उमरिया (संवाद)। बड़ी खबर बाघों के गढ़ बांधवगढ से है, जहां पर टाईगर रिजर्व प्रबंधन का भारी भरकम अमला मौजूद है बावजूद इसके शिकारी पूरी मुस्तैदी से बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के कोर तथा बफर क्षेत्र में अपनी गिद्ध नजर लगाये हुए है, बीते 2 वर्षों से बांधवगढ़ में जिस तरीके से बाघ सहित अन्य वन्यजीवों की मौत हो रही है और ज्यादातर मामले संदिग्ध होते है, जिससे साफतौर पता चलता है कि वन अमला कितना मुस्तैद है, या फिर जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन बखूबी नही कर पा रहे है। कई मामलों में शिकारी, शिकार करके निकल जाता है और जिम्मेदार लीपा-पोती में जुट जाते है।
बांधवगढ़ में एक बार फिर एक बाघ और एक तेंदुए की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई है,पनपथा परिक्षेत्र में हुई तेंदुए की मौत मामले में विभाग के द्वारा कुछ संदिग्ध शिकारियों को शिकार करने के साजो-सामान सहित पकड़ लिया गया है, लेकिन धमोखर परिक्षेत्र में हुए टाईगर की मौत मामले में प्रबंधन के हाथ खाली है,जबकि मृत टाईगर के शरीर मे गहरे जख्म से, सहज ही जान पड़ता है की किसी धारदार हथियार से टाईगर को मारा गया हो।
बहरहाल प्रबंधन इसे बाघों के आपसी संघर्ष बताकर मामले से पल्ला झाड़ने और अपनी नाकामियों को छिपाने के प्रयास में है। देखना होगा बांधवगढ़ में लगातार हो रही बाघों सहित अन्य वन्यप्राणियों की संदिग्ध मौतों को रोकने प्रबंधन क्या रुख अख्तियार करता है।