कौशल विश्वकर्मा,एडिटर इन चीफ। 9893833342
उमरिया (संवाद)। बहुचर्चित कंचन ओपन कोयला खदान की लापरवाही और हैवी ब्लास्टिंग से कोयला खदान से लगे धनवाही ग्राम में घर गिरने से दो लोगों की मौत मामले में जोहिला एरिया के जीएम श्री पांडे ने बांधवगढ़ क्षेत्र के विधायक शिवनारायण सिंह और उमरिया कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के सहयोग से दो जान की कीमत 2 लाख रुपये लगाकर भोले-भाले ग्रामीणों पर दबाव बनाते हुए मामले को रफा-दफा करने का घिनौना कृत्य किया है।
इसके अलावा घटना के बाद ग्रामीणों के आक्रोश और मीडिया के दबाव के चलते आनन-फानन में कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने मामले की मजिस्ट्रियल जांच कराने की बात कही थी। लेकिन जांच कराने से पहले ही जोहिला क्षेत्र के जीएम से सांठगांठ करके क्षेत्रीय विधायक शिवनारायण सिंह और कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के द्वारा धनवाही ग्राम में मृतक ननकी बाई के ससुराल निपानिया गांव में पहुंचकर मृतक के पति और उसके ससुराल वालों को कालरी की तरफ से 2 लाख और शासन की तरफ से अन्य राशि की मदद करने का लालच देकर पूरे दबाव के साथ मामले को रफा-दफा करने का कुंठित प्रयास किया गया। जिसके बाद बेचारे गांव के सीधे साधे आदिवासी, बड़े बड़े अधिकारियों के दबाव में आ गए। लेकिन इसके पहले कलेक्टर के द्वारा दिए गए मजिस्ट्रियल जांच के आदेश धरे के धरे रह गए।

जानकारी के मुताबिक उमरिया कलेक्टर ने एसडीएम नेहा सोनी के समक्ष 1 जून को मजिस्ट्रियल जांच के तहत पीड़ित और ग्रामीणों को कथन और संबंधित साक्ष्य के लिए बुलाया गया था। लेकिन यह आदेश भी मामले को टालने के लिए दिया गया था। जानकारी के मुताबिक इस जांच की ना तो ग्रामीणों को कोई खबर दी गई और ना ही पीड़ितों को। इतना ही नहीं ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक और ना ही सचिव को इस संबंध में कोई जानकारी है। जिसके बाद यह बड़ा सवाल खड़ा होता है कि 2 मौत होने के बाद आखिर इतने बड़े बड़े अधिकारियों के द्वारा उन ग्रामीणों, पीड़ितों के साथ छल और कपट क्यों?
हालांकि इस संबंध में एसडीएम नेहा सोनी से बात करने के बाद उनके द्वारा यह कहा गया कि किसी अन्य व्यस्तता के कारण जांच नहीं कराई गई है। ठीक है हम उनकी यह भी बात मान लेते हैं लेकिन इस जांच की जानकारी पीड़ितों और ग्रामीणों को नहीं होना संदेह को जन्म देता है।
इतनी बड़ी घटना नहीं दिखाई दी विपक्ष को
जानकारी के मुताबिक कंचन कोल माइंस के घोर लापरवाही के चलते गई 2 लोगों की जान के बाद कालरी के जीएम और अन्य अधिकारियों ने विधायक और जिला प्रशासन के सहयोग से मामले को दबाने, रफा-दफा करने के फिराक में था। लेकिन जिले का विपक्षी दल कांग्रेस को यह सब दिखाई नहीं देता। इतना ही नहीं विपक्षी दल का कोई भी नेता पीड़ित के घर और ना ही धनवाही ग्राम पहुंचा है। जिससे यह साफ जाहिर होता है कि जिले में कुछ भी उल्टा सीधा चलता रहे, विपक्ष को कोई सरोकार नही, बल्कि अपनी मूक सहमति देता है।
फिर पहुंची डीजीएमएस की टीम
जानकारी के मुताबिक कंचन कोयला खदान की ब्लास्टिंग मामले में जांच करने डीजीएमएस की टीम दोबारा कंचन खदान पहुंची है इसके पहले भी डीजीएमएस की टीम आई थी और उसके द्वारा तीन-चार दिनों तक कंचन कोल माइंस की ब्लास्टिंग और अन्य मामलों की जांच कराई गई थी। एक बार फिर से डीजीएमएस की टीम कंचन खदान पहुंचने की जानकारी मिली है। देखना होगा यह टीम जांच में क्या करती है। बता दें कि कोल माइंस मामले में कोल माइंस से रिलेटेड डीजीएमएस जांच टीम बनाई जाती है जहां भी इस तरह का कोई मामला होता है यह टीम वहां पहुंचकर जांच कर अपनी रिपोर्ट कालरी मुख्यालय को सौंपती है।
गौरतलब है कि कंचन ओपन माइंस की घोर लापरवाही और हैवी ब्लास्टिंग से पूरा धनवाही गांव प्रभावित है। घरों की दीवारें दरक कर जीर्ण शीर्ण हो गई हैं। बीते 9 मई को दोपहर बाद कंचन माइंस के द्वारा की गई हैवी ब्लास्टिंग से धनवाही निवासी सुखलाल बैगा का मकान धराशाई हो गया, जिसमें दबकर उसकी बेटी ननकी बाई और उसकी पोती विद्या बाई की दुखद मौत हो गई थी। जिसके बाद ग्रामीणों के आक्रोश और हो-हल्ला के बाद कलेक्टर और पुलिस कार्यवाही का भरोसा देकर मामले को शांत कराया था।