उमरिया (संवाद)। स्वतंत्रता दिवस के रजत जयंती वर्ष पर उमरिया नगर में सन् 1972 में जय स्तंभ स्मारक जो की वर्तमान कलेक्ट्रेट और फारेस्ट ऑफिस के बीच चंदिया रोड पर स्थापित किया गया था। लेकिन प्रशासन की उदासीनता और व्यवस्था के चलते यह जय स्तंभ कचरे का ढेर बन गया था, जिसे आज नगर मंडल उमरिया के भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपने परिश्रम से स्वच्छता अभियान चलाया और इसे मूर्त रूप दिया है।
दरअसल प्रशासन की अव्यवस्था और पूर्व से नगर पालिका के उदासीनता के कारण भारत देश की स्वतंत्रता की याद दिलाने वाले यह जय स्तंभ बिल्कुल लुप्त हो गया था। भारत के प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र दामोदर दास मोदी के आवाहन पर कि स्वतंत्रता दिवस के पूर्व देश भर में जितने भी शौर्य स्मारक बनाए गए हैं उनकी सुरक्षा और स्वछता की जिम्मेदारी समाज और कार्यकर्ता ले।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस आवाहन पर लुप्त हो चुके जय स्तंभ को भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओ ने अपने अथक परिश्रम से सफाई अभियान चलाया और उसके असली स्वरूप में ला दिया। यह जय स्तंभ स्मारक स्वतंत्रता की यादगार स्वरूप अमूल्य धरोहर है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने सड़क से लेकर इस विलुप्त जय स्तंभ स्मारक तक भारी तादाद में फैली झाड़ियां, घास और खरपतवार को हटाया और जय स्तंभ के आसपास साफ सफाई की। इसके बाद उसका रंग रोगन कर उसे मूर्त रूप दिया गया।
तस्वीरों में साफ तौर पर देख सकते हैं कि यह जय स्तंभ स्मारक किन परिस्थितियों में आज वर्षों से रहा है। जबकि ऐसा नहीं है कि इस स्मारक की जानकारी जिला प्रशासन से लेकर नगर पालिका को मालूम ना रहा हो, बावजूद इसके उनकी अव्यवस्था और उदासीनता का परिणाम रहा की यह स्मारक कचरे के देर में तब्दील हो गया। इतना ही नहीं इस जगह यह स्मारक मौजूद है यह कुछ लोगों को शायद पता भी नहीं रहा होगा। क्योंकि यह स्मारक झाड़ियां और कचरे से ऐसा ढक चुका था की सड़क से दिखाई भी नहीं देता था।
यह स्मारक देश की अमूल्य धरोहर होने के साथ देश को स्वतंत्रता दिलाने में अपने प्राण न्योछावर करने वाले अमर शहीदों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की याद की में इन्हें निर्मित कराया गया था। जिसे स्वच्छ बनाए रखने के लिए हम सब का दायित्व है। इस स्मारक को स्वच्छ बनाने स्वच्छता अभियान चलाने के दौरान भाजपा के जिला उपाध्यक्ष ज्ञानेंद्र सिंह गहरवार, युवा मोर्चा अध्यक्ष अमित सिंह, नगर मंडल अध्यक्ष नीतू सिंह,मनीष सिंह, आशीष राय सहित भाजपा के अन्य कार्यकर्ता शामिल थे।
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ज्ञानेंद्र सिंह गहरवार की फेसबुक वाल से