एक बार फिर 5 माह की नन्ही बच्ची का शव कब्र से निकाला,दगना कुप्रथा के चलते हुई मौत,प्रशासन की कोशिशें नाकाम

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शहड़ोल (संवाद)। जिले में दगना कुप्रथा से नन्हे बच्चो के मौत का मामला थमने का नाम नही ले रहा है।लगातार ग्रामीण क्षेत्रों से इस कुप्रथा और अंधविश्वास में जकड़े लोंगो चलते नौनिहाल मौत मुंह तक पहुंच रहे है।इसके पहले भी ऐसी ही मामले सामने आ चुके है।जबकि उस दौरान नौनिहालों को दागने वाली दाइयों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की गई थी।इसके अलावा जिला प्रशासन के द्वारा सख्ती अपनाने के साथ ही लोंगो को।जागरूक किये जाने की कोशिशें की गई थी।लेकिन यहां प्रशासन की कोशिशें नाकाम होती दिखाई दे रही है।
दरअसल जिले के ग्रामीण अंचलों दगना जैसी कुप्रथा दगना का अंधविश्वास जमकर पनप रहा है।नौनिहाल बच्चो को निमोनिया बीमारी की शिकायत होने पर ग्रामीण बच्चो को हॉस्पिटल में डॉक्टरों से इलाज न कराकर गांव में पुरानी रीति रिवाज से दाइयों से गर्म सलाखों से पेट मे दागा जाता है।जबकि यह महज कुप्रथा और अंधविश्वास के अलावा कुछ नही हैं।कई बार ग्रामीण बच्चो के पूरे पेट मे दगना कराते रहते है।बाद में बच्चे की हालत खराब होने पर आनन फानन में जब तकक अस्पताल पहुंचते है तब तक बहुत देर हो जाती है।
हालांकि इस कुप्रथा को रोकने जिला प्रशासन अपने सरकारी स्वास्थ्य अमला या आंगनबाड़ियों के माध्यम से इसे रोकने अभियान चलाया जा रहा हैं।बावजूद इसके सरकारी अमले का प्रयास असफल दिखाई दे रहा है।इसके पहले भी इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी है।इसी कड़ी में आज शनिवार को एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जहां जिले के धनपुरी की 5 महीने की मासूम काव्या इस कुप्रथा की शिकार हुई है। उसे निमोनिया की शिकायत होने उसके पेट को गर्म सलाखों से कई बार दागा गया।लेकिन जब उसे आराम नहीं मिला और उसकी हालत बिगड़ती गई तब परिजनों ने उस मासुम को मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया।जहाँ उसे वेंटिलेटर में रखकर इलाज किया जा रहा था।
लेकिन मासूम काव्या की इलाज के दौरान मौत हो गई।परिजनों के शव को दफनाने के बाद अब इस मामले नया मोड़ आया है।जिसके बाद नींद से जागे प्रशासन के द्वारा मासूम के शव को कब्र से बाहर निकलवाया गया है। जिसका पीएम कराकर जांच कराई जाएगी कि मासूम की इलाज के दौरान हुई मौत की दगना तो नही।

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