लापरवाही के चलते एक बार फिर सुर्खियों में मेडिकल कालेज,एक साथ 4 बच्चो की संदिग्ध मौत से मचा हड़कंप

Editor in cheif
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शहडोल। वैसे तो जिले का मेडिकल कालेज हमेशा सुर्खियां में रहा है फिर चाहे वह मरीजो के इलाज में लापरवाही का मामला हो और कुछ? अब एक बार फिर मेडिकल कालेज में 4 नवजात बच्चों की मौत का मामला सामने आया है।जहां बीते 12 घंटे में 4  बच्चों की संदिग्ध मौत हुई है। मेडिकल कालेज में एक साथ मौत से जहां हड़कंप मचा हुआ है वहीं बच्चो के परिजन हंगामा खड़ा कर रहे है।
घटना के संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक सभी बच्चे मेडिकल कॉलेज के पीआईसीयू में भर्ती थे। 12 घण्टे में 4 नवजात बच्चों की मौत से हड़कंप मच गया। अचानक इतने बच्चों की मौत से परिजनों में रोष है। मेडिकल कालेज में इलाज के नाम पर खानापूर्ति की आरोप लगाया गया है। बच्चों की मौत के मामले को छिपाने का प्रयास मेडिकल कालेज प्रबंधन कर रहा है। बताया जाता है कि सांस लेने की तकलीफ के चलते इलाज के दौरान बच्चों की मौत हुई है। परिजनों ने मामले की जांच की मांग की है।
गौरतलब है कि पीआइसीयू में गंभीर हालत में ही बच्चे आते हैं। इसके लिए जरुरी है कि प्राथमिक उपचार में गंभीरता बरती जाए। चार मौतों में अनूपपुर के बरगवां के आर्यन यादव को पहले से ही सीरियस हालत में भर्ती किया गया था। तीन अन्य बच्चे वेंटीलेटर पर थे। जिन्हें सांस लेने में तकलीफ थी।
बता दे कि कुछ साल पहले ही शहडोल जिला चिकित्सालय में मासूमों की मौत हुई थी जिसके बाद वहां के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा सिविल सर्जन को पद से हटा दिया गया था जिसके बाद शासन ने मेडिकल कॉलेज में एसएनसीयू व पीआईसीयू को तत्काल चालू करने के निर्देश दिए थे जिसके बाद मेडिकल कॉलेज में यह सेवा शुरू की गई लेकिन परिजनों का आरोप है कि मेडिकल कॉलेज में इलाज के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है।
मिली जानकारी के मुताबिक एसएनसीयू वा पीआईसीयू में नर्सिंग इंचार्ज ड्यूटी पर नहीं रहते हैं यह भी मामला उस समय प्रकाश में आया था। लोगों ने जानकारी देते हुए अधिकारियों को मौखिक रूप से अवगत कराया था कि यहां इंचार्ज रोहित ड्यूटी पर समय पर नहीं पहुंचते जिसकी वजह से काफी समस्याएं होती हैं। मौखिक रूप से स्टाफ ने मामले की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को भी दी थी। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई। सवाल यह खड़ा होता है कि इतने मासूम जहां भर्ती होते हैं जहां हर पल नजर मासूमों पर होनी चाहिए और डॉक्टर भी तैनात होने चाहिए लेकिन यहां तो कुछ और ही मंजर रहता है जहां नर्सिंग इंचार्ज ही ड्यूटी पर नहीं रहते हैं।
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