लाखो की शेष रकम के लिए दो साल से भटक रहे भूस्वामी
उमरिया (संवाद)। जिले के भरौली स्थित निजी भूमि के खरीद फरोख्त पर हुई धांधली बाजी की शिकायत के बाद कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने सर्विस प्रोवाइडर रावेंद्र त्रिपाठी के लाइसेंस निरस्त करने उपपंजीयक आशीष श्रीवास्तव को निर्देशित किया है।
दरअसल ग्राम भरौला निवासी बाबूलाल यादव,ईश्वरी यादव,राकेश यादव,कालिका यादव सभी के पिता रमई यादव की भूमि के खरीद फरोख्त पर मोनू पति मिथिलेश राय वार्ड 23 शारदा कालोनी पर जालसाजी से अनुबंध पत्र के स्थान पर रजिस्टर्ड विक्रय पत्र बनाने की शिकायत मंगलवार को कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव से की गई है।जिस पर कलेक्टर ने सर्विस प्रोवाइडर रावेंद्र त्रिपाठी के लाइसेंस निरस्त करने उपपंजीयक को निर्देशित किया है। इस मामले में शिकायतकर्ता ने बताया कि सभी भाइयों की नाम लगभग 1.124 हेक्टेयर भूमि है। इसी भूमि के बिक्री करने के लिए शारदा कालोनी निवासी मिथलेश राय से सौदा चल रहा था। जिसमे यह पूरा सौदा 75 लाख में तय किया गया। जिसके बाद मिथलेश राय के द्वारा कहा गया कि इतने रुपये अभी मेरे पास नही है। चूंकि हम लोंगो पैसों की बेहद आवश्यकता रही है इसलिए वह इसका फायदा उठाते हुए हम सीधे साधे लोंगो का फायदा उठाना चाहता था। इसलिए उसने कहा कि 5 लाख रुपये अभी ले लो और बाकी का बकाया मेरे द्वारा 11 महीने दे दी जाएगी। उसकी बात पर हम सभी लोग राजी हो गए। इसके बाद उसने कहा कि रजिस्टार कार्यालय आकर अनुबंध पत्र बनवा लेते है।
कुछ महीने बीतने के बाद उसने 16 लाख रुपये चेक के माध्यम से दिए थे। इसके बाद जब 11 महीने बीत गए तब हम लोंगो ने उससे बाकी की रकम मांगने लगे तब उसने कहा कि मेरे अभी रुपये नही है। मेरी दुकान से घर बनाने का लोहा और सीमेंट ले लो। तब हमारे द्वारा उसकी दुकान से 3 लाख 75 हजार का मटेरियल खरीदा गया। इसके बाकी की रकम देने में आनाकानी कर रहा है। जिसके बाद हम सभी लोग रजिस्टर कार्यालय गए तब जाकर पता चला कि अनुबंध पत्र की जगह मिथलेश राय कूटरचित और जालसाजी कर अपनी पत्नी मोनू राय के विक्रय पत्र बनवा लिया है।
विक्रय पत्र के अनुसार 33 लाख दो साल बीत जाने के बाद भी नही दे रहे है।इसके अलावा एक दूसरे मामले में महिला क्रेता मोनू के पति मिथिलेश राय पर भी गोरे लाल यादव निवासी भरौला ने कलेक्टर से शिकायत दर्ज की है।इस मामले में फरियादी गोरेलाल की माने तो ग्राम भरौली में पास 1.123 हेक्टेयर भूमि का विक्रय मिथिलेश को लगभग 75 लाख में वर्ष 2020 में किया गया था।भूमि विक्रय के बाद अभी भी 46 लाख की बड़ी रकम शेष है जो नही दे रहा है। इस मामले में भी फरियादी ने अनुबंध पत्र की जगह जालसाजी से विक्रय पत्र बना लेने का हवाला दिया है।