” जितनी ऊंची चिमनी उतना ऊंचा भ्रस्टाचार, जी हां यह सोला आने सच है जिले के संजय गांधी ताप विद्युत ग्रह में भ्रस्टाचार के अनगिनत प्रकार है, कभी कोयले में तो कभी राख (Fly Ess) में, लेकिन इस बार तो बड़ा नाटकीय भ्रस्टाचार सामने आया है जिसमे प्रबंधन ने हाइवा,ट्रेलर,कैप्सूल छोड़ स्कूटर में ही राख ढुलवाने लगे।”
कौशल विश्वकर्मा, उमरिया (संवाद)। जिले के संजय गांधी ताप विद्युत गृह में स्कूटर, ट्रैक्टर ट्राली से 16 हजार टन से ज्यादा राखड़ ढुलवाने वाले कनिष्ठ यंत्री पर निलंबन की कार्यवाही की गई है।
9 फरवरी को ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने इस पर जवाब भी मांगा है। इसके बाद अफसरों ने आनन-फानन में कनिष्ठ अभियंता को निलंबित कर दिया है और यह पूरी प्रक्रिया भी नाटकीय तरीके से हुई, कनिष्ठ अभियंता को कंपनी प्रबंधन ने ग्वालियर संभाग के शिवपुरी हाइडल में अटैच किया है, लेकिन कनिष्ठ अभियंता ने चिकित्सीय अवकाश ले लिया है।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी के संजय गांधी ताप विद्युत गृह में कोरोनावायरस के दौरान जून 2020 में राख की धुलाई की निविदा निकाली गई और ज्योति मेसर्स को धुलाई का ठेका दिया गया, इस मामले में धांधली की शिकायत कंपनी प्रबंधन के पास पहुंची और इसके बाद जांच हुई तो पता चला कि राखड़ ढुलाई के लिए जो वाहनों के नंबर दिए गए हैं वह हाईवा की बजाय स्कूटर और ट्रैक्टर ट्राली के निकले, सिर्फ यही नहीं महज 18 दिन में यह परिवहन हो गया जबकि जांच दल के आकलन के मुताबिक दस्तावेजों में दर्ज व इतने कम में समय में राखड़ ढुलाई नहीं की जा सकती है। जांच में कनिष्ठ अभियंता रामाश्रय शर्मा को आरोपी बनाया गया है, इन्हीं के आदेश पर राख ढुलाई की रकम करीब ₹10 लाख का भुगतान ठेकेदार को किए गए थे।
जांच के बाद कंपनी प्रबंधन ने आरोपित का तबादला कर दिया है लेकिन आदेश जारी होने के 1 माह बाद भी कनिष्ठ अभियंता संजय गांधी ताप विद्युत गृह में ही कार्यरत रहे, कंपनी प्रबंधन भी पूरे मामले में खामोश रहा। इससे साफ जाहिर होता है कि कंपनी प्रबंधन के कई लोग इस खेल में शामिल है।