कौशल विश्वकर्मा। 9893833342
उमरिया (संवाद)। बहुप्रतीक्षित नगरीय निकाय के चुनाव में एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं, जहां एक ओर उमरिया नगर पालिका सहित प्रदेश की 12 नगरीय निकाय में अध्यक्ष के आरक्षण को लेकर पेच फंसा है। वहीं प्रदेश के सभी नगरीय निकाय में एससी एसटी वर्ग के वार्डों का आरक्षण रोटेशन पद्धति से नहीं करने के कारण उच्च न्यायालय इंदौर का डंडा पड़ता दिखाई दे रहा है।
जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश के नगरीय प्रशासन विभाग की लापरवाही से नगरपालिका उमरिया सहित 12 नगरीय निकायों में अध्यक्ष पद का आरक्षण 2014 के अनुसार चुनाव कराया जाना था। जबकि इनकी एक भूल के कारण हाल ही में हुए आरक्षण के आधार पर चुनाव कराए जा रहे थे, जो कि पहले से बने नियम के विरुद्ध है। वही जब चुनावी प्रक्रिया प्रारंभ है इस बीच नगरीय प्रशासन विभाग की नींद खुली है और नियम और कानून का हवाला देते हुए चुनाव में अध्यक्ष पद के आरक्षण पर संशोधन करते हुए 2014 में हुए आरक्षण के आधार पर प्रदेश के 12 नगरीय निकायों में चुनाव कराने संबंधी एक पत्र राज्य निर्वाचन आयोग को भेजा गया है। हालांकि जिस नियम व धाराओं का उल्लेख पत्र में किया गया है उसके आधार पर नगर पालिका अधिनियम का पालन किया जाना उचित और जरूरी है। इस लिहाज से यह तो तय माना जा रहा है कि अब उमरिया नगरपलिका सहित 12 नगरीय निकायों में 2014 में हुए अध्यक्ष पद के आरक्षण के आधार पर ही चुनाव कराए जाएंगे।

हालांकि इस आधार पर चुनाव टलने की उम्मीद काफी कम है क्योंकि इन 12 जगहों में कहीं भी सीधे अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो रहा है, बल्कि प्रत्येक जगह पार्षद के द्वारा ही अध्यक्ष चुना जाएगा। इस लिहाज से चुनाव आयोग अगर 2014 के आरक्षण को लागू करता है तो सिर्फ अध्य्क्ष पद पुरुष की जगह महिला हो जाएगा यानी कि जैसे उमरिया नगर पालिका के अध्यक्ष का पद अनारक्षित है, 2014 के अनुसार अनारक्षित महिला हो जाएगा।
SC/ST वर्ग का आरक्षण फँसा सकता है निकाय चुनाव में पेंच
जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश के नगरीय निकायों में SC/ST वर्ग के वार्डों का आरक्षण रोटेशन पद्धति से नहीं करने को लेकर उच्च न्यायलय इंदौर ने गंभीरता से लिया है। विगत दिनों न्यायालय में प्रस्तुत तर्कों तथा याचिका कि सुनवाई के बाद न्यायलय ने आदेश सुरक्षित रख लिया है।बीते शनिवार को जारी आदेश के अनुसार न्यायालय ने समयाभाव के कारण आगामी सुनवाई 15 जून को निर्धारित की है, और इसी दिन तय होगा कि वर्तमान में सरकार द्वारा किया गया आरक्षण लागू रहेगा या नहीं?
आरक्षण प्रक्रिया को चुनौती देते हुए याचिका दायर कर माननीय सर्वोच्च न्यायालय कि संवैधानिक पीठ के द्वारा आदेशित रोटेशन प्रक्रिया का पालन कर वार्डो का आरक्षण रोटेशन पद्धति से करने कि मांग की गई थी। लेकिन दिनांक 25 मई को किये गए आरक्षण में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आदेशित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। उक्त सम्बन्ध में दायर अवमानना याचिका पर भी माननीय न्यायालय ने पूर्व में प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन विभाग मनीष सिंह को अवमानना नोटिस जारी कर चुका है। इसके अतिरिक्त याचिकाकर्ताओं द्वारा तय समय पर चुनाव हेतु आरक्षण में सुधार करने कि याचिका दायर की गई थी, जिसकी सुनवाई दिनांक 09 जून 2022 को पूर्ण होकर आदेश सुरक्षित रख लिया गया। जिसे माननीय न्यायालय ने मध्यप्रदेश सरकार के नगरीय प्रशासन विभाग को नोटिस जारी कर आरक्षण कि वैधता पर सवाल उठाते हुवे आरक्षण को निरस्त करने के सम्बन्ध में जवाब माँगा है। इसके पहले न्यायालय में आरक्षण को लेकर लगी याचिका में आदेश किया गया था कि सरकार रोटेशन पद्धति से आरक्षण कराए लेकिन सरकार रोटेशन प्रक्रिया नहीं अपना रही है। जिसको लेकर इंदौर हाईकोर्ट की बेंच का फैसला 15 जून को किया जाएगा। जिसके बाद प्रदेश के नगरीय निकायों के चुनाव की स्थिति स्पष्ट हो पाएगी की चुनाव कब और किस प्रकार से होंगे? फिलहाल अभी संसय बरकरार है।