बच्चों को मांसाहारी बनाने की तैयारी,किशोर न्याय नियम की अधिसूचना में चिकन और अण्डा शामिल

Editor in cheif
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भोपाल (संवाद) मध्यप्रदेश में एक बार फिर किशोर न्याय नियम में संशोधन कर बच्चो के खाने के मीनू में मांसाहारी चिकन और अण्डे शामिल कर बच्चों को मांसाहारी बनाने की तैयारी की गई है और इसके बकायदे अधिसूचना भी जारी की जा चुकी है। इधर सरकारें और कई सामाजिक संगठन मांसाहारी छोड़ो शाकाहारी बनो का अभियान चला रही है। फिर ऐसे में यह आदेश किसके कहने पर लागू किया जा रहा है बड़ा सवाल है।
दरअसल महिला बाल विकास विभाग के द्वारा संचालित किशोर न्याय बोर्ड के तहत प्रदेश में इस समय 150 से अधिक सम्प्रेषण ग्रह, बाल ग्रह, विशेष ग्रह,शिशुगृह के साथ 30 शासकीय और 100 के आसपास गैर सरकारी संस्थाएं है जो बाल अपराधियो,अनाथ,निराश्रित,गुमशुदा और बेसहारा बच्चो को रखा जाता है। इसके पहले आंगनबाड़ियों में आने वाले छोटे-छोटे बच्चो को उसके खाने के मीनू में अण्डा शामिल किया गया था। तब तत्कालीन कांग्रेस सरकार की महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने इसे लागू करने के निर्देश दिए गए थे।लेकिन तब विपक्षी भाजपा पार्टी ने इसका पुरजोर विरोध किया था। बाद में भाजपा की सरकार आने के बाद इमरती देवी पुनः इसकी पेशकश की लेकिन वह नही हो पाया था।
अब एक बार पुनः किशोर न्याय विभाग ने बच्चो के मीनू में अण्डा के साथ चिकन देने की बात कही है और वह इसके लिए बकायदे अधिसूचना भी जारी कर दिया है। जानकारी के मुताबिक इसे बाद में और भी  विस्तार किये जाने की बात कही गई है। इसके लिए 25 अगस्त को अधिसूचना जारी की गई है।
यह रहेगा मीनू
अधिसूचना के अनुसार बच्चो के मीनू में शामिल किए जिसमें खाने में चना, दाल, राजमा,दूध,हरी सब्जियां, दही-छांछ, सप्ताह में एक बार चिकन और 4 बार अण्डे, पनीर, गुड़-मूंगफली, मिठाई, पोहा-सूजी,खिचड़ी, ब्रेड, अरहर,मूंग,हरा चना और छोला, मेथी पालक और सप्ताह एक बार पत्तेदार सब्जियों को शामिल किया गया है।

यह है तर्क

इस मामले में तर्क है कि केंद्र सरकार के मॉडल के रूप में चिकन और अण्डे देने का प्रावधान है। जिसके बाद मध्यप्रदेश में भी 2015 में नियम बनाया गया था लेकिन अमल में नही आ पाया है यहां पर लगातार बच्चो को शाकाहारी भोजन ही दिया जाता है। चूंकि यहां पर प्रति बच्चो का बजट काफी कम है।लेकिन एक बार फिर इसे लागू करने की योजना है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह कि जब सरकारें और कई हिन्दू सामाजिक संगठन के द्वारा मांसाहार छोड़ने, त्यागने और शाकाहार अपनाने की बात कही जा रही है।ऐसे में क्या यह नियम जिसमे बच्चो को चिकन और अण्डा देने की कही जा रही कहाँ तक उचित है। प्रदेश में भाजपा की सरकार है और भाजपा के कई अनुशांगिक संगठन मांसाहार के खिलाफ है। फिर ऐसे में नियम को बनाना क्या सरकार और भाजपा की जानकारी में है।
इसके पहले भी प्रदेश में कांग्रेस सरकार के समय इसे लागू करने को लेकर विपक्ष में रही भाजपा ने इसका पुरजोर विरोध किया था।जिसके बाद इस नियम को वही रोकना पड़ा था।
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