उमरिया (संवाद)। अपने पद और रुतबे के चलते ब्लॉक शिक्षा केंद्र के बीआरसीसी के द्वारा अपने अधीनस्थ महिला शिक्षकों और छोटे कर्मचारियों को वाहियात शब्द सहित अन्य आपत्तिजनक शब्दों से संबोधित करने के मामले में हुई शिकायत की जांच रिपोर्ट सामने आ चुकी है। उस जांच रिपोर्ट में यह भी साबित हो चुका है कि आखिर वाहियात कौन है.? लेकिन जांच रिपोर्ट के आने के हफ्ते भर बाद भी कार्यवाही होती नहीं दिखाई दे रही है। जबकि जांच रिपोर्ट जिले के कलेक्टर के पास तक पहुंच चुकी है।
Umaria: वाहियात कौन महिला कर्मचारी या बीआरसीसी.? जांच में हुआ स्पष्ट, फिर भी कार्यवाही नही

गत दिवस सुशासन दिवस पर जिले के प्रभारी मंत्री ने महिलाओं के सम्मान पर बड़ी बड़ी डींगें हांकते नहीं थके थे, ठीक उसके उल्टे जिला प्रशासन आज एक सप्ताह से फाइल को दबा कर रखे हुए हैं, जिससे यह कहना ग़लत नहीं होगा कि गाहे बगाहे जिला प्रशासन ही चाहता है कि उक्त दोषी अधिकारी को बचाया जाये। यहां तक कि महिलाओं का सम्मान बना रहे खासकर एक महिला शिक्षक की जिसकी शिकायत भी जिला प्रभारी मंत्री से की गई थी जिस पर उन्होंने मौजूद अधिकारियों से कार्यवाही की बात कही थीं।
Umaria: वाहियात कौन महिला कर्मचारी या बीआरसीसी.? जांच में हुआ स्पष्ट, फिर भी कार्यवाही नही
बता दें कि अक्टूबर माह में करकेली बीआरसी विनय चतुर्वेदी पर महिला शिक्षिकाओं ने अभद्रता करने और वाहियात जैसे शब्दों का उपयोग कर अपमानित करने का आरोप लगा था, इस बात की शिकायत भी की गई थी, जिस पर कलेक्टर ने जांच टीम गठित करते हुए सात दिवस के अंदर रिपोर्ट पेश करने निर्देशित किया था, मगर जांच टीम ने इस छोटी सी जांच को पूर्ण करने में 60 दिवस का समय लगा दिया और जब मामला फिर प्रकाश में आया तो जांच टीम ने आनन फानन में अपनी रिपोर्ट सौंपी, मगर उस रिपोर्ट पर क्या एक्शन हो रहा है यह किसी को कानों कान खबर नहीं हो पा रही है।
जांच टीम भी कार्यवाही के दायरे में
एक तरफ जहां देखा जाये तो उक्त मामले की जांच करने के लिए जिस टीम को निर्देशित किया गया था और उस टीम के पास केवल सात दिवस की समय सीमा थी, लेकिन टीम ने इसको पूरा करने के लिए लगभग दो माह का समय लगा दिया वह भी मीडिया के हस्तक्षेप के बाद, अन्यथा यह टीम जांच ही नहीं करती और फिर कलेक्टर का वह आदेश दबा का दबा रह जाता।
कलेक्टर की कार्यशैली पर भी लग रहे सवालिया निशान
अब इस पूरे मामले में जांच टीम ने वह पाया है जिसका आरोप महिला शिक्षिकाओं और अन्य कर्मचारियों ने बीआरसीसी विनय चतुर्वेदी पर लगाया था, जिसकी जांच टीम ने बयान लेकर रिपोर्ट तैयार कर डीपीसी के माध्यम से कलेक्टर को 20 दिसंबर को सौंपी गई थी। इस पूरे मामले में कार्यवाही की गेंद कलेक्टर के पाले में है। सप्ताह भर से ज्यादा समय गुजरने के बाद भी जांच में दोषी पाए गए बीआरसी के खिलाफ कोई भी कार्यवाही होती नहीं दिखाई दे रही है, जिसके कारण अब जिले के कलेक्टर की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लगता नजर आ रहा है.?
