाई दे रहा है। वहीं बगल में खड़ी महिला भी अपने आग के चूल्हे को बारिश से बचाने सिर में पन्नी रखे हुए हैं। हालांकि वह लोग अपनी व्यवस्था के अनुसार छाता रखे हुए हैं लेकिन उनकी मजबूरी यह की बरसते पानी में भीगने से वह अपने को बचाएं या आग के चूल्हे को।हाल ही में शहडोल जिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आगमन हुआ था मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी कई बार शहडोल दौरे पर आ चुके हैं लेकिन किसी की भी ध्यान इस छोटी आवश्यकता पर नहीं पड़ी। खासकर बिरसा मुंडा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की जवाबदेही सबसे पहले बनती है। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का रवैया लोग भली-भांति जानते हैं कई मामलों में प्रबंधन की लापरवाही सामने आई है।