कौशल विश्वकर्मा, उमरिया (संवाद)। जिले का बहुचर्चित हत्याकांड (famous murder case) में आज 7 फरवरी को जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने चार आरोपियों को आजीवन कारावास (life imprsonment) की सजा सुनाई है।
जिला एवं सत्र न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए हत्याकांड की गंभीरता और जिरह को सुनते हुए 2014 में उमरिया के अखड़ार-बेलमना (akhdar-belmana) में हुए अन्तराज सिंह की जघण्य हत्या मामले में आरोपी अभय प्रताप सिंह, वीरेंद्र पाण्डेय, गोरेलाल यादव व चंद्रबली साहू को दोषी करार देते हुए माननीय डीजे सनत कुमार कश्यप ने आजीवन कारावास (life imprsonment) की सजा से दण्डित किया है। वहीं एक अन्य आरोपी रूपलाल साहू को निर्दोष करार दिया है।
गौरतलब है कि सन 2014 में हुए जिले का बहुचर्चित हत्याकांड (high lighted murder cash) से पूरा जिला सहम गया था।जिले के चंदिया थाना अंतर्गत ग्राम अखडार के बेलमना निवासी अन्तराज सिंह की बड़ी बेरहमी से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद से सालों तक आसपास के इलाके में दहशत का माहौल बना हुआ था।
अभय को चाचा की मौत का लेना था बदला
जानकारी के मुताबिक बेलमना निवासी अन्तराज सिंह व उनके अन्य साथियों के द्वारा आरोपी अभय प्रताप सिंह निवासी प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश के चाचा की शहडोल में 30 साल पहले 1984 में हुई हत्या मामले में शामिल होने की बात सामने आई थी। जिसके बाद से आरोपी अभय ने अपने चाचा की मौत का बदला उसकी मौत से लेने का मन मे ठान लिया था। हालांकि माननीय न्यायालय ने अन्तराज सिंह को हत्या में दोषी पाते हुए उस समय भी उसको आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी बावजूद इसके अभय ने चाचा की मौत का बदला अन्तराज सिंह की मौत से ही पूरा करने का लिए संकल्प मौके के इंतजार में दिन काट रहा था और वह एक दिन आ ही गया जब अन्तराज सिंह जेल से सजा काटकर वापस अपने गांव बेलमना आ गए।
पूरा घटनाक्रम किसी फिल्मी कहानी से कम नही
बता दे कि आरोपी अभय प्रताप सिंह ने कई बार अन्तराज सिंह को मारने उसका पीछा भी किया लेकिन वह अपने इरादे में सफल नहीं हो पाया,इसके बाद उसने उसी के गांव अखडार में अखडार निवासी चंद्रबली साहू के घर(दुकान) में अपने 2 अन्य साथियों सहित किराये पर रहने लगा और लगातार अपने 2 साथियों को उस पर नजर रखने के लिए लगा दिया।
कम्बल व्यापारी बन करते रहे मौके का इंतजार
स्थानीय लोग बताते है कि उस दौरान उनपर कोई शक न करे इसके लिए वे कम्बल बेचने का भी काम करने लगे और बकायदे गांव और आसपास के इलाके में भी मोटरसाइकिल से कम्बल बेचने जाने लगे। जिससे वे लोग कम्बल वाले के नाम से फेमस हो गए। लगभग एक साल से ज्यादा समय गुजारने के बाद आखिरकार वह मौका आ ही गया जिसकी उन्हें तलाश थी। चूंकि अन्तराज सिंह गांव में ही स्थित मंदिर में रोज शाम को पूजा करने जाया करते थे, बाकी दिनों में कोई न कोई उनके साथ रहता था, लेकिन एक दिन वे बिल्कुल अकेले थे।
30 साल बाद चाचा की मौत का लिया बदला
सन 2014, 24 मार्च की रात करीब 9 बजे गांव के बाहर मंदिर से अचानक कई बार पटाखे जैसे फूटने की आवाजें लोंगो ने सुना और जब तक कुछ समझ पाते अन्तराज सिंह की गोली मारकर हत्या की जा चुकी थी, और आरोपी अभय के द्वारा 30 साल पहले खाई हुई कसम पूरी हो चुकी थी। घटना के बाद लोगों ने वही कम्बल वालों को वहां से भागते हुए देखे। जिसके बाद स्थानीय लोगों के द्वारा पुलिस को जानकारी देने के बाद पुलिस जांच में जुट गई जिसके बाद पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए अभय प्रताप सिंह, वीरेंद्र पाण्डेय, गोरेलाल यादव निवासी उत्तरप्रदेश सहित चंद्रबली साहू व उसके भतीजे रूपलाल साहू निवासी अखडार को आरोपी बनाया गया था।