लोंगो की आस्था से प्रशासन को नही कोई सरोकार,मांग के बाद भी नही सुना प्रशासन

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उमरिया (संवाद)। शहर के आस्था का केंद्र बना शहर का एकलौता देवी मंदिर ज्वाला माता ज्वालामुखी में शारदेय नवरात्रि पर्व को लेकर लोंगो में उत्साह है।वहीं जिला प्रसाशन को लोंगो की आस्था से कोई सरोकार नहीं है, जिससे लोंगो और श्रद्धालुओं में रोष है।

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उमरिया (संवाद)। शहर के आस्था का केंद्र बना शहर का एकलौता देवी मंदिर ज्वाला माता ज्वालामुखी में शारदेय नवरात्रि पर्व को लेकर लोंगो में उत्साह है।वहीं जिला प्रसाशन को लोंगो की आस्था से कोई सरोकार नहीं है, जिससे लोंगो और श्रद्धालुओं में रोष है।बीते दिनों श्रद्धालु और स्थानीय लोंगो ने जिला प्रशासन से मंदिर आवागमन के लिए मंदिर गेट से मंदिर परिसर तक सड़क मार्ग दुरुस्त कराने और अष्टमी,नवमी के दिन जब लोग,महिलाएं नंगे पांव नाचते, झूमते और लेटकर दंड भरते पहुंचती है। ऐसे में सड़क में फैली नुकीली गिट्टियों से उन्हें चोट लगने,पैरों में चुभने की बात कही गई थी।और यह मांग की गई थी कि इन 2 दिन तक प्रशासन मंदिर गेट से मंदिर परिसर तक मेट बिछवा दे तो उनकी परेशानी कम हो जाएगी। लेकिन प्रशासन को लोंगो की उम्मीदें और आस्था से कोई सरोकार नहीं है। जानकारी के मुताबिक जिले के कुछ हिन्दू संगठनों ने भी मंदिर में व्यवस्थाओं,और मार्ग को दुरुस्त करने को लेकर प्रयास किया था परंतु क्या हुआ कुछ पता नही।बता दे कि शहर के एक मात्र देवी मंदिर ज्वाला माता ज्वालामुखी मंदिर शहर के लोंगो का आस्था का केंद्र है।यहां शारदेय नवरात्रि में कलश जवारे स्थापित किये जाते है।इसके अलावा शहर के लोग अपने घरों व अन्य जगहों पर स्थापित जवारे भी यहीं आकर विसर्जित करते है।रामनवमी के दिन शहर भर के लोग नंगे पांव जुलूस के रूप में काली नाचते हुए यही पहुचते है। इसी दिन ज्वालामुखी परिसर में मेले का आयोजन भी किया जाता है।बहरहाल प्रसाशन के इस रवैये से भक्तो में रोष व्याप्त है और इस रवैये की चारो ओर निंदा हो रही है। कुछ लोग और श्रद्धालुयों ने इस बात की भी चिंता जताई है कि जब बीच शहर में धर्म और आस्था पर प्रसाशन का यह रवैया है तो, जिले भर के ग्रामीण इलाकों का क्या हाल होगा?आसानी से समझा जा सकता है।
बीते दिनों श्रद्धालु और स्थानीय लोंगो ने जिला प्रशासन से मंदिर आवागमन के लिए मंदिर गेट से मंदिर परिसर तक सड़क मार्ग दुरुस्त कराने और अष्टमी,नवमी के दिन जब लोग,महिलाएं नंगे पांव नाचते, झूमते और लेटकर दंड भरते पहुंचती है। ऐसे में सड़क में फैली नुकीली गिट्टियों से उन्हें चोट लगने,पैरों में चुभने की बात कही गई थी।और यह मांग की गई थी कि इन 2 दिन तक प्रशासन मंदिर गेट से मंदिर परिसर तक मेट बिछवा दे तो उनकी परेशानी कम हो जाएगी। लेकिन प्रशासन को लोंगो की उम्मीदें और आस्था से कोई सरोकार नहीं है। जानकारी के मुताबिक जिले के कुछ हिन्दू संगठनों ने भी मंदिर में व्यवस्थाओं,और मार्ग को दुरुस्त करने को लेकर प्रयास किया था परंतु क्या हुआ कुछ पता नही।
बता दे कि शहर के एक मात्र देवी मंदिर ज्वाला माता ज्वालामुखी मंदिर शहर के लोंगो का आस्था का केंद्र है।यहां शारदेय नवरात्रि में कलश जवारे स्थापित किये जाते है।इसके अलावा शहर के लोग अपने घरों व अन्य जगहों पर स्थापित जवारे भी यहीं आकर विसर्जित करते है।रामनवमी के दिन शहर भर के लोग नंगे पांव जुलूस के रूप में काली नाचते हुए यही पहुचते है। इसी दिन ज्वालामुखी परिसर में मेले का आयोजन भी किया जाता है।

बहरहाल प्रसाशन के इस रवैये से भक्तो में रोष व्याप्त है और इस रवैये की चारो ओर निंदा हो रही है। कुछ लोग और श्रद्धालुयों ने इस बात की भी चिंता जताई है कि जब बीच शहर में धर्म और आस्था पर प्रसाशन का यह रवैया है तो, जिले भर के ग्रामीण इलाकों का क्या हाल होगा?आसानी से समझा जा सकता है।
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