सिस्टम के मुंह मे तमाचा मारती यह तश्वीरें, 21 वीं सदी के भारत का भविष्य खतरे में

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उमरिया एमपी (संवाद)। जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर की यह तस्वीर सरकारों के लाख दावों की पोल खोल देता है। यह तश्वीरें सीधे तौर पर पूरे सिस्टम पर तमाचा है।देश का भविष्य कहे जाने वाले नौनिहालों की जान 21 वीं सदी के भारत मे सुरक्षित नही है।
जिले के ताला बांधवगढ़ रोड से लगे सरसवाही गांव स्थित स्कूल जाने वाले बच्चे प्रतिदिन अपनी जान को हथेली में रखकर नदी पार करके स्कूल पहुंचते है और इसी रास्ते से पढ़ाई करके वापस भी आते है। इस समय बारिश का दौर है। जिले भर में भारी बारिश से नदी नाले उफान पर है। हाल ही में 2 लोग बाढ़ में बह भी चुके है। जिसके बाद यहां प्रशासन निरंकुश बना बैठा।
गौरतलब है कि ग्राम सरसवाही में हायर सेकेंडरी स्कूल है। जिस कारण यहां पर आसपास के इलाके के आधे दर्जन गॉव के बच्चे इस स्कूल में पढ़ने आते है। जिनमे ग्राम कोडार, ददरौडी और बरतराई तीन गांव ऐसे है जहां पर स्कूल पहुँचने के लिए दूसरा मार्ग नही है। इस कारण तीन गांव के सैकड़ो बच्चे अपनी जान को जोखिम में डालकर बरुहा नदी को पार कर स्कूल पहुंचते है। कई बार तो दुघटना होते होते बची है। इसके पहले 2-3 बच्चे नदी में बह गए थे। जिसके बाद वहां मौजूद लोंगो ने तुरंत उन्हें बचा लिया नही तो अनहोनी हो सकती थी।
बता दें कि ग्राम सरसवाही से ददरौंडी सहित अन्य कई गावो को जोड़ने वाला सड़क मार्ग में पड़ने वाली बरुहा नदी का पुल बीते 4-5 सालों से पूरी तरीके टूटकर क्षतिग्रस्त हो गया है। जिसके बाद लगभग आधा दर्जन से अधिक इस मुसीबत को झेल रहे है। ऐसा भी नही की इसकी जानकारी किसी को नहीं है। जिले के कलेक्टर सहित जन प्रतिनिधियों भी इस समस्या से अवगत है। बावजूद इसके जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे है।
इतना ही नहीं जिला प्रशासन को यह भी जानकारी रही है कि बारिश से बरुहा नदी उफान पर है और स्कूली बच्चे स्कूल जाने के लिए अपनी जान को जोखिम में डालकर इसे पार कर रहे है फिर भी जिला प्रशासन हाथ पर हाथ धरे किसी बड़ी घटना के इंतजार में है। 
बहरहाल जिले में बारिश भले ही थम गई हो लेकिन नदी तेज बहाव में बह रही है। इसके अलावा यह नदी जंगलों के अंदर से निकलती है और जंगल मे कब पानी बरस जाए और नदी में अचानक बाढ़ कब आ जाय कोई नही जानता। 

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