आज होगा ज्वाला माता उचेहरा धाम का जवारा विसर्जन,हजारो की तादात में श्रद्धालु होंगे शामिल

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उमरिया (संवाद)। जिले के प्रसिद्ध ज्वाला माता उचेहरा धाम में जवारा कलशों का विसर्जन 12 अप्रैल की शाम को होगा। यहां जवारा विसर्जन के बाद रात में जागरण का कार्यक्रम भी रखा गया है। इस बारे में मिली जानकारी के अनुसार उचेरहा धाम में साढ़े पांच हजार जवारा कलशों की स्थापना की गई है। यहां घी के ज्योति कलश 500, तेल ज्योति कलश 1500, हरे जवारे कलश 3000 स्थापित किए गए हैं। इन जवारा कलशों को जब श्रद्धालु अपने सिर पर रखकर चलेंगे तो ऐसा लगेगा जैसे हरियाली चुनर लहरा रही हो।

ज्वाला माता धाम में 12 अप्रेल शाम मां ज्वाला माता एवं जवारा पूजन किया जाएगा। तत्पश्चात मंदिर प्रांगण से जुलूस विसर्जन स्थल घोड़छत्र नदी के लिये रवाना होगा। भ्रमण करते हुए जुलूस स्थानीय घोडछ़त्र नदी के घाट पर पहुंचेगा। जहां इसका विसर्जन किया जाएगा। दो साल बाद जवारा जुलूस का आयोजन होगा जिसमें हजारों श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। नवमी पर पचास हजार से ज्यादा श्रद्धालु मां ज्वाला माता के दर्शन किए थे। जवारा जुलूस परम्परागत ढंग से निकाला जाएगा और जवारा कलशों का विसर्जन होगा।

जिले की सिद्धपीठ उचेहरा मे बिराजी मां ज्वाला के धाम में भी चैत्र नवरात्र की धूम रही। महाकाली के दरबार में सुबह से ही भक्तों का हुजूम उमड़ता रहा। जल ढारने के बाद श्रद्धालुओं ने मंदिर परिसर में होने वाली विशेष आरती में शामिल हो कर माता का आशीर्वाद लिया। श्रद्धालुओं के अलावा ज्वालाधाम मे संतों, साधुओं का भी आगमन हो रहा है। जिससे परिसर की शोभा और भी बढ़ रही है। उल्लेखनीय है कि उचेहरा का ज्वालाधाम जिले मे ही नहीं पूरे देश-प्रदेश मे अपनी अलग पहचान रखता है।

मान्यता है कि यहां पहुंचने वाले हर व्यक्ति की मन मांगी मुराद पूरी होती है। यूं तो पूरा साल यहां लोग शक्ति की आराधना करने पहुंचते हैं, परंतु शारदेय तथा चैत्र नवरात्र मे माता के दर्शन का अलग ही महत्व है। नवरात्र मे बैठकी से लेकर अष्टमी तक मंदिर परिसर मे पूजा-अर्चना और भण्डारे का दौर चलता रहता है। वहीं जवारा विसर्जन के दिन जुलूस के साथ मां काली का खप्पर नाच रोमांचित कर देता है। इस दौरान लोगो का हुजूम निकल पड़ता है, जिससे प्रांगण मे जगह तक कम पड़ जाती है। इसे ध्यान मे रखते पुलिस, प्रशासन और मंदिर प्रबंधन कमेटी के द्वारा उचित व्यवस्था की जाती है।

कहते हैं श्रद्धी की कोई सीमा नहीं होती। भक्त अपने भगवान को प्रसन्न करने के लिए कहीं तक भी जा सकता है। इसमे चाहे उसे कितना भी कष्ट क्यों न उठाना पड़े। ऐसा ही दृश्य उचेहरा में बिराजी मां ज्वाला धाम मे देखा जा रहा है। जहां भक्त संतोष अपनी गोद में जवारा बो कर बैठे हुए हैं। बताया गया है कि संतोष महराज एक पीढ़ा में जवारा धारण कर नौ दिनों से आसन पर स्थापित हैं। इस दौरान उन्होंने निर्जला व्रत धारण करने के सांथ सारी नित्य क्रियाएं भी त्याग दी हैं। उनका कहना है कि यह सब मां ज्वाला की कृपा का प्रतिफल है। लोग जिसे कठोर तप मान रहे हैं, वह भी मातेश्वरी के आशीर्वाद से आसान बन गया है।

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