वसूली में माहिर हैं आरटीओ अधिकारी? जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को करना पड़ रहा इनका काम

Editor in cheif
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The RTO officers in the district are 
left in name only, they have nothing 
to do with the buses, trucks and other 
vehicles running or passing in the 
district. No action is ever taken by them. 
Rather then only recovery?
उमरिया (संवाद) जिले में आरटीओ अधिकारी सिर्फ नाम के रह गए हैं, इन्हें जिले में चल रही या गुजर रही बसो ट्रकों व अन्य वाहनों से कोई लेना-दना नहीं है। इनके द्वारा कभी भी कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। बल्कि की जाती है तो सिर्फ वसूली?
जानकारी के मुताबिक जिले के आरटीओ कार्यालय में पदस्थ आरटीओ अधिकारी संजय श्रीवास्तव एक अन्य जिले में भी पदस्थ हैं। आरटीओ संजय श्रीवास्तव की पदस्थापना सतना जिले में आरटीओ अधिकारी के रूप में है। इसके अलावा उमरिया जिले का अतिरिक्त प्रभार इनके पास है और इसी कारण से यह आरटीओ सतना जिले में ज्यादा समय व्यतीत करते हैं और उमरिया इनका आगमन हफ्ते, 15 दिन में होता है। जानकारी में लोगों ने बताया कि आरटीओ संजय श्रीवास्तव से यहां के कुछ लोग व विभाग के कर्मचारी उनके न रहने पर पूरा हिसाब किताब संभालते हैं। और वे जब 15 दिवस में आते हैं तब कागजों में हस्ताक्षर करने के बाद वसूली का पूरा हिसाब किताब करके वापस चले जाते हैं।
विभाग से जुड़े कुछ सूत्रों ने बताया कि साहब को जब आना होता है उसके पहले ही उनके खास लोग वसूली का पूरा हिसाब किताब करते हैं। इसके लिए बकायदा उनके द्वारा हर काम का रेट निर्धारित किया गया है। जैसे अगर किसी काम का शुल्क 1 हजार होता है तो उससे 3 हजार लिए जाते हैं। उनके द्वारा नहीं देने या विरोध करने पर उनका काम रोक दिया जाता है या फिर उनका काम होता ही नहीं है।
इसके अलावा जिले से चलने वाली या गुजरने वाली बसों, ट्रक व अन्य वाहन का भी रेट तय है।उसी रेट के हिसाब से वाहन मालिकों से कमीशन की वसूली की जाती हैं, फिर वाहन मालिक मनमर्जी से वाहन चलाते रहते हैं चाहे उनके पास परमिट हो या ना हो। यहां तक कि बिना पिटपास के वाहन सड़क पर दौड़ते नजर आते हैं। यह पूरा खेल और घटनाक्रम तब सामने आया जब बीते दिनों जिले के कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने अचानक रात में सड़क पर खड़े होकर एक बस के कागजात चेक कर लिए और तब सारी पोल खुलकर सामने आ गई। इसके अलावा भी कलेक्टर के द्वारा बसों को चेक किया गया था मगर हर बार बसों के कागजात कंप्लीट नहीं पाए गए।
वहीं अभी हाल ही में जिले के मानपुर तहसील के एसडीएम सिद्धार्थ पटेल ने अचानक एक बस को रोककर चेक किया तो उसके पास भी ना तो परमिट मिला और ना ही अन्य कागजात। जिसके बाद एसडीएम के द्वारा बस को जप्त कर आगे की कार्यवाही की गई। जिले में लगातार जब और जितने बार जिले के वरिष्ठ अधिकारियों ने वाहनों को चेक किया है, लेकिन हर बार कमियां ही पाई गई  जिससे साफ जाहिर होता है कि जिले का आरटीओ अधिकारी और आरटीओ विभाग क्या कर रहा है।
बहरहाल जिले के कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के द्वारा चेकिंग के दौरान बसों सहित अन्य वाहनों में पाई जा रही कमियों को लेकर आरटीओ अधिकारी को निर्देशित भी किया था। बावजूद इसके सुधार होने की बजाय हालात जस के तस हैं। देखना होगा कि जिले के आरटीओ अधिकारी संजय श्रीवास्तव जिले में वाहनों की मनमर्जी और बगैर कागजात के संचालित वाहनों पर कब और क्या कार्यवाही करते हैं, या फिर आरटीओ साहब का वसूली का दौर निरंतर चलते रहता है?
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