वार्ड आरक्षण के बाद नेताओं की रही सही कसर कमलनाथ ने निकाली, गुस्से में पीसीसी अध्यक्ष,इधर भाजपा में भी बढ़ी मुश्किलें

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कौशल विश्वकर्मा। 9893833342
उमरिया (संवाद)। मध्यप्रदेश में जहां नगरीय निकाय के नगर पालिका और नगर परिषदों के चुनाव को लेकर वार्ड पार्षदों के आरक्षण के बाद कई सामान्य वर्ग के दिग्गज नेताओं के वार्डों का आरक्षण किसी अन्य वर्ग के लिए आरक्षित हो गया था, जिसके कारण दिग्गज नेता पार्षद का चुनाव लड़ने इधर-उधर के दूसरे वार्डों में अपना समीकरण बैठाने की जुगत में लगे हुए थे।
इधर आरक्षण के बाद रही सही कसर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने निकाल ली, जिससे कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की नींद हराम हो गई है। पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ ने नगर पालिका और नगर परिषदों के खासकर उन नेताओं की जो किसी भी अन्य वार्ड से पार्षदी जीतकर अध्यक्ष बनने की फिराक में थे उन दावेदारों की नींद उड़ा दी है।
उमरिया नगर पालिका का अध्यक्ष पद अनारक्षित होने के कारण संभवत यहां पर अध्यक्ष सामान्य वर्ग के ही व्यक्ति, नेताओं का बनना तय था। इसके अलावा यह भी नियम लागू किया गया कि पहले पार्षद चुने जाएंगे इसके बाद इन्हीं जीते हुए पार्षदों से अध्यक्ष बनाया जाएगा। लेकिन हाल ही में हुए वार्डों के आरक्षण ने कई अध्यक्ष पद के दावेदारों का वार्ड किसी अन्य वर्ग के लिए आरक्षित हो गया, जिसके बाद सामान्य वर्ग के दावेदारों ने अपने आरक्षित वार्ड को छोड़कर अन्य दूसरे अनारक्षित वार्डों से चुनाव लड़ने की जुगत भिड़ा रहे थे जिसके बाद लगभग नेेताओ ने अपने लिए उपयुक्त वार्ड चुन भी लिए थे। तभी पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ का एक फैसला उन तमाम नेताओं की मंशा पर पानी फेर दिया है।
जानकारी के मुताबिक पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रदेश की नगर पालिका और नगर परिषदों में होने वाले नगरीय निकाय के चुनाव में एक बड़ा फैसला लेते हुए पत्र जारी कर कहा कि सभी वार्डों में कांग्रेस की तरफ से उसी वार्ड के निवासी को प्रत्याशी बनाया जाएगा। किसी दूसरे वार्ड के व्यक्ति को किसी अन्य वार्ड से कांग्रेस अपना अधिकृत उम्मीदवार नहीं बनाएगी। जिसके बाद से उन तमाम नेताओं के ख्वाबों पर पानी फिर गया है जो अध्यक्ष बनने का सपना देख रहे थे। हालांकि इसके पीछे मुख्य वजह क्या होगी यह तो कमलनाथ ही जाने। लेकिन यह जरूर है कि काफी समय से उन्हें शिकायत मिल रही थी कि हमेशा से वार्ड की राजनीति और काम करने वालों की टिकट काटकर किसी दूसरे वार्ड के निवासी या व्यक्ति को टिकट दिए जाने पर विरोधाभास और भितरघात की स्थिति उत्पन्न हो रही थी। जिसको लेकर कमलनाथ ने नेताओं पर गुस्सा भी जाहिर कर चुके है। हालांकि कई कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने उनके इस फैसले का स्वागत किया है। स्थानीय वार्ड नंबर 22 के कांग्रेसी कार्यकर्ता वीरेंद्र सिंह सेंगर ने बताया कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का यह फैसला स्वागत योग्य है क्योंकि यह चुनाव मोहल्ले का चुनाव है ऐसे में उसी मोहल्ले के लोगों को टिकट मिलना चाहिए और मोहल्ले के मतदाता भी यही चाह रहे हैं। बाहर या दूसरे वार्डो के नेताओं को टिकट देने में विरोधाभास उत्पन्न हो रहा है। जिसको लेकर कांग्रेस अध्यक्ष ने स्पष्ट कर दिया है।

इधर भाजपा भी मुश्किल में

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के फैसले के बाद भाजपा भी मुश्किल में दिखाई पड़ रही है।चूंकि वार्डों के निवासी भी लगातार यह मांग करते आ रहे है कि उनके वार्ड का पार्षद उम्मीदवार स्थानीय होना चाहिए। इसके लिए भाजपा, कांग्रेस हो या अन्य दल जिस भी पार्टी का प्रत्यासी स्थानीय उसी वार्ड का होगा, लोग उसी का समर्थन करेंगे। कमलनाथ के इस फैसले के बाद यह तो तय हो गया है कि कांग्रेस अपना उम्मीदवार उसी वार्ड के कार्यकर्ता को बनाएगी जो जिस वार्ड में निवास करता है।
पीसीसी अध्यक्ष के इस फैसले से जहां अध्य्क्ष बनने का सपना देख रहे कांग्रेस के दिग्गजों का सपना चकनाचूर हो गया है, वहीं अंदरखाने भाजपा नेताओं के भी हाथ-पैर फूल रहे है।
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