उमरिया (संवाद)। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बारिश के मौसम में भी वन एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए मानसून गश्त की जाती है। मानसून गश्त में दुर्गम मार्गाे में पहाड़ों में अधिकारी कर्मचारी पैदल पहुंचते हैं। और वन और वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए जुटे रहते हैं। बारिश के मौसम में वन क्षेत्र में रास्ते बंद हो जाते हैं। बारिश में वन और वन्य प्राणियों की सुरक्षा कठिन हो जाती है। सुरक्षा के लिए मानसून गश्त में अलग-अलग टीम बनाकर जंगलों में दिन और रात दुर्गम इलाकों में पहुंचकर सर्चिंग की जाती है। मानसून गश्त की अधिकारी कर्मचारी अलग योजना बनाकर जंगल पहुंचते हैं।
Umaria: बांधवगढ़ के 139 बीट में 800 अधिकारी-कर्मचारी करते है गश्त
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में मानसून गस्त 1 जुलाई से 30 सितंबर 3 महीने की जाती है। इन तीन महीनो के लिए टाइगर रिजर्व प्रबंधन के अधिकारी योजना बनाकर दुर्गम इलाकों,पहाड़ों,जंगलों और गांव के आसपास के क्षेत्र में दिन में पैदल और रात में गाड़ियों से गश्त कर क्षेत्र में सर्चिंग करते हैं। ताकि वन माफिया और शिकारियों से वन और वन्य प्राणियों की सुरक्षा हो सके। इसके लिए टाइगर रिजर्व के अधिकारी पूरी योजना की निगरानी भी करते हैं। और गश्त की जानकारी भी लेते हैं।
Umaria: बांधवगढ़ के 139 बीट में 800 अधिकारी-कर्मचारी करते है गश्त
टाइगर रिजर्व में 9 परिक्षेत्र हैं और 9 परीक्षेत्रों की 139 बीट में 600 से अधिक सुरक्षा श्रमिक और 200 अधिकारी कर्मचारी एक साथ मिलकर वन क्षेत्र में गश्त करते हैं।गश्त के लिए 45 टीमें बनाई गई हैं। डिप्टी रेंजर इन टीम के प्रमुख होते हैं। एक टीम में 8 से 10 लोग होते हैं। टीम के सदस्यों को वन क्षेत्र में सुरक्षा के निर्देश भी दिए जाते हैं। और स्वयं सुरक्षित रहने के लिए जूते,डंडे और रात के समय टॉर्च रखने के सख्त निर्देश रहते हैं।
Umaria: बांधवगढ़ के 139 बीट में 800 अधिकारी-कर्मचारी करते है गश्त
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक पीके वर्मा ने बताया कि परिक्षेत्र के वृत स्तर एक-एक टीम का गठन है। टीम में 8 से 10 लोग होते हैं। वन क्षेत्रों के कई क्षेत्र बारिश के कारण कट जाते हैं। गाड़ियों से जाना संभव नही होता है। ऐसे क्षेत्रों में पैदल गश्त की जाती है। हमारे एफडी और मैं भी स्वयं भी गश्त करता हूं। हमारा प्रयास रहता है। जंगल का कोई भी क्षेत्र छूट ना पाए। हम पूरे जंगल में गश्त करते हैं।