उमरिया/बांधवगढ़ (संवाद) जिले का ऐतिहासिक और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में बांधवगढ़ के किला में विराजमान भगवान बाँधवीश महराज और शेष शैया में भगवान विष्णु के दर्शन अब श्रद्धालुओं को नहीं होने वाले है। जिससे हिन्दू धर्म और श्रीकृष्ण को मानने वाले अनुयायियों की आस्था पर गहरी चोंट है,और इस पूरी साजिश को प्री प्लान तरीके से साजिश रचने वाला बांधवगढ़ प्रबंधन अपनी चाल में सफल होता दिखाई दे रहा है।
जानकारी के मुताबिक बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व में कल 19 अगस्त को बांधवगढ़ के ऐतिहासिक और प्राचीन किला में स्थित भगवान बाँधवीश और शेष शैया में भगवान विष्णु के दर्शन हिन्दू धर्म को मानने वाले और श्रीकृष्ण के अनुयायियों को अब उनके दर्शन नही होंगे? इसके लिए बांधवगढ़ प्रबंधन ने साजिश की तहत बकायदे ब्लू प्रिंट तैयार किया है। इस आयोजन संबंध में प्रबंधन ने एक मीटिंग कर स्थानीय जन प्रतिनिधि मध्यप्रदेश शासन की मंत्री सुश्री मीना सिंह, कमिश्नर राजीव शर्मा और उमरिया कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव को जानकारी दी गई कि इस बार के मेले में जंगली हाथियों का खतरा है। इसलिये श्रद्धालुओं को किला तक जाने और भगवान बाँधवीश के दर्शन करने पर रोक लगाई।जाती है। चूंकि खतरे को देखकर और आम जनता की सुरक्षा के चलते मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों ने उनकी बात पर सहमति जताई होगी लेकिन उन्हें प्रबंधन की साजिश के बारे में कोई जानकारी नही है।
एक बात तो बिल्कुल साफ है कि टाईगर रिजर्व के भीतर मनाया जाने वाला यह उत्सव हमेशा खतरों के बीच रहा है। हर बार कही बाघ का खतरा रहता था तो कभी अन्य हिंसक जानवरो से, कई बार तो मेले के दौरान उसी क्षेत्र में शावकों बाली बाघिन और बाघ भी मौजूद रहते थे। लेकिन उस समय प्रबंधन के अधिकारी की अच्छी सोच और उनकी पॉजिटिव कार्यप्रणाली से सब कुछ बेहतर ढंग से सम्पन्न हो जाता था। लेकिन बीते कुछ सालों से जन्माष्टमी के इस आयोजन को खत्म करने की साजिश रची जा रही थी। जो इस बार सफल होते दिखाई पड़ रही है।
जंगली हाथियों से हुए नुकसान पर प्रबंधन का प्रोपेगैंडा
बीते 3-4 दिनों से प्रबंधन हाथियों के द्वारा जंगल के अंदर हाथी कैम्प और सोलर पंप को किये गए नुकसान और तोड़फोड़ को लेकर लगातार प्रेस नोट जारी कर एक प्रोपेगैंडा तैयार कर रहा है। इस कारण वह मीडिया के माध्यम से वरिष्ठ अधिकारियों, जन प्रतिनिधियों में मन और दिमाग में एक तश्वीर बना देना चाहते है जिससे मेले का आयोजन और किला जाने पर रोक लग जाये। जबकि बांधवगढ़ में जंगली हाथी 4-5 सालों से मौजूद है,फिर पिछले वर्ष तक मेले का आयोजन कैसे किया जाता रहा है हालांकि विभाग ड्रोन कैमरे से हाथियों की लोकेशन लेकर निगरानी कर रहा है।
जानकारी के मुताबिक एक खासबात यह कि बांधवगढ़ गेट से किला तक कोई भी न तो कैम्प है और न ही सोलर सेट फिर प्रबंधन के द्वारा अन्य क्षेत्रों में हाथियों के द्वारा किये गए नुकसान को मेले से क्यो जोड़ रहा है। इसके अलावा इन 4-5 सालों में हाथियों ने जंगल मे कितना न नुकसान पहुचाये होंगे,वहीं जंगल से सटे गावो के घरों और उनकी फसलों को नुकसान पहुचाये होंगे तब तो कोई प्रेसनोट जारी नही किया गया। आखिर प्रबंधन को हाथियों से नुकसान और खतरा अभी ही क्यो नजर आ रहा है।
बहरहाल बांधवगढ़ प्रबंधन के द्वारा हाथियों की आड़ में इस जन्माष्टमी के आयोजन को रोकने की साजिश और हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ साफ नजर आती है। तामाम क्षेत्र के जागरूक लोग इस बात को समझ और जान चुके है ।लेकिन बड़ा सवाल यह कि क्या बात यहां के जनप्रतिनिधियों और संभाग व जिले के वरिष्ठ अधिकारियों कब समझ आएगी बड़ा सवाल है।
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