बाँधवगढ में पूर्व वर्षों की भांति लगेगा मेला,हाथियों से खतरे के कारण पार्क के अंदर नही होगा प्रवेश कहीं यह साजिश तो नही?

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उमरिया /बांधवगढ़ (संवाद)। जिले के विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पूर्व के वर्षों की भांति इस वर्ष भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाएगा। लेकिन इस बार किला में स्थित बाँधवीष भगवान के दर्शन जरूर नही हो पाएंगे। पिछले कुछ समय से जंगली हाथियों के खतरे के कारण आमजन मानस की सुरक्षा को देखते हुए पार्क के अंदर प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।
दरअसल बांधवगढ़ में काफी समय पहले से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता रहा है।इस दिन बांधवगढ़ के मुख्य गेट को आम जनता और श्रद्धालुयों के दिनभर के लिए मुफ्त खोला जाता रहा है।जिसमें पूरे जिले सहित जिले के बाहर के श्रद्धालुओं के द्वारा बांधवगढ़ के अंदर स्थित किला में पहुंचकर भगवान बाँधवीश के दर्शन करते थे,वहीं किला के नीचे शेष सैया में लेटे भगवान विष्णु के दर्शन कर वापस लौटते थे। जिसमे यह एक पूरे दिनभर की प्रक्रिया होती थी। जिसमें सैकड़ो के तादात में श्रद्धालु बांधवगढ़ के मेन गेट से लगभग 3.5 किलोमीटर जंगल के रास्ते पैदल चलकर किला के पास पहुंचते थे और फिर किले की चढ़ाई चढ़ना होता था। कुल मिलाकर इस पूरे परिक्रमा और आने जाने में 8 से 10 किलोमीटर का सफर लोग पैदल तय करते है। इसमे खास बात यह कि भले ही लोग कई किलोमीटर पैदल चलने के लिए साल भर इंतजार कर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के समय लोग उत्साहित होकर बांधवगढ़ पहुंचते है।
बांधवगढ़ में बीते 4-5 साल से जंगली हाथी ठिकाना बना चुके है। शुरुआत में तो इनकी संख्या कम थी और ये  हाथी पनपथा के जंगल मे डेरा जमाए हुए थे लेकिन वर्तमान समय मे इनकी संख्या बड़कर 100 के आसपास हो गई है। जिससे अब ये हाथी पूरे बांधवगढ़ के इलाके में विचरण कर रहे है। यह जंगली हाथी हिंसक होने के साथ मानव के लिए खतरनाक भी है और शायद यही वजह रही होगी कि जिससे पार्क प्रबंधन ने इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाने के लिए तैयार नही है। हालांकि की ऐसे आयोजन के लिए पार्क प्रबंधन पहले भी बंद करने या इसे जंगल से बाहर करने का प्रयास पहले कर चुका है। इसलिए लोंगो और श्रद्धालुओं के मन में बांधवगढ़ प्रबंधन के इस फरमान के पीछे एक साजिश नजर आती है।
जानकारी के मुताबिक यह पूरा बांधवगढ़ का इलाका रीवा राज घराने की प्रॉपर्टी रही है। जिसके बाद उन्होंने बाघ सहित अन्य जंगली जानवरों, जंगल और उनका किला शासन को राष्ट्रीय उद्यान घोषित करने के लिए सौप दिया था जिसमे उनके द्वारा कुछ शर्तें भी रखी गई थी जिसमे बांधवगढ़ के किले में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मेले के आयोजन के लिए क्षेत्र के लोंगो और श्रद्धालुओं के लिए खोला जाएगा। जिसके बाद कई सालों तक परंपरा के रूप में यह आयोजन बृहद रूप से 2 दिनों तक चलता था। कुछ साल गुजरने के बाद धीरे धीरे इस मेले को 1 दिन के लिए कर दिया गया। अब कुछ सालों से प्रबंधन इसे पूरी तरीके से खत्म करने के फिराक में है।
इस बार 19 अगस्त को मनाये जा रहे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के आयोजन को लेकर पार्क प्रबंधन ने कमेटी की बैठक कराई जिसमे पार्क के अधिकारियों के अलावा क्षेत्र की विधायक और प्रदेश शासन में कैबिनेट मंत्री, कमिश्नर शहडोल राजीव शर्मा एवं कलेक्टर उमरिया संजीव श्रीवास्तव को प्रबंधन ने जानकारी दी है कि किला क्ष्रेत्र में जंगली हाथियों का विचरण है। जिससे आमजनता और श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ा खतरा है। इसलिए इस आयोजन को रोकना उचित होगा। जिसके बाद सभी ने हिंसक जंगली हाथियों की समस्या और लोंगो की जान की परवाह करते हुए प्रबंधन को उचित फैसला लेने की बात कही गई थी। जिसके बाद यह जानकारी जैसे ही क्षेत्र के लोंगो में आम हुई सभी विचलित हो उठे और अपनी पुरानी परंपरा को खतरे में देख इस निर्णय का विरोध शुरू कर दिया।अपने अपने स्तर पर लोंगो ने प्रतिक्रिया भी दी है। वहीं ताला बांधवगढ़ के सरपंच सालिहा बानो के द्वारा मानपुर क्षेत्र की विधायक और प्रदेश शासन की कैबिनेट मंत्री मीना सिंह से मिलकर मेले का आयोजन करने की मांग की गई थी जिस पर मंत्री के द्वारा सहमति देते हुए इस संबंध में बांधवगढ़ के अधिकारियों से चर्चा की है। जिसके बाद मेला क्षेत्र में मेला लगाने की जानकारी मिली है।लेकिन पार्क के अंदर लोंगो को जाने की अनुमति नही हैं।
बहरहाल बांधवगढ़ में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर मेला लगाने की बात पर सहमति तो बनी है परंतु सैकड़ो सालों से चली आ रही परंपरा में श्रद्दालुओं को किला तक जाने और भगवान बाँधवीश महराज और विष्णु भगवान के दर्शन और पूजन करने वाले श्रद्धालुओं की  आस्था पर लगी चोंट को कैसे दूर करेंगे। देखना होगा बांधवगढ़ प्रबंधन और जिला प्रशासन इसके लिए क्या रुख अख्तियार करता है?
Photo sources: google

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