बांधवगढ़ में जंगली हाथियों से टेंशन पर वर्कशॉप,इधर मानव, हाथी द्वंद रोकने एक्सपर्ट ने साझा किए विचार

Editor in cheif
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बांधवगढ़ (संवाद)। बीते 5 सालों से बाँधवगढ़ टाईगर रिजर्व में जंगली हाथियों के डेरा जमाने से जहां बांधवगढ़ का पर्यटन प्रभावित है वहीं टाईगर रिजर्व से लगे दर्जनों गांवों के ग्रामीणों की जान के लिए खतरा और उनकी खेती बाड़ी,फसल के जानी दुश्मन बन बैठे जंगली हाथियों को लेकर देशभर से आये हाथियों के स्वभाव और उनसे बचाव के जानकार बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व में जंगली हाथी और मानव के बीच उत्पन्न द्वन्द्व से बचाव की जानकारी आयोजित वर्कशॉप के माध्यम से देंगे।
जानकारी के मुताबिक बीते 5 सालों से लगातार जंगली हाथी बांधवगढ़ में डेरा जमाए हुए है इस बीच उनकी संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है। जिससे यहां का पर्यटन प्रभावित हो रहा है हाथियों के ग्रामीणों कुचला जा रहा और फसलों को भी बर्बाद किया जा रहा है।आने वाले समय मे हाथी और मानव द्वंद का अंदेशा बढेगा इसलिए वर्कशॉप आयोजित कर इस मामले के एक्सपर्टों के द्वारा जंगली हाथी के स्वभाव और बचाव की जानकारी दी गई।
 बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व उमरिया में मानव हाथी द्वन्द्व पर आयोजित राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला में  मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, कनार्टक झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल के मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक, जंगली हाथियों के विशेषज्ञ, जंगली हाथियों पर अनेक वर्षों से कार्य कर रहे ।  एन.जी.ओ. के प्रतिनिधि, बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व, कान्हा टाईगर रिजर्व एवं संजय टाईगर रिजर्व तथा जबलपुर वृत्त, शहडोल वृत्त एवं रीवा वृत्त के क्षेत्र संचालक, मुख्य वन संरक्षक, वनमण्डलाधिकारी उप वनमण्डलाधिकारी एवं परिक्षेत्र अधिकारी तक के अधिकारी शामिल होंगे। इसके अतिरिक्ति डब्ल्यूएलएल  देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक, वन्यप्राणी फोरेसिक स्कूल जबलपुर के निदेशक, बांधवगढ़ कान्हा, एवं संजय टाइगर रिजर्व के वन्यप्राणी चिकित्सक उपस्थित रहेंगे। कार्यशाला में मुख्य रूप से बांधवगढ लैण्डस्केप, कान्हा लैण्डस्केप में वर्ष 2018 से लगातार विचरण कर रहे लगभग 100 हाथियों से उत्पन्न परिस्थितियों पर विचार मंथन किया जायेगा। प्रथम दिवस बांधवगढ़ लैण्डस्केप, कान्हा लैण्डस्केप से आये अधिकारियों द्वारा प्रेजेन्टेशन के माध्यम से वर्ष 2018 में हाथियों के आने के पश्चात मानव- हाथी द्वन्द्व रोकने के लिये किये जा रहे प्रयासों एवं आ रही कठिनाइयों से विशेषज्ञों को अवगत कराया जायेगा तत्पश्चात छत्तीसगढ़, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल एवं कर्नाटक के मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक 4 एनजीओं के प्रतिनिधियों एवं डब्ल्यूएलएल  के वरिष्ठ वैज्ञानिक द्वारा प्रेजेन्टेशन के माध्यम से मानव हाथी द्वन्द्व एवं जंगली हाथियो के प्रबंधन तथा द्वन्द्व को कम करने के लिये किये जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला जायेगा। द्वितीय दिवस विशेषज्ञों द्वारा हाथी प्रभावित क्षेत्र का भ्रमण किया जायेगा तथा जिसमें ग्रामीणों से चर्चा कर हाथियों के कारण हो रही समस्याओं का जायजा लिया जायेगा, तत्पश्चात कार्यशाला में हुये मंथन से प्राप्त निष्कर्ष प्रस्तुत किये जायेंगे ।
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