उमरिया/मंडला (संवाद)। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बारहसिंघों के पुनर्स्थापना के लिए बनाई गई योजना को लेकर कान्हा नेशनल पार्क से बारहसिंघा लाए जाने थे।जिसके लिए तमाम पूरी औपचारिकताएं और एनटीसीए के परमिशन के बाद बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन के द्वारा 8 नग बारहसिंघा को एक विशेष टीम के द्वारा विशेष वाहन से लाए जा रहे थे, तभी रास्ते में अचानक 8 बारहसिंघों की संदिग्ध मौत हो गई। जिसके बाद लगातार बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन और कान्हा नेशनल पार्क के अधिकारियों के द्वारा बारहसिंघों की मौत की जानकारी छिपाई जा रही है। उनके द्वारा लगातार एक के बाद एक झूठ बोलकर ना सिर्फ सच्चाई से गुमराह किया जा रहा है, बल्कि इतने बड़े कांड को दबाया जा रहा है। वही अब मौत के मामले को लेकर हालात ऐसे हैं कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधनऔर कान्हा प्रबंधन सहित पूरे वन अमले को जैसे कोबरा सांप सूंघ गया हो।
घटना के बाद आनन-फानन में रवाना हुए थे क्षेत्र संचालक राजीव मिश्रा
उमरिया जिले सहित पूरे मध्यप्रदेश में यह बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि सैकड़ों की तादात में कान्हा नेशनल पार्क का अमला और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के संयुक्त अमले के द्वारा विशेष वाहन में 8 नग बारहसिंघा लोड कर बांधवगढ़ के लिए रवाना किया गया था। 10 फरवरी को दोपहर लगभग 12 बजे कान्हा नेशनल पार्क से बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के एसडीओ सुधीर मिश्रा के नेतृत्व में बांधवगढ़ की टीम ने 8 नग बारहसिंघा लेकर रवाना हुई थी और लगभग साढ़े तीन घंटे सफर करने के बाद 60 से 70 किलोमीटर निवास तक पहुंच गए थे, तभी अचानक सभी बारहसिंघा की मौत हो गई जिसके बाद से प्रबंधन अब पूरे मामले को दबाने और छिपाने के लिए एक के बाद एक झूठ बोलता गया। मौके में मौजूद अधिकारियों के द्वारा घटना की जानकारी बांधवगढ़ के क्षेत्र संचालक राजीव मिश्रा को जानकारी दी गई। तब वह आनन-फानन में भागते हुए शाम 4:30 बजे उमरिया से मौके के लिए रवाना हो गए।
गुस्से में कान्हा पहुंचे पीसीसीएफ जेएस चौहान
चूँकि घटना बड़ी थी 8 बारहसिंघों की संदिग्ध मौत हुई थी, इसलिए यहां से लेकर राजधानी भोपाल तक अफरा तफरी मच गई। घटना की नजाकत को देखते हुए पीसीसीएफ वन्य प्राणी जेएस चौहान भी इसी दिन भोपाल से चलकर मंडला के कान्हा नेशनल पार्क पहुंच गए। इस मामले में एक बात और चर्चा में रही है कि कान्हा से 8 नग बारहसिंघा बांधवगढ़ लाए जाने को लेकर पीसीसीएफ खासा नाराज थे, इसके पीछे के कारण जो भी रहे हो इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है। इधर इस घटना से उनकी नाराजगी कई गुना बढ़ गई, इसके लिए उन्होंने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और कान्हा नेशनल पार्क के अधिकारियों को जमकर डांट पिलाई। लेकिन बाद में बारहसिंघा की मौत को छिपाने के लिए नीचे से लेकर बड़े अधिकारी तक एक साथ जुट गये।