आखिरकार नतमस्तक हुआ प्रशासन, धरना दे रहे MLA दिव्यराज सहित उनके समर्थक पहुंचे किले पर,बांधवगढ़ प्रबंधन ने जिला प्रशासन की कराई बेज्जती

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उमरिया (संवाद)। बांधवगढ़ के किले में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के आयोजन को बांधवगढ़ प्रबंधन साजिश के तहत किसी भी बहाने बन्द कर देने के फिराक में रहा है।इसके लिए वह जिला प्रशासन और पुलिस आगे कर उनकी जमकर बेज्जती कराई है। वहीं श्रद्धालुओं को किला तक जाने के पर रोक लगाने से नाराज रीवा रियासत के वंशज बीजेपी विधायक दिव्यराज सिंह अपने समर्थकों के साथ बांधवगढ़ गेट के पास धरने पर बैठ गए थे।कल शाम से लेकर रातभर धरना देने के बाद आज सुबह से कई बार प्रशासन और अनशनकारियों के बीच टकराव चलता रहा। अंततः एक समय ऐसा आ ही गया जब प्रशासन आंदोलनकारियों को किला तक ले जाने और उसके बाद उनके द्वारा भगवान बाँधवाधीश के दर्शन और पूजन किया गया है।
दरअसल बांधवगढ़ के किला में विराजमान भगवान बाँधवाधीश के दर्शन के लिए साल भर में सिर्फ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन खुलता है। जिसे भी प्रबंधन जंगली हाथी के बहाने बन्द करा देना चाहता है। चूंकि रीवा रियासत से जुड़ा मामला है और हर बार उनके वंशज बीजेपी विधायक दिव्यराज सिंह प्रथम पूजा करते है। इसके बाद पूरे क्षेत्र की आम जानता भगवान के दर्शन करती है। बाँधबगढ़ में बीते 4-5 सालों से जंगली हथियो ने डेरा जमा लिए है।जिससे आम लोंगों को खतरा बना हुआ है लेकिन आज एक दिन के आयोजन के लिए प्रबंधन और प्रशासन व्यवस्था बना सकता था। लेकिन उसने इस परंपरा को प्रबंधन के साथ मिलकर मिटाना चाहा।
बांधवगढ़ प्रबंधन के द्वारा किला में जाने पर प्रतिबंध की जानकारी विधायक दिव्यराज को होने के बाद वे एक दिन पहले यहां पहुंचकर कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव से बात की और किला तक प्रवेश का अनुरोध किया उन्होंने कहा कि यह परंपरा सदियों पुरानी और हिन्दू धर्म के लोंगो की आस्था से जुड़ी है इसलिए कोई भी फैसला एक तरफा नही होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जंगली हाथी किस एरिया में है मुझे भी चलकर दिखाया  जाय,अगर वहां से दूर है तो प्रबंधन और प्रशासन उसकी तैयारी कर आयोजन करा सकता है। लेकिन बांधवगढ़ प्रबंधन जिला प्रशासन को इस तरह गुमराह कर रखा था कि जिला प्रशासन उसकी हाँ में हाँ मिलाता गया। जिसके बाद प्रबंधन के फरमान के विरोध में विधायक दिव्यराज सिंह अपने समर्थकों के साथ ताला गेट के पास धरने पर बैठ गए।
लगभग 20 घंटे तक चले धरने में सैकड़ों लोग शामिल हुए इस दौरान जिला प्रशासन और प्रबंधन उन्हें धरने से उठने प्रयास करता रहा।इस बीच आंदोलनकारियों और प्रशासन के बीच कई बार टकराव हुआ,आंदोलनकारियों के द्वारा जिला प्रशासन के लोंगो को जमकर कोसा गया गालियां दी गई। भगवान के दर्शन से रोकने पर लोंगो ने प्रशासन के लोंगो को नर्क में जगह नही मिलने जैसे कई खराब शब्दो का इस्तेमाल किया गया। इस दौरान बांधवगढ़ प्रबंधन तो किनारे हो गया। लेकिन आंदोलनकारियों से कलेक्टर व एसपी आमने सामने होते रहे। आज सुबह कई बार माहौल बिगड़ा कभी आंदोलन कारी उत्तेजित हुए तो कई बार धक्का मुक्की और मारपीट जैसे हालात बन रहे थे। इस बीच वहां पहुंचे उमरिया भाजपा जिलाध्यक्ष दिलीप पाण्डेय ने सेतु का काम किया। उनके द्वारा प्रशासन और आंदोलन के मुखिया दिव्यराज दोनो से बात की और सामंजस्य बनाया गया जिसके बाद आसानी से उन्हें किला तक भेजने की सहमति बन गई। जिसके बाद विधायक दिव्यराज और उनके समर्थक 6 जिप्सियों के माध्यम से लगभग 35 से 40 लोग किला स्थित मंदिर पहुंचे और भगवान के दर्शन कर पूजा अर्चना की गई है।इस दौरान उनके साथ कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव, एसपी प्रमोद कुमार सिन्हा और प्रबंधन के अधिकारी शामिल थे। 20 घंटे से पूरे जिले की 500 से ज्यादा पुलिस फोर्स, 500 से ज्यादा वनकर्मी और पूरे जिले का प्रशानिक अमला इस जन्माष्टमी के आयोजन को रोकने में लगा रहा, जबकि इसके आधे कर्मचारियों को भी लगा दिया जाता तो किले में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी बडे बेहतर और अच्छे तरीके से सम्पन्न होती।
बहरहाल विधायक दिव्यराज का धरना खत्म हो गया है और वे जो चाहते थे आखिर हुआ वही। हालांकि बाँधवगढ़ में जंगली हाथियों की संख्या 100 के पार है और सभी जानते हैं कि उनसे आम जनमानस को खतरा है। लेकिन क्या इस समस्या के कारण सदियों पुरानी परंपरा को समाप्त कर हिंदुओ की आस्था से खिलवाड़ किया जाना उचित है। इसके लिए शासन और सामूहिक स्तर से इसका हल निकालने की आवश्यकता है। लेकिन बड़ा सवाल यह कि जब विधायक दिव्यराज सिंह किला तक जाने और स्थिति को देखना चाहते थे तब उन्हें क्यो नही जाने दिया गया आखिरकार उनके धरने और पूरे जिले का सरकारी महकमां के हलाकान होने के बाद हुआ वही।

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