सत्य की हुई जीत, दुष्प्रचारकों को लगी लताड़,NH 43 मुआवजा प्रकरण में हाईकोर्ट का फैसला

Editor in cheif
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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने नेशनल हाईवे 43 मुआवजा (उमरिया)के मामले में अपना फैसला सुनाया है हाई कोर्ट ने प्रतिवादी अधिकारी के ऊपर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. माननीय हाई कोर्ट ने इस दौरान माननीय सर्वोच्च न्यायालय के कई आदेशों का जिक्र किया जिसमें कहा गया है कि कई शताब्दियों तक भारतीय समाज ने जीवन के दो मूल मूल्यों को संजोया है, अर्थात् “सत्य” और “अहिंसा”। महावीर, गौतम बुद्ध और महात्मा गांधी ने लोगों को इन मूल्यों को अपने दैनिक जीवन में शामिल करने के लिए मार्गदर्शन किया।

यह है पूरा मामला

माननीय उच्य न्यायालय मध्य प्रदेश द्वारा विनोद आहूजा, पूजा आहुजा एवं अन्य v/s मध्य प्रदेश शासन के प्रकरण का अंतिम निराकरण करते हुए यह निर्धारित किया कि याचिकाकर्ता के विरुद्ध लंबित जाँच जिसे कलेक्टर द्वारा गठित जाँच समिति द्वारा किया जा रहा था, पर अंतिम रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है। जाँच समिति की रिपोर्ट के अनुसार याचिका कर्ता विनोद आहुजा, पूजा आहूजा एवं अन्य पर लगाए गए समस्त आरोप निराधार पाए गए हैं।अतः जाँच समिति की रिपोर्ट को अभिलेख पर लेते हुए याचिका का निराकरण किया गया और याचिकाकर्ता को माननीय न्यायालय द्वारा राहत प्रदान की गई।

ज्ञात हो की कुछ दुष्प्रचारको के द्वारा विनोद आहूजा, पूजा आहूजा एवं अन्य के विरुद्ध राष्ट्रीय राजमार्ग 43 में अधिग्रहित भूमि के मुआवजे के संबंध में कई शिकायतें की गईं थीं।पूर्व में विभिन्न जांचों में समस्त शिकायतें निराधार पाई गईं थीं जिनमें आयुक्त शहडोल संभाग एवं आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की जांच भी शामिल थीं।

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किन्तु इसके बावजूद कलेक्टर उमरिया को की गई शिकायत के आधार पर पुनः जाँच समिति गठित कर जब जाँच संस्थित की गई तब याचिकाकर्ताओं ने माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष उक्त प्रकरण प्रस्तुत किया था। याचिका के लंबित रहने के दौरान जाँच समिति द्वारा जाँच पूर्ण की गई एवं याचिकाकर्ताओं को सम्पूर्ण रूप से दोषमुक्त घोषित किया गया और दुष्प्रचारको द्वारा लगाये गए समस्त आरोप असत्य पाए गए। माननीय उच्च न्यायालय ने इसी रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए, याचिकाकर्ताओं को राहत दी है।

दुष्प्रचार पर मानहानि

उक्त मुआवजा प्रकरण में याचिकाकर्ता के विरुद्ध सोशल मीडिया एवं कई अखबारों में दुष्प्रचार किया गया जिसके संबंध में भी दुष्प्रचारकों के खिलाफ याचिकाकर्ता ने माननीय न्यायालय की शरण ली हुई है उक्त संबंध में माननीय न्यायालय के समक्ष मानहानि और दुष्प्रचार के 2 प्रकरण प्रचलित है याचिकाकर्ता को मिले न्याय के बाद उक्त मामलों में भी न्याय की आस बढ़ी है।

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