लोकायुक्त को चकमा: पकड़ने गए थे रंगे हाथ,मलते रह गए खाली हाथ,कैसे हुआ जाने पूरा मामला

Editor in cheif
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रीवा (संवाद)। लगातार लोकायुक्त की कार्यवाही से ट्रैप हो रहे अधिकारी-कर्मचारी भी अब इससे बचने सतर्कता बरतने का प्रयास करते है।एक ऐसा ही मामला रीवा जिले में देखने को मिला है जहां लोकायुक्त के द्वारा रंगे हाथ रिश्वत लेते कई पुलिस अधिकारियों को धर दबोचा है। वहीं इस बार वह चकमा खा गए जिसमे चकमा देने वाले कोई और नही बल्कि टीआई और एसआई है। जिन्होंने लोकायुक्त कार्यवाही को पहले ही भांप गए और कार्यवाही से पहले ही मौके से तत्काल नदारत हो गए।जिससे रीवा लोकायुक्त की टीम धरपकड़ कार्यवाही में पहली बार असफल साबित हुई है।
लोकायुक्त रीवा के एसपी गोपाल सिंह धाकड़ ने बताया कि अन्य दबिशों की तरह ही थाना प्रभारी निरीक्षक सुनील गुप्ता और उपनिरीक्षक रानू वर्मा को आरोपी बनाया जाएगा और दोनो के निलंबन के लिए पुलिस अधिकारी को पत्र भी लिखा जाएगा। फिलहाल भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 संशोधन अधिनियम 2018 के तहत आरोपी बनाया है।
लोकायुक्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एक दिन पहले आवेदक सुखेंद्र सिंह भदौरिया पुत्र दिनेश भदौरिया उम्र 27 वर्ष निवासी मझगवां के रहने वाले हैं। वह गो गो गेस्ट हाउस नाम से नेहरू नगर में होटल संचालित करते हैं। कई दिनों से रीवा समान थाने की उपनिरीक्षक रानू वर्मा रिश्वत के लिए दबाव बना रही थी। रिश्वत नहीं देने पर परेशान किया जा रहा था। उनके द्वारा कहा जा रहा था कि समान थाना प्रभारी निरीक्षक सुनील गुप्ता को हर हाल में पैसे चाहिए। दोनों आरोपियों टीआई और एसआई के द्वारा शिकायतकर्ता से समान थाना क्षेत्र में होटल एवं गेस्ट हाउस संचालित करने के एवज में प्रतिमाह 20 हजार रुपए की मांग की गई थी।
30 मार्च काे रात 10 बजे थाने में रकम के साथ बुलाया गया था। इसके पहले ही सूचना लीक हो गई। ऐसे में आरोपियों को शिकायतकर्ता पर शंका हो गई। जिसके बाद आनन फानन में उप निरीक्षक रानू वर्मा अवकाश पर चली गई।वही थाना प्रभारी सुनील कुमार गुप्ता थाने से बाहर चले गए जिस कारण रंगे हाथ ट्रैप की कार्रवाई नहीं की जा सकी है।
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