जिले की 3 जनपदों में से महज 1 सीट जीत पाई भाजपा 2 में कांग्रेस की विजय

Editor in cheif
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उमरिया (संवाद)। जिले की तीनो जनपदों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव सम्पन्न हो चुका है।जिसके बाद आये नतीजो में सत्ताधारी दल भाजपा महज 1 जनपद में ही अपना अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बैठा सकी है।शेष 2 जनपद करकेली और पाली में कांग्रेस अपना अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाने में सफल रही है।
जानकारी के मुताबिक आज 28 जुलाई को पाली जनपद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव के लिए निर्वाचन अधिकारी और प्रशासन के द्वारा तौयारी पूर्ण कर ली गई थी।जिसके बाद निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज चुनाव सम्पन्न कराया गया।जिसमें कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार मनीष उर्फ बबलू सिंह बड़करे और भाजपा की तरफ से उम्मीदवार ने बराबर-बराबर 7-7 वोट हासिल किए थे और मुकाबला बराबरी का हो गया।
जिसके बाद टॉस कराने का निर्णय लिया गया उसमें भी भाग्य कांग्रेस के उम्मीदवार के साथ रहा है और कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार मनीष सिंह बड़करे ने टॉस में भाजपा के उम्मीदवार से जीत गया इस तरह पाली जनपद में कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष निर्वचित हुआ है। वहीं उपाध्यक्ष के चुनाव में निर्दलीय के रूप में उम्मीदवार अवधेश प्रताप सिंह विजयी रहे है।
इसके पहले 27 जुलाई को हुए करकेली जनपद और मानपुर जनपद में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस बराबर रही है। जिसमे करकेली जनपद से कांग्रेस की ओर से प्रत्यासी रहे प्रियंका मून सिंह ने भाजपा के उम्मीदवार श्रीमती पूनम साहू से 5 वोट से विजयी रहे है।वही मानपुर जनपद में भाजपा के अध्यक्ष पद श्रीमती ममता सिंह और उपाध्यक्ष पर श्रीमती पूजा सिंह निर्विरोध निर्वचित हुए है। इस प्रकार तीन जनपदों में से 2 कांग्रेस पार्टी के खाते में तो 1 सीट भाजपा के खाते में गई है। यहां पर सबसे बड़ा सवाल यह कि मानपुर जनपद चुनाव के घटनाक्रम पर नजर डाले तो यह बात निकलकर सामने आती है कि कांग्रेस की तरफ से उम्मीदवार और जितने सदस्य निर्धारित समय से विलम्ब पर पहुंचे थे काश वह समय के पहले वहां पहुंच जाते तो शायद मानपुर की तश्वीर भी बदल जाती।
बहरहाल जिले के तीनों जनपदों से आये नतीजो के बाद यह तो साफ हो गया है कि भाजपा से जनता का मोह भंग होता दिखाई पड़ रहा है। तीनो जनपदों और जिला पंचायत में जिस तरह जनता ने प्रत्याशियों को जिताया है,उसमें कहीं न कहीं कांग्रेस पार्टी बढत में रही है।ऐसे में सत्ताधारी दल और उसकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान है।हालांकि यह सभी चुनाव राजनीतिक पार्टी के सिम्बल से नही हुए है फिर भी हालात चिंताजनक है।
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