यहां कलेक्टर नदी सफाई में जुटे, वहां भूमाफिया नदी को ही खत्म करने में जुटे

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उमरिया (संवाद)। जिले की लाइफ लाइन कहे जाने वाली उमरार नदी की सफाई वैसे तो वर्षो पुरानी परंपरा रही है। लेकिन वह साफ नही हो सकी। इस बार भी जिले के मुखिया के डी त्रिपाठी की जनता से सफाई को लेकर अपील की गई कि उमरार नदी को जीवंत रखना है तो उसके जल स्त्रोत शुरू करने होगें। निश्चित रूप से उमरार नदी की कलेक्टर ने दलबल के साथ सफाई शुरू की है तो वहीं दूसरी ओर भूमाफिया नदी को ही साफ करने में लगे हैं। इस ओर न तो सरकारी तंत्र देख रहा है और ना ही नदी बचाओ का नारे देने वाले एनजीओ। हाल ही में उजनिया जाने वाले रास्ते पर उमरार नदी के ऊपर पड़ी भूमि की रजिस्ट्री केवल 83 डिसमिल की है। लेकिन नदी की भूमि पर अवैध प्लाटिंग की जा रही है। ऐसे यह कहना गलत नही होगा कि यहां कलेक्टर सफाई में लगे हैं, वहां भूमाफिया नदी को ही साफ कर रहे हैं।

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उमरिया (संवाद)। जिले की लाइफ लाइन कहे जाने वाली उमरार नदी की सफाई वैसे तो वर्षो पुरानी परंपरा रही है। लेकिन वह साफ नही हो सकी। इस बार भी जिले के मुखिया के डी त्रिपाठी की जनता से सफाई को लेकर अपील की गई कि उमरार नदी को जीवंत रखना है तो उसके जल स्त्रोत शुरू करने होगें। निश्चित रूप से उमरार नदी की कलेक्टर ने दलबल के साथ सफाई शुरू की है तो वहीं दूसरी ओर भूमाफिया नदी को ही साफ करने में लगे हैं। इस ओर न तो सरकारी तंत्र देख रहा है और ना ही नदी बचाओ का नारे देने वाले एनजीओ। हाल ही में उजनिया जाने वाले रास्ते पर उमरार नदी के ऊपर पड़ी भूमि की रजिस्ट्री केवल 83 डिसमिल की है। लेकिन नदी की भूमि पर अवैध प्लाटिंग की जा रही है। ऐसे यह कहना गलत नही होगा कि यहां कलेक्टर सफाई में लगे हैं, वहां भूमाफिया नदी को ही साफ कर रहे हैं।जानकारी के मुताबिक किसी समय में इसी उमरार नदी का पानी पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता था, मगर समय के साथ साथ नदी की धारा ही मुड़ गई और भूमाफिया ने हर घाट पर अपनी चोट सरकारी तंत्र के कंधे पर बंदूक रखकर मारी है। जिसका परिणाम यह है कि आज 1998 से लेकर आज तक प्रशासनिक अमला  और जनप्रतिनिधियों के साथ एनजीओ ने जमकर नारा लगाया कि उमरार को बचाना है, लेकिन सबने केवल सफाई फंड पर ही अपनी नजर टिकाई और हिसाब किताब करते हुए साफ करके चलते बने। बताया गया कि इससे जुड़े विभाग को आज भी उमरिया की लाइफ लाइन (उमरार नदी) पाल रही है। बहरहाल संवेदनशील कलेक्टर से लोगों ने यह भी अपील की है कि उमरार नदी की सफाई के साथ साथ उसके घाटों और उसके संरक्षण की दिशा में कार्य किये जायें।
जानकारी के मुताबिक किसी समय में इसी उमरार नदी का पानी पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता था, मगर समय के साथ साथ नदी की धारा ही मुड़ गई और भूमाफिया ने हर घाट पर अपनी चोट सरकारी तंत्र के कंधे पर बंदूक रखकर मारी है। जिसका परिणाम यह है कि आज 1998 से लेकर आज तक प्रशासनिक अमला  और जनप्रतिनिधियों के साथ एनजीओ ने जमकर नारा लगाया कि उमरार को बचाना है, लेकिन सबने केवल सफाई फंड पर ही अपनी नजर टिकाई और हिसाब किताब करते हुए साफ करके चलते बने। बताया गया कि इससे जुड़े विभाग को आज भी उमरिया की लाइफ लाइन (उमरार नदी) पाल रही है। बहरहाल संवेदनशील कलेक्टर से लोगों ने यह भी अपील की है कि उमरार नदी की सफाई के साथ साथ उसके घाटों और उसके संरक्षण की दिशा में कार्य किये जायें।
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