आखिर इस गांव में कोई भी अपनी बेटी का ब्याह करने से क्यों करते है परहेज,आखिर कहां है सरकारी सिस्टम के दावे

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चट्टानों से रिसने वाली एक-एक बूंद को एकत्रित करने ग्रामीण         क्यों है मजबूर,आखिर कहाँ है सरकारी सिस्टम
हीरा विश्वकर्मा, कटनी (संवाद)। जिले का एक ऐसा गांव जहाँ आज भी सदियों से खाई और चट्टानों से रिसने वाली एक-एक बूंद को एकत्रित कर कोसों दूर से पानी ढोने का काम आज भी करते आ रहे है। इस गांव में पानी की समस्या से लोग अपनी बेटी को ब्याहने से भी परहेज करते हैं।
कटनी जिले से महज़ 65 किलोमीटर दूर बहोरीबंद के रीठी तहसील का खुसरा गांव है। यहां सदियों से पानी की समस्या से लोग जूझ रहे है,खुसरा ग्राव में एक महादेव मंदिर के नीचे एक  खाई है और इस खाई की चट्टानों से रिसने वाले एक-एक बूंद को एकत्रित कर गांव की महिलाएं व बच्चे दूर से पानी ढोने का काम सदियों से कर रहे है।
इस संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव में पानी की बहुत समस्या है।खासकर गर्मी के दिनों में तालाब, कुएं सूख जाते है। वही हैंड पम्प पानी देना बंद कर देते है।चूंकि यह पूरा इलाका पथरीला और पहाड़ी है।जिसके कारण यहां का जल स्तर नीचे रहता है। बाकी समय में तो किसी कदर पानी उपलब्ध हो जाता है लेकिन गर्मी शुरू होते ही मार्च के महीने से ही यहां पानी की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
ग्रामीणों ने बताया कि यह समस्या कोई अभी की नही है यह पूर्वजों और सदियों से चली आ रही है। वहीं ऐसे हालात सिर्फ इसी गांव बस का नही है बल्कि इसके अलावा भी कई गांव है जहां पानी का भीषण संकट है।गांव में पानी का अकाल और किसी कदर कोसों दूर से चट्टानों और खाई से रिसने वाला एक -एक बूंद पानी को सहेज कर अपने बर्तनों में भरकर लाते है और किसी कदर गुजर करते है।
लिहाजा गाँव मे पानी की भीषण समस्या को देखकर अन्य गावों व क्षेत्रो के लोग अपनी बेटी का ब्याह इस गांव में करने से कतराते है।
इलाक़े में पानी की कमी की भीषण तबाही देखकर पूरे सरकारी सिस्टम के दावे की पोल खोलता नजर आता है। और सिर्फ यही सवाल उठता है कि सदियों से इस पूरे इलाके में पानी की समस्या नासूर बनी हुई है। तब यहां का सरकारी सिस्टम क्या कर रहा था।सवाल कई है लेकिन इसका जबाव किसी के पास नही।
बहरहाल ग्रामीणों की हालत देख किसी को भी सोचने पर मजबूर कर देगा कि आखिर इस समस्या से ग्रामीणों को कब निजात मिलेगा।हालांकि जल मिशन योजना के तहत हर जगह कार्य प्रारंभ है लेकिन यह कब तक पूरा हो पाता है और ग्रामीणों को कब सुलभता से पानी उपलब्ध हो पाएगा इस सवाल का जबाव भविष्य के गर्त में है।
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