बड़ी कार्यवाही: नगरपरिषद में अनियमितता मामले में दो CMO और एक उपयंत्री टर्मिनेट

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एमपी (संवाद)। मध्य प्रदेश के शहडोल और अनूपपुर की नगर परिषद परिषद में अनियमितता सहित भर्ती और संविलियन मामले में मध्यप्रदेश शासन नगरीय प्रशासन के द्वारा एक मुख्य नगरपालिका अधिकारी और दो उपयंत्री को सेवा से टर्मिनेट कर दिया गया है। वहीं एक सीएमओ और एक कार्य पालन यंत्री के खिलाफ विभागीय जांच के बाद दीर्घशास्ति का निर्देश दिया गया है। इस पूरे मामले में जारी आदेश में उल्लेख किया गया है कि इस दौरान शासन को हुए नुकसान की भरपाई संबंधित अधिकारियों से वसूल की जाएगी।दरअसल अनूपपुर जिले की नवगठित नगर परिषद डोला डूमर कछार,वनगवां और शहडोल जिले की नवगठित नगर परिषद बकहो में नियम विरुद्ध तरीके से साठगांठ करके भर्ती और कर्मचारियों के संविलियन करने की जानकारी होने के बाद लोगों की शिकायत पर नगरीय प्रशासन विभा गा के द्वारा जांच कराने के निर्देश दिए गए थे जांच उपरांत जो मामला सामने आया वह बेहद चौंकाने वाला था। इस पूरे मामले में नगर परिषदों में पदस्थ सीएमओ और जिम्मेदार अधिकारी के द्वारा नियम को दरकिनार करते हुए भारी अनियमितता बरती गई थी।मामले की जांच उपरांत नगरीय प्रशासन विभाग के मंत्री की ओर से इस पूरे मामले पद निष्पक्षता बरतते हुए दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की गई है। जिसमें अनूपपुर जिले की नवगठित परिषद डोला, डूमरकछार, वनगवां और शहडोल जिले की नगर परिषद बकहो में नियम विरूद्ध कर्मचारियों के संविलियन करने की विभागीय जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद इस मामले में दोषी तत्कालीन प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी विकास चंद्र मिश्रा, तत्कालीन उप यंत्री संदीप सिंह उरैती और अजीत राव को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। साथ ही उनसे आर्थिक क्षति की राशि वसूली के भी निर्देश दिए गए हें।बताया कि तत्कालीन प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी विकास चंद्र मिश्रा और तत्कालीन उप यंत्री संदीप उरैती के कार्यों से निकायों को हुई आर्थिक क्षति की कुल राशि 2 करोड़ 55 लाख में से अनुपातिक राशि की वसूली की जायेगी। साथ ही उपयंत्री रावत से भी आर्थिक क्षति की कुल राशि 65 लाख में से अनुपातिक राशि की वसूली की जाएगी।इसके अलावा मुख्य नगर पालिका अधिकारी जयदीप दीपांकर, तत्कालीन कार्यपालन यंत्री राकेश तिवारी के विरुद्ध भी विभागीय जांच के बाद दीर्घ-शास्ति का निर्णय लिया गया है। इनका प्रकरण परामर्श के लिये मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग को भेजा जा रहा है।
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