उमरिया (संवाद)। सरकारी सिस्टम ने एक महिला को 2 साल पहले मार डाला, लेकिन वह मंगलवार को आयोजित कलेक्टर की जनसुनवाई में जिंदा होकर पहुंची और कलेक्टर से बोली साहब मैं जिंदा हो, लेकिन अपना केर सिस्टम मोही मार डारी सी। कलेक्टर की जनसुनवाई में इस तरीके की 2 मृत वृद्ध महिलाए जिंदा होकर पहुंची थी, जहां उन्होंने अपने ग्रामीण भाषा में अपनी व्यथा को कलेक्टर से बताया है।
दरअसल सरकारी सिस्टम के नीचे के तबके के कर्मचारियों के लापरवाही और भर्रेशाही के चलते ग्रामीण गरीब आदिवासी न सिर्फ परेशान होते हैं बल्कि जिंदा व्यक्ति को सरकारी रिकॉर्ड दस्तावेज में मृत घोषित कर देते हैं। ऐसा ही घटनाक्रम उमरिया जिले में मंगलवार को कलेक्टर की जनसुनवाई में देखने को मिला है जहां दो वृद्ध महिलाएं जिंदा होने के बावजूद जिंदा होने के सरकारी प्रमाण के लिए दर-दर भटक रही है।
जिले के मानपुर नगर पंचायत के वार्ड क्रमांक 6 निवासी 65 वर्षीय वृद्ध महिला रामकली पति रामखेलावन कुशवाहा और मानपुर जनपद अंतर्गत ग्राम खलौन्ध निवासी 72 वर्षीय वृद्ध महिला बनी बाई पति स्वर्गीय रामसुजान सरकारी सिस्टम की भेंट चढ़ गई यहां पर पदस्थ सरकारी कर्मचारियों के द्वारा सरकारी रिकॉर्ड में इन्हें मृत लिख दिया है। जिसके कारण ना तो उन्हें किसी सरकारी योजना का लाभ मिल रहा है और ना ही उन्हें वृद्धावस्था पेंशन या राशन नहीं मिल पा रहा है।
वृद्ध महिला लगातार 2 वर्षों से कहीं ग्राम पंचायत के चक्कर लगाती है तो कहीं बड़े अधिकारियों के दफ्तर का चक्कर लगाती है। लेकिन कहीं से भी उन्हें कोई उम्मीद नजर नहीं आती। तब जाकर दोनों वृद्ध महिलाएं मंगलवार को कलेक्टर के जनसुनवाई में पहुंची और कलेक्टर से सरकारी रिकॉर्ड में सुधार कर उन्हें जिंदा लिखने की गुहार लगाई है। महिलाओं का कहना है कि यह कैसा सिस्टम है हम स्वयं यहां पहुंच कर प्रत्यक्ष रूप से जिंदा होने का हम प्रमाण दे रहे हैं। लेकिन सिस्टम ने तो हमें 2 वर्ष पहले ही मार डाला।