उमरिया (संवाद)। विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक साथ 7 हाथियों की जहां बांधवगढ़ से लेकर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और दिल्ली तक हड़कंप मचा हुआ है वही दो हाथियों की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है। बांधवगढ़ प्रबंधन के कर्मचारी और अधिकारी मौके पर डटे हुए हैं और गंभीर रूप से बीमार हाथियों के इलाज में जुटे हैं। एक साथ हुए इस बड़े घटनाक्रम के पीछे हाथियों को जहर दिए जाने का मामला सामने आता दिखाई दे रहा है।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक साथ 7 हाथियों की मौत से मचा हड़कंप,जहर खुरानी का हो सकता है मामला.?
यह पूरी घटना बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के खितौली परिक्षेत्र अंतर्गत सलखनिया बीट की बताई जा रही है। मिली जानकारी के मुताबिक इस क्षेत्र में 13 जंगली हाथियों का झुंड विचारण कर रहा था। इस दौरान उनके बीमार होने की खबर बांधवगढ़ प्रबंधन को लगी उसके बाद प्रबंधन का अमला और वन्य प्राणी डॉक्टर मौके पर पहुंचकर बीमार हाथियों का इलाज शुरू किया। इस दौरान सबसे पहले चार हाथियों की मौत की खबर सामने आई थी उसके बाद बीती रात्रि को तीन और हाथियों के मरने की खबर सामने आई है।
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घटना में अब तक 7 जंगली हाथियों की मौत हो चुकी है। वही दो हाथियों की हालत गंभीर बताई गई है बाकी बच्चे अन्य हाथी भी बीमार हैं जिनका इलाज वन्य प्राणी चिकित्सक और बांधवगढ़ प्रबंधन के द्वारा किया जा रहा है। मामले में मिली जानकारी के मुताबिक इन हाथियों को जहर पुरानी किए जाने का मामला जान पड़ता है। हालांकि इसकी असली वजह हाथियों की चिकित्सकीय परीक्षण के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।
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बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में लगभग 7 साल पहले जंगली हाथी कर्नाटक से उड़ीसा और फिर छत्तीसगढ़ के रास्ते बांधवगढ़ पहुंचे थे तब हाथियों की संख्या लगभग एक दर्जन रही है। लेकिन हाथियों ने बांधवगढ़ के जंगल को अपना ठिकाना बना लिया और उसके बाद लगातार प्रजनन से उनकी संख्या में इजाफा होता चला गया अब जो हाथियों की संख्या बताई जा रही है वह लगभग 70 से 80 जंगली हाथी अलग-अलग झुंड बनाकर बांधवगढ़ के जंगलों में अपना ठिकाना बना चुके हैं।
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बताया गया कि बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व्स से लगे अनेको गांवों में इन जंगली हाथियों का झुंड गांव के आसपास पहुंच जाता है जिससे ग्रामीणों की फसलों और उनकी जान माल का भी खतरा बना रहता है। अनेकों बार जंगली हाथियों के द्वारा किसानों की फसलों को चौपट करने और किसानों को मारने की घटनाएं भी सामने आ चुकी है। ग्रामीणों के द्वारा काफी समय से बांधवगढ़ प्रबंधन से यह मांग की जाती रही है कि इन जंगली हाथियों की देखरेख और उन्हें ग्रामीण इलाकों से दूर ले जाने की मांग होती रही है। कई बार शासन स्तर से भी पता चला रहा की जंगली हाथियों के लिए कोई हाथी प्रोजेक्ट लाने की बात कही जा रही थी।
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लेकिन समय आगे बढ़ता रहा और शासन स्तर पर हो या स्थानीय स्तर पर बांधवगढ़ प्रबंधन या शासन के द्वारा जंगली हाथियों और बांधवगढ़ से लगे ग्रामीण इलाकों के रह वासियों के लिए ऐसी कोई भी प्रयास नहीं किए गए जिससे किसने की फसल उनकी जान माल के खतरे को रोका जा सके। वही लगातार जंगली हाथी पूरे इलाके में दहशत का माहौल बनाए रखें इसके साथ किसानों के द्वारा अपनी फसलों के लिए जी जान से मेहनत करने के बावजूद भी जंगली हाथी लगातार उनकी फसलों को नष्ट करते रहे।
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बताया गया कि फसलों में किसी रोग या कीड़े लगने की वजह से किसने और ग्रामीणों के द्वारा फसलों को बचाने के लिए रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करते हैं। शायद यही वजह रही होगी कि किसानों के द्वारा खराब हो रही फसलों को बचाने के लिए कीटनाशक का उपयोग किया गया होगा उसके बाद जंगली हाथी फसलों को खाने के लिए खेतों में गए होंगे और फसलों में पड़े रासायनिक कीटनाशक भी खा गए होंगे जिसके कारण पूरा हाथियों का झुंड बीमार हो गया। बांधवगढ़ में 7 हाथियों की मौत से प्रदेश शासन के वन मंत्री ने भी मामले का संज्ञान लेते हुए दुख प्रकट किया है। वही मामले की जांच करने की भी बात कही है।