सावधान यहां चपरासी के द्वारा जांची जा रही उत्तर पुस्तिका,वीडियो वायरल, प्राचार्य और नोडल अधिकारी सस्पेंड

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नर्मदापुरम (संवाद)। मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के अंतर्गत पिपरिया के शहीद भगत सिंह शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में चपरासी से उत्तर पुस्तिका जंचवाने के मामले में दो महीने बाद हुई विभागीय कार्रवाई अधूरी नजर आ रही है। 31 जनवरी को एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इस वीडियो में यह दावा किया गया था कि कॉलेज में पदस्थ चपरासी पन्नालाल पठारिया कापियां जांच रहा है। इस मामले में कॉलेज के विद्यार्थियों ने आपत्ति जताई थी। मामले में विभाग के मंत्री विश्वास सारंग के द्वारा महाविद्यालय के प्राचार्य  और नोडल अधिकारी को सस्पेंड किया गया है। वही जिम्मेदार प्रोफेसर और चपरासी के खिलाफ भी कार्यवाही की जा रही है।

सावधान यहां चपरासी के द्वारा जांची जा रही उत्तर पुस्तिका,वीडियो वायरल, प्राचार्य और नोडल अधिकारी सस्पेंड

वायरल वीडियो पर कार्रवाई की मांग को लेकर छात्र प्राचार्य राकेश वर्मा के पास पहुंचे थे। प्राचार्य वर्मा ने इस मामले में कुछ भी स्पष्ट नहीं होने और पीड़ित के शिकायत करने पर कार्रवाई की बात कही। जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया था। छात्रों ने स्थानीय विधायक ठाकुरदास नागवंशी को ज्ञापन सौंपा। बाद में मामले की जांच उच्च शिक्षा विभाग ने की।

सावधान यहां चपरासी के द्वारा जांची जा रही उत्तर पुस्तिका,वीडियो वायरल, प्राचार्य और नोडल अधिकारी सस्पेंड

जांच समिति ने 3 अप्रैल को प्रस्तुत रिपोर्ट में मूल्यांकन कार्य में हुई गंभीर लापरवाही और अनियमितता के लिए प्रभारी प्राचार्य डॉ. वर्मा और प्रोफेसर डॉ. पटेल को जिम्मेदार ठहराया। दोनों अधिकारियों को मध्य प्रदेश सिविल सेवा नियम के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। निलंबन अवधि में दोनों का मुख्यालय क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा, भोपाल नर्मदापुरम संभाग कार्यालय निर्धारित किया गया है।

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उच्च शिक्षा विभाग ने भले ही प्राचार्य डॉ. राकेश वर्मा और राजनीति शास्त्र प्राध्यापक डॉ. रामगुलाम पटेल को निलंबित कर दिया हो। लेकिन मामले की अन्य कड़ियों में अतिथि विद्वान खुशबू पगारे, चपरासी पन्नालाल पठारिया और बिचौलिया की भूमिका निभाने वाले बुक लिफ्टर राकेश कुमार मेहर के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की।

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जांच में पुख्ता प्रमाण मिलने के बाद भी इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। उच्च शिक्षा विभाग की जांच में चपरासी को कापी जांचने का दोषी पाया गया। कॉलेज की अतिथि विद्वान खुशबू पगारे ने स्वीकार किया कि उन्होंने लाइब्रेरी में पदस्थ बुक लिफ्टर राजेश मेहर के माध्यम से चपरासी पन्नालाल पठारिया से कापियों की जांच की। इसके एवज में उन्होंने 7 हजार रुपए राजेश को दिए थे। राजेश ने पन्नालाल को पांच हजार रुपए दिए थे।

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