MP में एक विधायक ऐसा भी जो ना तो सैलरी लेते है और ना ही मिलने वाली सरकारी सुख सुविधाएं

Editor in cheif
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एमपी (संवाद)। मध्यप्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं इनमें 230 विधायक चुनकर आते हैं। लेकिन क्या इन 230 विधायकों में से कोई ऐसा भी विधायक है जो हर महीने मिलने वाली सैलरी-भत्ता और बाकी सारी सुख सुविधाएं नहीं लेता हो। जी हां आज हम एक ऐसे विधायक की बात करेंगे जो 10 साल यानी दो पंचवर्षीय से विधायक है, लेकिन वह आज तक ना तो हर महीने मिलने वाली सैलरी और भक्ता लेते हैं, और ना ही विधायको को मिलने वाली सरकारी अन्य सुख सुविधाएं लेते है।
मध्यप्रदेश में कई सरकारें आई और गई इस बीच इसके इतिहास में हमने कभी नहीं सुना कि कोई विधायक या मंत्री को हर महीने विधानसभा से मिलने वाली सैलरी और भत्ता नहीं लिया हो। लेकिन बीते 10 सालों से लगातार विधायक रहे एक विधायक ऐसे हैं जो ना तो विधायकों को विधानसभा से हर महीने मिलने वाला लगभग ₹2 लाख रुपए सैलरी और भत्ता लेते हैं, बल्कि इसके अलावा मिलने वाली अन्य सुख सुविधाएं से उन्हें कोई लेना देना नहीं हैं।

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एमपी (संवाद)। मध्यप्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं इनमें 230 विधायक चुनकर आते हैं। लेकिन क्या इन 230 विधायकों में से कोई ऐसा भी विधायक है जो हर महीने मिलने वाली सैलरी-भत्ता और बाकी सारी सुख सुविधाएं नहीं लेता हो। जी हां आज हम एक ऐसे विधायक की बात करेंगे जो 10 साल यानी दो पंचवर्षीय से विधायक है, लेकिन वह आज तक ना तो हर महीने मिलने वाली सैलरी और भक्ता लेते हैं, और ना ही विधायको को मिलने वाली सरकारी अन्य सुख सुविधाएं लेते है।मध्यप्रदेश में कई सरकारें आई और गई इस बीच इसके इतिहास में हमने कभी नहीं सुना कि कोई विधायक या मंत्री को हर महीने विधानसभा से मिलने वाली सैलरी और भत्ता नहीं लिया हो। लेकिन बीते 10 सालों से लगातार विधायक रहे एक विधायक ऐसे हैं जो ना तो विधायकों को विधानसभा से हर महीने मिलने वाला लगभग ₹2 लाख रुपए सैलरी और भत्ता लेते हैं, बल्कि इसके अलावा मिलने वाली अन्य सुख सुविधाएं से उन्हें कोई लेना देना नहीं हैं।मध्यप्रदेश के रतलाम से एक इकलौते विधायक चैतन्य कश्यप है, जो पहली बार 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा पार्टी से सुनकर आए हैं उसके बाद वह दोबारा 2018 में भी विधायक बने हैं। विधायक चैतन्य कश्यप लगभग 10 वर्षों से यानी दो पंचवर्षीय से रतलाम के विधायक हैं उन्होंने आज तक विधानसभा से विधायकों को मिलने वाली सैलरी और भत्ता के अलावा अन्य सुख सुविधाओं से दूर रहे हैं। विधायक चैतन्य कश्यप जैन समाज से आते हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि  वह एक ईमानदार विधायक है, उनके ऊपर आज तक ना तो भ्रष्टाचार का आरोप लगा और ना ही कमीशन खोरी का। इतना ही नहीं क्षेत्र में उनकी साफ और स्वच्छ छवि बताई जा रही है। क्षेत्र में उनकी छवि से हर कोई वाकिफ है वह लगातार क्षेत्र के लोगों के लिए काम कर रहे हैं। इतना ही नही सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बताया कि विधायक चैतन्य कश्यप लगातार दो पंचवर्षीय से विधायक हैं पहली बार वह जब 2013 में भाजपा पार्टी से विधायक चुनकर आए थे, तभी उनके द्वारा विधानसभा में साफ कह दिया था कि उन्हें विधायकों को मिलने वाली सैलरी भत्ता और अन्य सुविधाएं नहीं चाहिए। उन्होंने बताया कि एक विधायक को हर महीने विधानसभा से 1लाख 10 हजार रुपए सैलरी मिलती है इसके अलावा भत्ता अलग से दिया जाता है। यानी कुल मिलाकर लगभग 2 लाख रुपये प्रत्येक विधायक को विधानसभा से प्रति महीने दिए जाते हैं। यानी रतलाम विधायक चैतन्य कश्यप ने इन 10 सालों में लगभग ढाई करोड़ रुपए सरकार के खजाने में छोड़े हैं।मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 विधायकों में से कई मंत्री और विधायक हैं कई मंत्री विधायक उद्योगपति हैं तो कई राजा महाराजा है। कई विधायकों के पास खुद के प्लेन और हेलीकॉप्टर हैं, इसके अलावा ऐसे कई बड़े घरानों से मंत्री हैं जिनके पास अथाह धन संपत्ति है। लेकिन हर कोई सरकारी खजाने और सरकारी सुख सुविधाओं के लिए आगे रहते हैं। जबकि एक मंत्री या विधायक ना जाने कितना पैसा नहीं कमाते होंगे। शायद यही वजह है कि विधायक या मंत्री चुनाव लड़ने से पहले तो जन सेवा करने के लिए आते हैं। लेकिन चुनाव जीतने के बाद अपने भोग विलास,वीआईपी कल्चर और सरकारी धन से मिलने वाली सुख- सुविधाओं के पीछे भागते नजर आते है। वह चुनाव के समय तो जनता का हितैषी और अपने को उनका भाई बंद बताते हैं। लेकिन चुनाव जीतने के बाद उनके पैर जमीन से ऊपर हो जाते हैं।
मध्यप्रदेश के रतलाम से एक इकलौते विधायक चैतन्य कश्यप है, जो पहली बार 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा पार्टी से सुनकर आए हैं उसके बाद वह दोबारा 2018 में भी विधायक बने हैं। विधायक चैतन्य कश्यप लगभग 10 वर्षों से यानी दो पंचवर्षीय से रतलाम के विधायक हैं उन्होंने आज तक विधानसभा से विधायकों को मिलने वाली सैलरी और भत्ता के अलावा अन्य सुख सुविधाओं से दूर रहे हैं। विधायक चैतन्य कश्यप जैन समाज से आते हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि  वह एक ईमानदार विधायक है, उनके ऊपर आज तक ना तो भ्रष्टाचार का आरोप लगा और ना ही कमीशन खोरी का। इतना ही नहीं क्षेत्र में उनकी साफ और स्वच्छ छवि बताई जा रही है। क्षेत्र में उनकी छवि से हर कोई वाकिफ है वह लगातार क्षेत्र के लोगों के लिए काम कर रहे हैं। इतना ही नही सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बताया कि विधायक चैतन्य कश्यप लगातार दो पंचवर्षीय से विधायक हैं पहली बार वह जब 2013 में भाजपा पार्टी से विधायक चुनकर आए थे, तभी उनके द्वारा विधानसभा में साफ कह दिया था कि उन्हें विधायकों को मिलने वाली सैलरी भत्ता और अन्य सुविधाएं नहीं चाहिए। उन्होंने बताया कि एक विधायक को हर महीने विधानसभा से 1लाख 10 हजार रुपए सैलरी मिलती है इसके अलावा भत्ता अलग से दिया जाता है। यानी कुल मिलाकर लगभग 2 लाख रुपये प्रत्येक विधायक को विधानसभा से प्रति महीने दिए जाते हैं। यानी रतलाम विधायक चैतन्य कश्यप ने इन 10 सालों में लगभग ढाई करोड़ रुपए सरकार के खजाने में छोड़े हैं।
मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 विधायकों में से कई मंत्री और विधायक हैं कई मंत्री विधायक उद्योगपति हैं तो कई राजा महाराजा है। कई विधायकों के पास खुद के प्लेन और हेलीकॉप्टर हैं, इसके अलावा ऐसे कई बड़े घरानों से मंत्री हैं जिनके पास अथाह धन संपत्ति है। लेकिन हर कोई सरकारी खजाने और सरकारी सुख सुविधाओं के लिए आगे रहते हैं। जबकि एक मंत्री या विधायक ना जाने कितना पैसा नहीं कमाते होंगे। शायद यही वजह है कि विधायक या मंत्री चुनाव लड़ने से पहले तो जन सेवा करने के लिए आते हैं। लेकिन चुनाव जीतने के बाद अपने भोग विलास,वीआईपी कल्चर और सरकारी धन से मिलने वाली सुख- सुविधाओं के पीछे भागते नजर आते है। वह चुनाव के समय तो जनता का हितैषी और अपने को उनका भाई बंद बताते हैं। लेकिन चुनाव जीतने के बाद उनके पैर जमीन से ऊपर हो जाते हैं।
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