कौशल विश्वकर्मा,उमरिया/बांधवगढ़।
बांधवगढ में दो मादा बाघों की लड़ाई में बीच मे आये तीसरे यानि एक लेपर्ड के दुर्दशा का वीडियो आया सामने,टाईगरो के आक्रोश से बचने लेपर्ड 7 घन्टे चढ़ा रहा पेड़ में,इंसानों की तरह हाई वोल्टेज ड्रामें का नजारा वाइल्ड लाइफ इतिहास का खूबसूरत नजारों में एक, तो देखिए दो टाईगर की लड़ाई में कबाब की हड्डी बने लेपर्ड से आक्रोशित टाईगर और लेपर्ड के बीच संघर्ष के वो सात घन्टे ।
बाघों का गढ़ यानि बांधवगढ के पतौर रेंज की बगैहा बीट में पार्क के अफसरों के द्वारा लेपर्ड के पेड़ में चढ़े होने का जारी किया गया यह वीडियो एक ऐसी कहानी का जीवंत नजारा है जो अमूमन वन्यजीवों में कम ही देखने को मिलता है दरअसल,पेड़ में चढ़ने के बाद भी बेचैन दिख रहा लेपर्ड असल मे पेड़ के नीचे बैठे उन दो मादा बाघों के ख़ौफ़ में है जो उसके खून के प्यासे हो चुके है,पार्क के डिप्टी डायरेक्टर लवित भारती ने पूरे घटनाक्रम का आंखों देखा हाल बताते हुए साफ किया कि पूरे घटनाक्रम में दो बाघों के बीच घण्टो से जारी संघर्ष तक तो सामान्य बात थी लेकिन इनकी लड़ाई में कही से अचानक प्रगट हो गये तेंदुआ महाराज ने ड्रामे का ट्विस्ट बढ़ा दिया और हुआ यूं कि बाघिन अपनी लड़ाई भूलकर लेपर्ड के पीछे पड़ गई जिससे जान बचाने लेपर्ड को पेड़ का सहारा लेना पड़ा लेकिन इतने से भी बात नही बनी और बाघिनों ने घेरा डाल दिया।
लिहाजा लेपर्ड एक पेड़ से दूसरे पेड़ घूमता रहा और जिंदगी की जद्दोजहद में मारे ख़ौफ़ के पेड़ से उतरने की हिम्मत नही की इस दौरान भूखा प्यासा लेपर्ड कई बार पेड़ से गिरते गिरते भी बचा और संभल गया,सात घन्टे के लंबे इंतजार और वन विभाग के दखल से आखिरकार टाईगर के आक्रोश में नरमी आई और वह धीरे से गुस्सा भूल जंगल का रुख कर गया तब जाकर लेपर्ड ने राहत की सांस ली और मौका मिलते ही पेड़ से उतरकर जंगल की तरफ चंपत हो गया,इस पूरे घटनाक्रम में बाघों के संघर्ष की सूचना पर मौके पर पँहुचे वनकर्मियों की भूमिका को सराहनीय माना जा रहा हैं जिसने पँहुचते ही न सिर्फ पूरी मुस्तैदी से निगरानी की बल्कि संघर्ष में चोटिल हुई एक बाघिन का इलाज भी कराया गया जो कि अब स्वस्थ है ।