राशन दुकान से प्लास्टिक के चावल मिलने की फैली अफवाह, इधर खाद्य अधिकारी ने बताया एनीमिया कोटेड है चावल

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उमरिया (संवाद) जिले के राशन दुकानों से मिलने वाला खाद्यान्न में प्लास्टिक का चावल मिलने का भ्रम ग्रामीण क्षेत्रों में फैला हुआ है। वहीं खाद्य विभाग का मानना है कि यह प्लास्टिक का चावल नहीं है बल्कि एनीमिया जैसी बीमारी से बचाव के लिए कोटिफाइड चावल बनाया गया है। ग्रामीण क्षेत्र में फैली अफवाह को रोकने विभाग अपने स्तर से प्रयास कर रहा है। 
जानकारी के मुताबिक जिले के तमाम ग्रामीण क्षेत्रों की राशन दुकानों से खाद्यान्न के रूप में मिलने वाला खाद्यान्न में जो चावल है वह प्लास्टिक का चावल बनाया गया है। जिसके बाद यह खबर पूरे ग्रामीण इलाकों में एक अफवाह की तरह फैल गई है। ग्रामीणों का मानना है कि खाद्यान्न के तहत राशन दुकान से मिला चावल प्लास्टिक का है, जिसे खाकर लोग बीमार पड़ रहे हैं। यह चावल खाने और चबाने पर रबड़ या प्लास्टिक की तरह लगता है। जिले के मानपुर जनपद अंतर्गत ग्राम रोहनिया सहित आधा दर्जन गांवों की राशन दुकानों से मिला चावल प्लास्टिक का है जिसे खाकर लोग बीमार हुए हैं। वहीं इस भ्रम और अफवाह को दूर करने के लिए खाद्यान्न विभाग ने अपने तरीके से लोगों को समझाइश दे रहे हैं। 
खाद्य विभाग के खाद्य अधिकारी बीएस परिहार का कहना है कि यह चावल प्लास्टिक का नहीं है बल्कि एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी को दूर करने के लिए यह कोटीफाइड चावल बनाया गया है। इस कोटिफाइड चावल से एनीमिया बीमारी से ग्रसित लोगों को राहत मिलती है। उन्होंने बताया कि इस चावल में विटामिन B12, आयरन और अन्य कई मल्टीविटामिन मिलाकर एक पाउडर बनाया जाता है, जिसे चावल में मिलाकर कोडिफाइड किया जाता है। वहीं जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में फैली अफवाह को वे अपने तरीके से बताया और समझाया जा रहा है। 
ग्रामीण क्षेत्रों में राशन दुकानों से मिलने वाले प्लास्टिक के चावल को लेकर फैली अफवाह और भ्रम को लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक अजय सिंह ने जांच कराने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि लगातार ग्रामीण क्षेत्रों से जानकारी मिल रही है कि राशन दुकानों से गरीबों को प्लास्टिक का चावल दिया जा रहा है जिसे खाकर लोग बीमार पड़ रहे हैं। यह बात अगर सच है तो यह लोगों के स्वास्थ्य और जीवन से खिलवाड़ है। वहीं अगर यह भ्रम या अफवाह फैलाई जा रही है तो इसे तत्काल रोंके। उन्होंने उमरिया कलेक्टर से यह मांग की है कि इस पूरे मामले की जांच कराकर सच को सामने लाने का प्रयास करें जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में फैली अफवाह या भ्रम से लोग भ्रमित ना हो।

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